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Rajsamand BJP में गुटबाजी का लंबा इतिहास, पर नेता-कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि में ऐसे हालात कभी नहीं

राजसमंद जिले में भाजपा के कार्यकर्ता, पदाधिकारियों एवं जनप्रनिधियों के बीच गुटबाजी का इतिहास तो पुराना है, मगर संगठन द्वारा किसी जनप्रतिनिधि को चेतावनी देना और कार्यकर्ता द्वारा खुलेआम बखियां उधड़ने की घटना शायद पहली बार हुई है। हालांकि कार्यकर्ता, पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों में आपसी मनमुटाव के साथ तकरार भी कई बार हुई, लेकिन संगठन द्वारा कभी इस तरह खुलकर सार्वजनिक तौर पर चेतावनी नहीं दी गई। वैसे राजसमंद में भाजपा (BJP Rajsamand) की राजनीति में तो दो दशक पहले शांतिलाल खोईवाल के वक्त से ही कार्यकर्ताओं में गुटबाजी रही है। फिर किरण माहेश्वरी के राजसमंद विधायक बनने के बाद किरण व कटारिया गुट पनप गए, जो किरण के निधन व कटारिया के राजनीति से सन्यास लेने के बाद भी बरकरार हैं। गुलाबचंद कटारिया की एक यात्रा का किरण माहेश्वरी ने विरोध किया और तीखी तकरार के बाद किरण माहेश्वरी ने रो दिया था, मगर तब भी संगठन स्तर से इस तरह कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। इस तरह भाजपा में गुटबाजी तो काफी अर्से से चल रही है, मगर वर्तमान में जो हालात बने हैं, वे अचंभित करने वाले हैं।

जानकारी के अनुसार राजसमंद में भाजपा के शांतिलाल खोईवाल वर्ष 1990 और 1993 में विधायक बने, तब से खोईवाल समर्थक और संगठन के पदाधिकारियों का अलग गुट था, मगर खुलकर कभी भी न तो किसी कार्यकर्ता ने खोईवाल का विरोध किया और न ही संगठन द्वारा कोई कार्रवाई की गई। फिर वर्ष 2003 में बंशीलाल खटीक विधायक बने, तब भी खोईवाल गुट हावी रहा, मगर तब भी संगठन के कार्यकर्ता, नेता व जनप्रतिनिधियों के बीच इस तरह बखेड़ा नहीं हुआ, जो अभी मौजूदा विधायक दीप्ति माहेश्वरी, संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच बना हुआ है। इसके बाद वर्ष 2008 में किरण माहेश्वरी राजसमंद विधायक बनी, तब राजसमंद में किरण माहेश्वरी और गुलाबचंद कटारिया के समर्थकों के गुट बन गए। इस कारण कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर कई बार किरण व कटारिया गुट के समर्थक, कार्यकर्ताओं के बीच अप्रत्यक्ष तकरार भी हुई। उसके बाद वर्ष 2013 के बाद मंत्री बनने से किरण माहेश्वरी का कद कुछ बढ़ गया, जिससे प्रशासनिक, विभागीय पकड़ भी किरण गुट के समर्थकों की ज्यादा थी। इस कारण कटारिया गुट के एवं संसदीय मीडिया संयोजक मधुप्रकाश लड्ढा द्वारा कतिपय अधिकारियों के लिए महामंत्री व जिलाध्यक्ष की संज्ञा देते हुए व्यंग्य जरूर लिखा गया। इसके अलावा तत्कालीन दिवंगत सांसद हरिओमसिंह राठौड़ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विधायक माहेश्वरी व उनके समर्थकों के नहीं आने की चर्चाएं भी आम रही, मगर संगठन स्तर से इस तरह की अनुशासनहीनता को लेकर न तो कभी कोई प्रत्यक्ष तौर पर किसी पदाधिकारी ने लिखा और न ही किसी कार्यकर्ता द्वारा इस तरह से किसी जनप्रतिनिधि का विरोध किया गया।

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दीप्ति की दिल्ली में अलग मुलाकात से बढ़ी दुरिया

मावली से देवगढ़ तक रेल लाइन को लेकर बजट स्वीकृत करने पर सांसद दीया कुमारी (Diya Kumari) के नेतृत्व में राजसमंद जिले से ज्यादातर पदाधिकारी दिल्ली पहुंचे, जहां रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले और उनका आभार व्यक्त किया। इसके लिए कथित तौर पर सांसद द्वारा सभी पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया था, मगर Rajsamand MLA Dipty Maheswari ने अकेले ही पहले रेलमंत्री व अन्य मंत्रियों से मुलाकात कर ली। तब से दीप्ति माहेश्वरी और सांसद व संगठन के कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद और दुरिया बढ़ती दिख रही है।

