हर पिता अपने बेटे का सुखी और सुरक्षित जीवन चाहता है। एक पिता दोनों किडनी खराब हो चुकी थी 2 दिन बाद ही बेटे की किडनी पिता को ट्रांसप्लांट होनी थी। पिता को आशंका थी कि किडनी देने के बाद बेटे का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए वह किडनी लेने को राजी नहीं थे। नाथद्वारा क्षैत्र के उथनोल गांव के तालाब में उनका शव मिला।
ग्रामीणों ने रविवार सुबह तालाब के पास कार खड़ी देखी। आसपास कोई नजर नहीं आया। शाम को तालाब में शव पड़ा था। ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। नाथद्वारा पुलिस मौके पर पहुंची और शव को ग्रामीणों की मदद से बाहर निकाला। इसके बाद कार के नंबर के आधार पर पहचान हुई।
शव आमेट निवासी भंवरलाल मेवाड़ा (47) पुत्र धर्मचंद्र मेवाड़ा का था। वह आमेट में देवगढ़ रोड स्थित जलदाय विभाग के ऑफिस के पास रहते थे। इनकी बेंगलुरु में सोना-चांदी और गिरवी की दुकान है। कोरोना काल के बाद से ही आमेट में रह रहे थे। उनके परिवार में पत्नी प्यारी देवी (45), दो बेटे राहुल (20), संजय (20) और एक बेटी पूजा (22) है।
बड़ा बेटा राहुल भंवरलाल को अपनी किडनी देने वाला था। संजय और राहुल दुकान संभालते हैं। राहुल की शादी हो गई है। पुलिस ने परिजनों को सूचना दी। शव को लालबाग उप जिला अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवाया। सोमवार सुबह पोस्टमॉर्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया गया। एएसआई रामचंद्र ने बताया कि भंवरलाल मेवाड़ा की दोनों किडनी खराब थीं। दो दिन बाद दिल्ली एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट होना था। उनका बड़ा बेटा राहुल (25) किडनी डोनेट करने वाला था। वह ट्रांसप्लांट के लिए राजी नहीं था। उसका कहना था कि किडनी देने से बेटे का जीवन भी खराब हो जाएगा। रविवार सुबह रिश्तेदारों के यहां जाने का कहकर घर से निकले थे। दोपहर तक फोन नहीं लगने पर परिजन तलाश कर रहे थे। उन्होंने मोबाइल फोन और पर्स कार में रख लॉक कर दिया था। इसके बाद जूते और कपड़े तालाब किनारे रख सुसाइड कर लिया।