सियासी ड्रामे के 11वें दिन की शाम… अटकलों और अनुमानों पर पूर्ण विराम। एकनाथ शिंदे ने गुरुवार की शाम महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बने। शपथ के घंटेभर बाद दोनों ने कैबिनेट मीटिंग भी बुला ली। ये सब कुछ महज पांच घंटे के भीतर हुआ। ये तो हुआ क्लाइमैक्स… लेकिन अब इससे पहले के सीन पर भी नजर डाल लीजिए… दिन गुरुवार और जगह मुंबई। काले माइक के सामने फडणवीस बोलते हुए और उनकी दाईं ओर सिर पर लाल टीका लगाए हाथ बांधे मौन बैठे शिंदे।
फडणवीस ने कुछ पुरानी बातें कहीं और फिर सीधे हीरो के नाम का ऐलान- ‘एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री। भाजपा उनका समर्थन करेगी। सरकार में शामिल भी होगी, लेकिन मैं सरकार से बाहर रहूंगा।’ ये ऐसी घोषणा थी जिसने सभी न्यूजरूम की बनी-बनाई खबर बिगाड़ दी। सबने फडणवीस को मुख्यमंत्री लिख रखा था। हमने भी, लेकिन खबर में चौंकाने वाला एंगल आना फिर बाकी था।
फडणवीस राज्यपाल से मिले और फ्लोर टेस्ट की खबर फैली
फडणवीस ने जैसे ही सरकार से बाहर रहने की बात कही, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय हो गया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि फडणवीस ने बड़ा दिल दिखाया है। अब उन्हें डिप्टी CM का पद स्वीकार करना चाहिए। फिर अमित शाह ने ट्वीट किया कि फडणवीस सरकार में शामिल होने के लिए मान गए हैं। इसके बाद शिंदे की शपथ से ऐन पहले राजभवन में दो की जगह तीन कुर्सियां लगाई गईं। गुरुवार की दोपहर ढाई बजे एकनाथ शिंदे गोवा से मुंबई पहुंचे थे। शाम साढ़े सात बजे शपथ भी हो गई। महज 5 घंटे में महाराष्ट्र की सरकार का नया मुखिया और उनके डिप्टी के नाम से पर्दा उठ गया। दरअसल, बागी गुट के विधायकों के गुवाहाटी से गोवा पहुंचने के साथ ही मुंबई तक का रास्ता बहुत हद तक साफ हो गया था। सिलसिलेवार ढंग से समझ लेते हैं कि शिंदे और भाजपा के बीच कब और क्या ऐसा हुआ, जिसने उद्धव ठाकरे की ढाई साल पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका…
तारीख 28 जून, समय रात 9 बजे। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने राजभवन पहुंचे। मुद्दा था फ्लोर टेस्ट की मांग और वही हुआ भी; लेकिन अभी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं था, सब कुछ हवा में तैरती बातें थीं, लेकिन बहुत हद तक सही भी। खबर आई की फडणवीस की मांग के बाद राज्यपाल ने 30 जून सुबह 11 बजे से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दे दिया। खबर आग की तरह फैल गई और राजभवन के आदेश का एक लेटर भी वायरल हो गया। राजभवन आगे आया और इस लेटर को गलत बता दिया। रात बस अफवाहों में खत्म हो गई।
आखिरकार सुबह वही हुआ जो भाजपा और शिंदे गुट चाहता था
मंगलवार की रात (28 जून) गुजरते ही बुधवार को महाराष्ट्र राजभवन से सुबह एक लेटर जारी होता है। यह वही लेटर है जिसका शिंदे गुट और भाजपा के नेताओं को बेसब्री से इंतजार था। फ्लोर टेस्ट का। राज्यपाल ने सुबह करीब 10 बजे उद्धव ठाकरे सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्देश जारी किया। उद्धव सरकार से बोला गया कि वे 30 जून सुबह 11 बजे सेशन बुलाएं और शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार रहें। फिर क्या था, एकतरफ जहां भाजपा और शिंदे गुट का इंतजार खत्म हुआ वहीं महा विकास अघाड़ी सरकार में उथल-पुथल मच गई।
राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची उद्धव सरकार
राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के निर्देश के खिलाफ उद्धव सरकार बुधवार को ही आदेश के दो घंटे में पूरी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। 5 बजे सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार, बागियों के वकील और राज्यपाल की ओर से 3 घंटे 10 मिनट तक दलीलें रखी गईं। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद अगले 50 मिनट बाद यानी रात 9 बजे फैसला सुनाने की बात कही। 9 बजे जैसे ही जज दोबारा बैठे उन्होंने अगले 5 मिनट में राज्यपाल के फैसले पर मुहर लगा दी। कहा- हम फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगा रहे। नोटिस जारी कर रहे हैं। सभी पक्ष जवाब दाखिल करें। 30 जून को होने वाले फ्लोर टेस्ट का जो भी परिणाम होगा वह हमारे अंतिम फैसले से बंधा होगा। यानी कोर्ट ने 11 जुलाई की तारीख को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की थी, उस दिन अंतिम फैसला होगा।
कोर्ट के फैसले के बाद रात 8 बजे गोवा पहुंचे बागी विधायक