जनआक्रोश कार्यक्रम में भी झलका था विरोध

जन आक्रोश रैली व विधानसभा स्तरीय समारोह के दौरान भी गुटबाजी देखने को मिली और न कहीं न कहीं अप्रत्यक्ष तौर पर कार्यकर्ताओं में भी मनमुटाव झलका। पहले तो जन आक्रोश रैली के लिए दिनेश बड़ाला व गणेश पालीवाल को प्रभारी नियुक्त करने पर सवाल उठे थे। फिर विधानसभा स्तरीय कार्यक्रम फरारा में आयोजित किया गया, जिसमें कई पोस्टरो से विधायक दीप्ति माहेश्वरी के फाेटो नहीं थे, जिससे भी पार्टी की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। इस तरह राजसमंद विधायक, सांसद के समर्थकों से लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं तक गुटबाजी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

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सोशल मीडिया तक ही सीमित थी अब तक गुटबाजी

राजसमंद में बीजेपी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों के बीच गुटबाजी व मतभेद कोई नई बात नहीं है, मगर अब तक कभी भी खुलकर प्रत्यक्ष तौर पर किसी कार्यकर्ता, नेता या पदाधिकारी द्वारा किसी जनप्रतिनिधि का विरोध नहीं किया गया और न ही संगठन द्वारा ही कभी इस तरह का ऐतराज जताया गया। अब कार्यकर्ता, पदाधिकारी व संगठन के मतभेद की बात सोशल मीडिया पर व्यंग्यात्मक शब्दों से उतरकर जुबां तक पहुंच गई है, जो संगठन के लिए घातक हो सकता है।

विधायक द्वारा बूथ सम्मेलन रखने से बढ़ा विवाद

राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी द्वारा उनके सोशल अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें 10 मार्च को विधायक निवास पर बूथ सम्मेलन रखा गया है। विधायक दीप्ति की इस पोस्ट के बाद भाजपा जिला प्रभारी वीरेंद्रसिंह चौहान के द्वारा वाट्सएप ग्रुप में लिखा कि संगठनात्मक कार्यक्रम / बैठके / सम्मेलन यह तय करने का काम संगठन का है। बिना संगठन में चर्चा किए उक्त कार्यक्रम जनप्रतिनिधि द्वारा करना अनुचित कृत्य है। स्वयं को संगठन से ऊपर रख आयोजन करना यह हमारी रीति नीति नहीं है। जनप्रतिनिधि अपने दायित्व की मर्यादा / सीमाएं लांघने का प्रयत्न नहीं करें। BJP Rajsamand

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नेता प्रतिपक्ष ने MLA Dipty के लिए बोला सीधी भर्ती हुई

दूसरी और नगरपरिषद राजसमंद के नेता प्रतिपक्ष हिम्मत कुमावत ने राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी पर टिप्पणी करते हुए फेसबुक पर गंभीर आरोप लगाए है। नेता प्रतिपक्ष कुमावत ने कहा कि विधायक अपनी मनमानी कर रहे हैं, वह अपने निजी स्वार्थ के लिए पार्टी के पदाधिकारी व संगठन के कार्यकर्ताओं को कमजोर करना चाहते हैं। बूथ या मीटिंग करना विधायक या सांसद के हाथ में नहीं है, पार्टी का काम है और इस पर पार्टी के सभी पदाधिकारी की सहमति से कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई जाती है। लगता है राजसमंद में जनप्रतिनिधि संगठन से बड़े हो गए है। बिना संगठन की जानकारी के बूथ सम्मेलन करना कहाँ तक उचित है, संगठन के कारण आप है, शायद ये आप भूल गए है। कुमावत ने आगे विधायक के लिए लिखा कि तुम्हारी ऐसी करतूतों के कारण कार्यकर्ता मारा जाता हैं। आप स्वयं मजबूत होने के लिए संगठन को खत्म करना चाहती है या व्यक्तिगत कार्यकर्ता बनाना चाहती है, तो यह बिल्कुल ठीक नहीं है। फिर कुमावत ने दीप्ति पर तीखा व्यंग्य कसते हुए लिखा कि खैर ये आपका दोष नही है, आपकी सीधी भर्ती हुई है। आपने संगठन में काम किया होता तो आज ऐसा नहीं करती।

संगठन से ऊपर नहीं है कोई जनप्रतिनिधि

भाजपा जिलाध्यक्ष मानसिंह बारहठ (BJP District President Man Singh Barhath) ने कहा कि संगठन से ऊपर कोई जनप्रतिनिधि नहीं हो सकता । अगर कोई अगर कोई जनप्रतिनिधि कार्यक्रम रखता भी है, तो संगठन के पदाधिकारी को सूचना व उनकी सहमति आवश्यक है। फिर भी अगर कोई जनप्रतिनिधि कोई कार्यक्रम रखता है, तो वह उनकी मनमर्जी होगी। संगठन की गाइडलाइन सभी कार्यकर्ता, पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों पर लागू है।

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