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Fake insurance claim : फर्जी इंश्योरेंस उठाने के लिए संगठित तौर पर गिरोह काम कर रहा है। भीम पुलिस ने गिरोह का खुलासा करते हुए चार जनों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी मृतक महिला का पति है। महिला की मौत के बाद फर्जी दस्तावेजों से बैंक में खाता खुलवाया गया और तीन बीमे करवाए गए। इसके बाद हार्ट अटैक से मौत बताकर बीमे के 9 लाख रुपए उठा लिए। बीमा कंपनी ने ब्लेम की जांच कराई तो इसका खुलासा हुआ।

Rajsamand news today : थानाधिकारी सुनील शर्मा ने बताया कि भीम थाने में गत 5 सितंबर को एवोपी फ्रॉड कंट्रोल यूनिट इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के अजय मुसले ने आरोपी पति शेरसिंह के खिलाफ फर्जी बीमा उठने की शिकायत की थी। इस पर बरार निवासी शेरसिंह 42 पुत्र नंदसिंह रावत, शक्करगढ़ देवगढ़ निवासी ई-मित्र संचालक रामशेरसिंह 30 पुत्र सीतानसिंह राजपूत, निलवा का तालाब पुलिस थाना करेडा जिला भीलवाड़ा निवासी बीमा एजेंट राजेंद्रसिंह 30 पुत्र शिवराजसिंह रावत व गुलाब सागर पुलिस थाना बदनौर जिला ब्यावर निवासी भुपेंद्रसिंह 22 पुत्र मंगलसिंह रावत को धोखाधड़ी कर फर्जी ब्लेम उठाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने मृत महिला डालीदेवी को जीवित बताते हुए बैंक में खाता खुलवाया और इंश्योरेंस पॉलिसी बनाई। गैंग के द्वारा पंचायत से जारी करवाया गलत मृत्यु प्रमाण पत्र प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना और विभिन्न इंश्योरेंस कंपनी में झूठे दावे प्रस्तुत कर 9 लाख का क्लेम उठा लिया।

Bhim News today : जनवरी 2023 में अस्पताल में हो गई थी मौत, बीमे कराने के बाद 10 अक्टूबर की मौत का बनवा दिया प्रमाण पत्र

Bhim News today : पुलिस जांच में आया कि इंश्योरेंस दवा में आरोपी शेसू सिंह ने दावा किया कि पत्नि डालीदेवी का 10 अक्टूबर 2023 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इस मामले की इंश्योरेंस एजेंसी ने जांच करवाई तो क्लेम में गलत तथ्य पाए और गलत तथ्यों के आधार पर इंडिया फर्स्ट लाईफ इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रूपए का क्लेम फर्जी तरीके से नोमिनी मृतका के पति शेसूसिंह ने लिया। आरोपी शेसू सिंह की पत्नी की मृत्यु जानकारी में आया कि 7 जनवरी 2023 को उदयपुर में महाराणा भूपाल चिकित्सालय में हो गई थी। डालीदेवी का असल मृत्यु प्रमाण पत्र व इलाज के कागजात प्राप्त किए। आरोपी ने ओटा की स्थानीय आंगनबाडी में डालीदेवी ने मृत्यु की गलत तारीख 10 अक्टूबर 2023 अंकित करवा ग्राम पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र लिया। डालीदेवी की मृत्यु 7 जनवरी 2023 को हो जाने के बाद में बरार के ई-मित्र संचालक रामशेरसिंह ने क्लेम दिलवाने का वादा किया। मृतका डाली देवी के पैन कार्ड आधार कार्ड, फोटो इत्यादि शेर सिंह से प्राप्त किए। ई-मित्र संचालक शमशेरसिंह ने बीमा एजेंट राजेंद्रसिंह से संपर्क कर फर्जी क्लेम का केस रेफर किया। एजेंट संपर्क कर मृतका डालीदेवी व शेशूसिंह के कागजात प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के तहत दो लाख रूपए क्लेम दिलवाया। एजेंट ने बैंक में खाता खुलवाने के लिए और इन्श्योरेंस के लिए समस्त कागजात भूपेंद्रसिंह को दे दिए, जिसने बैंक आफ बडौदा ब्यावर में बैंक खाता खुलवाया और उसमें नया खाता खुलने के साथ में मिलने वाली इंडिया फर्स्ट लाईफ इंश्योरेंस की पॉलिसी भी डालीदेवी के नाम से पांच लाख रूपए का इंश्योरेंस करवाया और इंश्योरेंस कंपनी को डाली देवी के जीवित होने की गलत जानकारी दी गई और डालोदेवी की मृत्यु के तथ्य को इंश्योरेंस कंपनी से छिपाया। भूपेंद्रसिंह ने बजाज इंश्योरेंस को पॉलिसी भी डालीदेवी (मृतका) के नाम से ऑनलाईन जनरेट की। वह पॉलिसी दो लाख रूपए की बनवाई। उदयपुर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड भीम में खाता खुलवाया और इंडिया फर्स्ट लाईफ इंश्योरेंस से 5 लाख बजाज अलाइंस इंश्योरेंस कंपनी के 2 लाख व प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के तहत मिलने वाले 2 लाख रुपए का क्लेम का दावा शेसूसिंह ने किया, जिस पर 9 लाख रुपए शेसूसिंह के दो बैंक के खातों में आ गए।

Big Froud In Rajsamand : लाभार्थी को मिले सिर्फ 50 हजार, शेष गिरोह ने बांट लिए

Big Froud In Rajsamand : क्लेम मिलने की दशा में क्लेम में से 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा ही मूल नोमिनी को दिया जाता है बाकी राशि इस संगठित गिरोह द्वारा आपस में बंटवारा कर ली जाती है। आरोपियों ने शेसूसिंह को डेढ़ लाख रुपए दिए। बीमा एजेंट राजेंद्रसिंह ने 50 हजार रुपए लाभार्थी शेशूसिंह को दिए और एक लाख रुपए राजेंद्रसिंह ने कमीशन के तौर पर रख लिए। शेष राशि में एक लाख राजेंद्रसिंह साढ़े पांच लाख रुपए भूपेंद्रसिंह ने रख लिए। शमशेर सिंह को क्लेम मिलने के बाद में 30 हजार रुपए बतौर मेहनताना दिया।

Fake Insurance claim in Bhim : गांव की जानकारी वाले व्यक्ति को शामिल कर करते हैं वारदात

Fake Insurance claim in Bhim : गिरोह में स्थानीय व्यक्ति अमूमन ई-मित्र या समस्त गांव की जानकारी रखने वाले लोग शामिल होते हैं। इंश्योरेंस व बैंकों एवं क्लेम प्रक्रिया की अच्छी जानकारी रखने वालों को सूचित कर मृतक या बीमार व्यक्ति के परिजनों वा संभावित नोमिनी से संपर्क करने के बाद इंश्योरेंस करवाया जाता है। इंश्योरेंस क्लेम में गलत तथ्यों के आधार पर पॉलिसी जारी करवा ली जाती है और इंश्योरेंस कंपनी को अंधेरे में रखा जाकर क्लेम उठा लिया जाता है।