कोरोना से निगेटिव पाए जाने के बाद पोस्ट-कोविड परेशानियों के चलते महान भारतीय खिलाड़ी मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात चंडीगढ़ में निधन हो गया। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनके निधन पर शोक जताया है।
चंडीगढ़। कोविड.19 के साथ एक महीने की लंबी लड़ाई के बाद, महान भारतीय धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात 11.30 बजे 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा को पिछले महीने कोरोना वायरस संक्रमण हुआ था और ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के कारण चंडीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया, जिसने देश की कल्पना पर कब्जा कर लिया।
इस संबंध में पीजीआईएमईआर अस्पताल द्वारा जारी बुलेटिन के मुताबिक, महान भारतीय धावक मिल्खा सिंह जी को 3 जून 2021 को पीजीआईएमईआर के कोविड अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था और 13 जून तक वहां कोविड के लिए इलाज किया गया था, जब कोविड के साथ बहादुरी से लड़ाई के बादए मिल्खा सिंह जी को निगेटिव टेस्ट किया गया। हालांकि, कोविड के बाद की जटिलताओं के चलते उन्हें कोविड अस्पताल से मेडिकल आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था।
मिल्खा सिंह तब दौड़ता था जब पैरों में जूते नहीं होते थे
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने कहा था. नहीं जानता था कि ओलिंपिक गेम्स होते क्या हैं, एशियन गेम्स और वन हंड्रेड मीटर और फोर हंड्रेड मीटर रेस क्या होती है। मिल्खा सिंह तब दौड़ता था जब पैरों में जूते नहीं होते थे। न ही ट्रैक सूट होता था। न कोचेस थे और न ही स्टेडियम। 125 करोड़ है देश की आबादी। मुझे दुख इस बात का है कि अब तल कोई दूसरा मिल्खा सिंह पैदा नहीं हो सका।
न पैसे थे न सिफारिश, आर्मी से 3 बार हुआ रिजेक्ट
उन्होंने कहा था कि मुझे आर्मी से 3 बार रिजेक्ट किया गया। मेरी हाइट ठीक थी, दौड़ा भी। मेडिकल टेस्ट भी पास किया, मगर मुझे रिजेक्ट कर दिया गया। उस दौर में भी पैसे और सिफारिश चलती थी। ये सब मेरे पास नहीं था। लिहाजा मैं 3 बार रिजेक्ट हुआ। मगर ये भी सच है कि मैं इसके बाद जो कुछ बना वो आर्मी के कारण ही बना। वहां स्पोट्र्स की ट्रेनिंग मिली, कोच मिले। तब कहीं जाकर मैं ये सब कर पाया।
पाकिस्तान में हुआ था जन्म
20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है के एक सिख परिवार में मिल्खा सिंह का जन्म हुआ था। खेल और देश से बहुत लगाव था, इस वजह से विभाजन के बाद भारत भाग आए और भारतीय सेना में शामिल हुए थे।
भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया
1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलिंपिक खेल में भाग लिया। कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन आगे की स्पर्धाओं के रास्ते खोल दिए। 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए। इसी साल टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में 200 मीटर, 400 मीटर की स्पर्धाओं और राष्ट्रमंडल में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते। उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।