मुंबई से सूरत फिर गुवाहाटी पहुंचा महाराष्ट्र के सियासी संग्राम का कारवां सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद 29 जून, रात 8 बजे गोवा पहुंच गया था। सबसे पहले गुवाहाटी के होटल रेडिसन ब्लू में ठहरे शिवसेना के 39 और 11 निर्दलीय समेत अन्य छोटे दलों का कारवां शाम करीब 4 बजे गोवा जाने के लिए 4 बसों से निकला। यहां से ये सभी चार्टर्ड प्लेन से गोवा पहुंचे। यहां उनके लिए 70 से ज्यादा कमरे पहले से बुक थे। उससे पहले एकनाथ शिंदे सुबह सभी विधायकों के साथ कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे। इसके बाद उनका गोवा जाना तय हुआ।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव लाइव आए और इस्तीफा दिया
इधर, कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और उधर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट की बैठक बुला ली। उन्होंने बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिले का नाम बदलने का बड़ा फैसला लिया। इसके कुछ देर बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने एक लाइन में कह दिया कि फ्लोर टेस्ट 30 जून को ही होगा। इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति अचानक से बदली। उद्धव मंत्रालय से बाहर निकले और रात 9 बजे फेसबुक लाइव करने का फैसला किया। मकसद साफ था। जनता के बीच अपनी बातें रखना और मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा देना। वही किया भी। उन्होंने 10 मिनट की बातचीत के बाद इस्तीफे का ऐलान कर दिया। घर गए और सीधे खुद ही ड्राइव कर दोनों बेटों के साथ राजभवचन पहुंचे और राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया।
शिंदे गोवा से मुंबई आए, फडणवीस के साथ सीधे राजभवन पहुंचे
बाकी कहानी गुरुवार यानी 30 जून की है। उद्धव के इस्तीफे के साथ ही ये तय हो गया कि अब विशेष सत्र नहीं बुलाया जाएगा। यानी फ्लोर टेस्ट की तो अब कोई जरूरत ही नहीं, जब खुद CM ने इस्तीफा दे दिया। दोपहर 2 बजे के आसपास बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे 39 शिवसेना और बाकी 11 अन्य विधायकों का समर्थन पत्र लेकर चार्टर्ड प्लेन से सीधे मुंबई उतरे। उनकी सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही जेड प्लस सिक्योरिटी तैनात कर रखी थी। शिंदे मुंबई एयरपोर्ट से सीधे फडणवीस के घर पहुंचे और यहां से दोनों नेता राजभवन के लिए निकल गए। यहां नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने दोनों नेताओं को मिठाई भी खिलाई। राजभवन में ही दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
फडणवीस ने सबसे हैरानी भरा ऐलान किया, कहा- एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होंगे और मैं कैबिनेट में नहीं रहूंगा। भाजपा हिन्दुत्व के नाम पर उन्हें समर्थन देगी। इसके बाद अचानक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह का बयान आया कि फडणवीस शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम की कुर्सी संभालेंगे। फिर दोनों ने आखिरकार शपथ ली।
2 और 3 जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र
महाराष्ट्र कैबिनेट ने 2 और 3 जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। पहले दिन स्पीकर का चुनाव होगा। यह पद नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से ही खाली है। पटोले ने पिछले साल 04 फरवरी को इस्तीफा दिया था।
शिंदे ने एक हादसे के बाद छोड़ दी थी राजनीति
2 जून 2000 की बात है। एकनाथ शिंदे अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ सतारा गए थे। बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए। उस वक्त शिंदे का तीसरा बच्चा श्रीकांत सिर्फ 14 साल का था। एक इंटरव्यू में इस दर्दनाक घटना को याद करते हुए शिंदे ने कहा था, ‘ये मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था। मैं पूरी तरह टूट चुका था। मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला किया। राजनीति भी।’ इस घटना को 22 साल हो चुके हैं। एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री हैं।
शिंदे ने परिवार पालने के लिए खुद ऑटो चलाया
ठाणे के ठाकरे कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए CM बने हैं। ठाणे की कोपरी-पछपाखाड़ी विधानसभा सीट से विधायक और उद्धव सरकार में नगर विकास और सार्वजनिक निर्माण मंत्री रहे शिंदे की ठाणे में मजबूत पकड़ है। उन्हें ठाणे का ठाकरे भी कहा जाता है। राजनीति में आने से पहले शिंदे के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। उनके पिता एक गत्ते की फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। वहीं उनकी मां लोगों के घरों में काम कर परिवार का पेट पालती थी। एक वक्त ऐसा भी आया जब परिवार का पूरा भार शिंदे पर आया और उन्हें रोजी रोटी के लिए ऑटो भी चलाना पड़ा। कैसे एक ऑटो ड्राइवर आज महाराष्ट्र के CM की कुर्सी तक पहुंचा।