Eklingji Mandir Rule : उदयपुर के प्रसिद्ध एकलिंगजी मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए नए नियम लागू कर दिए गए हैं। मंदिर प्रबंधन ने मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए ये कदम उठाया है। नए नियमों के अनुसार, अब मंदिर में छोटे कपड़े जैसे मिनी स्कर्ट, बरमूडा और नाइट सूट पहनकर प्रवेश वर्जित होगा। इसके अलावा, भक्तों को मंदिर परिसर में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। उदयपुर से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित कैलाशपुरी गांव में स्थित एकलिंगजी मंदिर, मेवाड़ के लोगों के आराध्य देवता हैं। मंदिर प्रशासन ने इन नए नियमों को लेकर मंदिर परिसर में बैनर लगा दिए हैं।
Udaipur News today : मंदिर कमेटी ने हाल ही में जारी किए गए नए नियमों के माध्यम से सभी भक्तों से मंदिर की पवित्रता बनाए रखने की अपील की है। कमेटी का मानना है कि मंदिर एक पवित्र स्थल है और यहां आने वाले सभी भक्तों को शालीनता और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। यह निर्णय मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले कुछ भक्तों द्वारा छोटे कपड़े पहनने को लेकर प्राप्त शिकायतों के बाद लिया गया है। इन शिकायतों में कहा गया है कि भगवान के मंदिर में आने वाले भक्तों के पहनावे में शालीनता होनी चाहिए। कमेटी का उद्देश्य मंदिर की पवित्रता को बनाए रखना और सभी भक्तों के लिए एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करना है।
Eklingnath Temple Udaipur : मंदिर में मोबाइल पर पूर्ण प्रतिबंध
Eklingnath Temple Udaipur : एकलिंगजी मंदिर ने हाल ही में अपने नियमों में और कड़ा रुख अपनाते हुए मंदिर परिसर में मोबाइल फोन ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले भक्तों को मोबाइल फोन को स्विच ऑफ करके ही मंदिर में ले जाने की अनुमति थी। यह निर्णय मंदिर की पवित्रता बनाए रखने और भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। इसके अलावा, मंदिर में पहले से ही फोटोग्राफी पर प्रतिबंध था। साथ ही, मंदिर परिसर में पालतू जानवरों और किसी भी प्रकार के हथियार ले जाने पर भी प्रतिबंध है। ये सभी नियम मंदिर की शांति और पवित्रता को बनाए रखने के लिए लगाए गए हैं।
Eklingji Mandir News : एकलिंगजी मंदिर: मेवाड़ की धार्मिक विरासत
Eklingji Mandir News : eternalmewar की वेबसाइट के अनुसार, एकलिंगजी मंदिर मेवाड़ का एक प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल है। इसे 8वीं शताब्दी में बप्पा रावल ने स्थापित करवाया था। मंदिर का निर्माण 734-753 ईस्वी के बीच हुआ था। बाद में, महाराणा मोकल ने 15वीं शताब्दी में मंदिर का नवीनीकरण करवाया। वर्तमान में जो मूर्ति स्थापित है, उसे महाराणा रायमल ने 15वीं शताब्दी के अंत में स्थापित करवाया था। एकलिंगनाथ भगवान शिव के एक अवतार माने जाते हैं। मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर से हुआ है और इसमें चारदीवारी के भीतर 108 तीर्थ स्थल हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण काले संगमरमर से बनी भगवान एकलिंगनाथ की चार मुख वाली मूर्ति है। मंदिर के बाहर नंदी की एक छोटी चांदी की मूर्ति भी स्थापित है। यह मंदिर मेवाड़ की धार्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
Udaipur Royal Family : जगदीश मंदिर में ड्रेस कोड को लेकर उठा था विवाद
Udaipur Royal Family : उदयपुर के प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में लगभग एक साल पहले शालीन कपड़ों को लेकर एक विवाद उत्पन्न हुआ था। मंदिर प्रशासन ने मंदिर परिसर में टी-शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमूडा, मिनी स्कर्ट और नाइट सूट जैसे कपड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह निर्णय भक्तों को हिंदू संस्कृति के प्रति जागरूक करने और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया था। हालांकि, इस निर्णय को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई और यह मामला विवाद का विषय बन गया। बढ़ते विवाद के बाद, देवस्थान विभाग को हस्तक्षेप करना पड़ा और मंदिर परिसर से सभी संबंधित पोस्टर और बैनर हटा दिए गए।
Eklingji Mandir History : राजस्थान के कई मंदिरों में लागू हुआ ड्रेस कोड
Eklingji Mandir History : राजस्थान में कई प्रमुख मंदिरों ने अपनी पवित्रता बनाए रखने और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए ड्रेस कोड लागू किया है। अजमेर का अम्बे माता मंदिर इस मामले में अग्रणी रहा है। इस मंदिर में छोटे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगाने के बाद कई अन्य मंदिरों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं।
- अजमेर का अम्बे माता मंदिर: राजस्थान में ड्रेस कोड लागू करने वाला यह पहला प्रमुख मंदिर था।
- झाड़खंड महादेव मंदिर, जयपुर: इस 100 साल पुराने मंदिर में हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जीन्स और फ्रॉक पहनने पर प्रतिबंध है।
- भीलवाड़ा का कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर: इस मंदिर में भी ट्रस्ट द्वारा ड्रेस कोड लागू किया गया है और इसके लिए पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं।
- सिरोही का श्री पावापुरी जैन मंदिर: इस जैन तीर्थ स्थल में सभ्य कपड़े पहनने की अपील की जाती है। यहां तक कि एक चेंजिंग रूम भी उपलब्ध है।
- पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर: इस मंदिर में भी भक्तों से सभ्य कपड़े पहनकर आने का अनुरोध किया जाता है।
- सिरोही का सारणेश्वर महादेव मंदिर: देवझूलनी एकादशी के मेले में केवल देवासी समाज की पारंपरिक पोशाक में ही प्रवेश की अनुमति है।
- सिरोही का माउंट आबू दिलवाड़ा जैन मंदिर: यहां महिलाओं के लिए छोटे कपड़े पहनने पर दुपट्टे और अन्य कपड़ों की सुविधा उपलब्ध है।