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Embarrassing : प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप का आदर्श जीवन पूरे देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भी सलाम करती है। ऐसे महापुरुष की प्रतिमा उन्हीं की जन्म स्थली राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ में एक अदद सम्मान को भी तरस रही है, बल्कि ऐसे हालात में प्रतिमा खड़ी है, जिसे देखकर हर कोई शर्मिंदा हो जाता है। जन्मभूमि की स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले महाराणा प्रताप की प्रतिमा केलवाड़ा के शीतला पार्क में एक फटे कटे पुराने पकड़े से लोहे के पाइप से बांध रखी है, जो सिर्फ कुंभलगढ़ ही नहीं, बल्कि समूचे राजसमंद व मेवाड़ को शर्मिंदा करने वाले हालात है। पूरे देश के लिए गौरव का प्रतीक माने वाले जाने वाले महाराणा प्रताप की प्रतिमा के साथ ऐसी दुर्गति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर प्रताप प्रतिमा के शर्मिंदगी जैसे हालात क्यों है। देश- विदेश से कुंभलगढ़ भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटक भी अगर इस शीतला पार्क में आते होंगे, तो देश व दुनिया में क्या संदेश लेकर जाते होंगे। इसके बारे में पता लगते ही महाराणा प्रताप के वंशज व नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने नाराजगी के साथ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि अगर सम्मान से प्रतिमा को संभाल नहीं सकें, तो प्रतिमा न होना और बेहतर है।

Maharana Pratap Statue : महाराणा प्रताप की प्रतिमा केवल सांकेतिक मूर्ति नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश दुनिया की स्वाभिमान व देशभक्ति की सीख देते हैं। कुंभलगढ़ उपखंड मुख्यालय के केलवाड़ा में बस स्टैंड के पास स्थित शीतला पार्क में महाराणा प्रताप व राणा पुंजा की दो प्रतिमा स्थापित है। राणा पूंजा की प्रतिमा शीला पर बनी है, जबकि महाराणा प्रताप की प्रतिमा फाइबर की है, जो हवा के झोंके से भी डगमगा रही है, जिसे खड़ी रखने के लिए एक कटे फटे कपड़े से प्रताप प्रतिमा की कमर से लोहे के पाइप पर बांधकर प्रतिमा को गिरने से रोका गया है, मगर अब यह कपड़ा भी काफी पुराना हो चुका है, जिसके भी फटने, टुटने का खतरा है। क्योंकि प्रतिमा हवा के झोंके से डगमगा व हिल रही है। ऐसे में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उसके रख रखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। आखिर प्रतिमा स्थापना के बाद ऐसे हालात क्यों उत्पन्न हुए। इसके रख रखाव को लेकर न तो ग्राम पंचायत केलवाड़ा द्वारा कोई ध्यान दिया गया और न यहां के प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने कोई ख्याल रखा।

खंडित होने पर राणा पूंजा की प्रतिमा नई स्थापित की

केलवाड़ा के शीतला पार्क में राणा पूंजा की प्रतिमा पिछले वर्ष क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसको लेकर सर्व समाज के लोग सड़क पर उतर आए थे। उसके बाद उस वक्त कुंभलगढ़ के विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़ ने राणा पूंजा की नई प्रतिमा बनवाकर स्थापित की थी। पहले राणा पूंजा की प्रतिमा भी फाइबर की ही थी, लेकिन महाराणा प्रताप की प्रतिमा अब भी फाइबर की ही स्थापित है, मगर पाइप व कपड़े के सहारे बंधी हुई है।

महाराणा प्रताप के वंशज व नाथद्वारा विधायक ने व्यक्त की नाराजगी

महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुंभलगढ़ के केलवाड़ा में स्थित शीतला पार्क में महाराणा प्रताप की प्रतिमा की दुर्गति को लेकर महाराणा प्रताप के वंशज व नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने एक्स पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। विश्वराज मेवाड़ ने लिखा कि कई शताब्दियों तक हमने बिना किसी मूर्ति के महाराणा प्रताप और उनके सिद्धांतों को सम्मानपूर्वक याद रखा। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि न केवल सिद्धांतों की उपेक्षा हो रही है, बल्कि मूर्तियों का भी सही से रखरखाव नहीं हो रहा है। आगे लिखा कि मूर्ति का रिवाज एक अंग्रेजी प्रथा है और वे भी मूर्तियों को केवल चुनिंदा और प्रभावशाली स्थानों पर स्थापित करते थे। यदि मूर्ति का सही रखरखाव और सम्मान नहीं किया जा सकता, तो मूर्ति बनाना व स्थापित करना ही व्यर्थ है। विधायक ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अपील की है कि मूर्तियों को तभी स्थापित किया जाए, जब उनका उचित रूप से रखरखाव और सम्मान किया जा सके। महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा और उनके सिद्धांतों को सम्मान देने का सही तरीका उनकी मूर्ति के साथ साथ उनके आदर्शों को भी संरक्षित करना है।

maharana Pratap : वर्ष 2018 में हुई थी प्रतिमाओं की स्थापना

केलवाड़ा के शीतला पार्क में महाराणा प्रताप व राणा पूंजा की प्रतिमाएं वर्ष 2018 में स्थापित की गई। शीला पटि्टका के अनुसार स्व. दौलतसिंह झाला जड़फा की स्मृति में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित की गई थी। दूसरी पटि्टका में 16 जून 2018 को तत्कालीन सांसद स्व. हरिओमसिंह राठौड़ व कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़, विधायक गोगुंदा प्रताप भाई भील, भील विकास समिति संस्थापक छीतरलाल भील, तत्कालीन प्रधान बाबूसिंह दसाणा, तत्कालीन उप प्रधान नारायणसिह सोलंकी, तत्कालीन जिला परिषद सदस्य नीतू असावा, तत्कालीन जिला परिषद सदस्य मदन भील, तत्कालीन सरपंच संगीता शर्मा, प्रेमसुख शर्मा आदि की उपस्थिति में अनावरण हुआ था।