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Expensive statue : जिस मूर्ति को सजावटी समझकर खरीदा, 20 साल बाद उसकी असली कीमत सामने आने पर उड़े होश

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Expensive statue : कई पैसे वाले लोगों को अलग-अलग नायाब चीजें खरीदने का शौक होता है। ये नायाब चीजें अक्सर ऐतिहासिक होती हैं और इनको खरीदने के लिए लोग लाखों करोड़ों रुपए तक खर्च कर देते हैं। कई लोग महंगी कलाकृतियों के इतने बड़े फैन होते हैं कि इनके बारे में ना जानते हुए भी इनको खरीद लेते हैं। ब्रिटेन के एक कपल के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। दरअसल, कपल ने अपने घर को सजाने के शौक के चलते एक सुंदर और यूनिक दिखने वाली मूर्ति खरीदी। उस मूर्ति को उन्होंने अपने गार्डन में एक शो-पीस की तरह रखा था। लेकिन करीब 20 साल बाद जब इस मूर्ति की असल कीमत सामने आई तो उनके होश उड़ गए।

Weird news : कपल ने मूर्ति को एक नीलामी में करीब 5 लाख रुपए में खरीदा था। लेकिन गार्डन में लगी उस मूर्ति को लोगों ने देखने के बाद एक महान कलाकार एंटोनियो कैनोवा की बनाई गई बताया। इस अफवाह के बाद कपल ने मूर्ति की जांच कराई तो पता चला कि यह मूर्ति 200 साल पुरानी है। एंटोनियो कैनोवा की बनाई हुई नायाब और एतिहासिक मूर्ति है। इस मास्टर पीस को 18वीं शताबदी में बनाया गया था। यह मूर्ति कैनोवा की बनाई हुई अंतिम कलाकृति थी। जो बाद में कहीं गायब हो गई थी। 

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Unique Statue : जांच में पता चला मूर्ति का राज

Unique Statue : जांच के बाद एक्सपर्ट्स ने बाताया कि यह यूनीक मास्टरपीस मैरी मैगडेलिन का है, जो ईसा मसीह की भक्त थी। इस मूर्ति की कीमत करीब 75 करोड़ है। ब्रिटिश के पूर्व पीएम मिनिस्टर लिवरपूल ने इसको खरीदा था और इस मूर्ति के 12000 गिनी यानी 110000 पाउंड दिये थे। बाद में 6 फिट लंबी संगमरमर की यह प्रतिमा लिवरपूल कि मृत्यु के 20 साल बाद बेच दी गई। तब से अभी तक उसका पता नहीं चल सका था। Ajab Gajab News

Strange Statue : 200 साल पुरानी मूर्ति का इतिहास

Strange Statue : यह मूर्ति एक घर में पाई गई थी, जहां आग लग गई थी। जिसके बाद इसे खराब अवस्था में पश्चिम लंदन के केंसिंग्टन में एक महिला के खूबसूरत बगीचे में लगा दिया गया था। 1960 के दशक में इस बेच दिया गया। कई बार इस मूर्ति को गुमनाम लोगों द्वारा यहां बेचा गया। धीरे-धीरे इस मूर्ति को लेकर अफवाहें फैलने लगी। ऐसा कहा जाने लगा कि, ये कैनोवा की बन हुई मूर्ति है। जिसके बाद इसकी जांच की गई तो असलियत सामने आई। जिसके बाद इस मूर्ति को उसके असली रूप में लाने के लिए आठ महीनों तक लाखों रुपए खर्च किए गए। अब मूर्ति अपनी सही अवस्था में है।

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