#Rajsamand के कॉलेज छात्र ने फंदा लगा दी जान, सुसाइड नोट पढ़ पुलिस- परिजन भी चकित

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कॉलेज के छात्र ने हॉस्टल में फंदा लगाकर जान दे दी। आत्महत्या से पहले उसने जो सुसाइड नोट लिखकर छोड़ा, उसे देखकर परिवार के सदस्य नहीं, बल्कि पुलिस भी हैरान रह गई। कॉलेज स्टूडेंट की मौत को लेकर कॉलेज से हॉस्टल से लेकर हर कोई हैरान रह गया। वह उसके परिवार का इकलौता बेटा था। घटनास्थल उदयपुर का है, मगर छात्र राजसमंद जिले का निवासी है।

बडग़ांव थानाधिकारी पूरणसिंह राजपुरोहित ने बताया कि देवगढ़, राजसमंद निवासी हर्षवर्धन सिंह (19) की मौत हो गई। उदयपुर बडग़ांव थाना क्षेत्र स्थित विद्या भवन पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र था और हॉस्टल में ही रहता था। गुरुवार रात 9 बजे सहपाठी छात्र हर्षवर्धन के कमरे पर गया तो काफी देर खटखटाने के बाद भी उसने दरवाजा नहीं खोला। संदेह हुआ तो वार्डन और अन्य छात्रों को जानकारी दी। अनहोनी की आशंका में छात्रों ने ही गेट तोड़ा तो अंदर हर्षवर्धन का शव फंदे पर लटका मिला। सूचना पर पुलिस पहुंची और शव को एमबी हॉस्पिटल के मुर्दाघर पहुंचाया। परिजन शुक्रवार सुबह पहुंचे तो पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई कर शव सौंपा गया।

सुसाइड नोट में यह लिखा

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पुलिस ने बताया कि हर्षवर्धन के कमरे से सुसाइड नोट मिला। उसने नोट में लिखा कि मम्मी बहुत सोचा मैंने मरने से पहले, पर अब मैं ये सब दुख देखकर थक चुका हूं। कुछ समझ नहीं आ रहा। अभी कॉलेज की फीस भरनी है। मुझे पता है कि मेरे लिए 15000 रुपए देना कोई बड़ी बात नहीं है, पर मैं आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। मेरे बाद बहन नेतल की पढ़ाई और शादी अच्छे से करना । मेरा सपना था नेतल की शादी अच्छे से करने का, लेकिन ये चाहकर भी पूरा नहीं कर सकता। अब आप लोगों की हालत मुझसे देखी नहीं जाती। आप बहुत अच्छे हो मम्मी आपको दुखी करके मैं बहुत दुखी हुआ। पर क्या करता यहां से जाना ही ठीक था। मुझे माफ करना।

छुट्टी से चार दिन पहले लौटा

हर्षवर्धन के चाचा चरण सिंह चुंडावत ने बताया कि वह 11 फरवरी को देवगढ़ आया था। उसने अपने पापा से कहा था कि कॉलेज में बाकी 15 हजार रुपए फीस जमा करानी है। उसे 18 फरवरी तक कॉलेज आना था, लेकिन वह 14 को ही आ गया था। पिता ने कहा था कि वे दो-तीन दिन में कॉलेज आकर फीस जमा करा देंगे। चाचा ने बताया कि भतीजे ने कभी अपनी परेशानी खुलकर नहीं बताई। वे तीन भाई हैं और तीनों बच्चों में हर्षवर्धन अकेला लड़का था।

यह है समाधान

■ अभिभावक उनको चाहिए कि बच्चे की क्षमता के अनुसार ही उम्मीद रखें।
■ दोस्त कोई चिड़चिड़ा हो रहा है तो यह बात परिजनों या शिक्षकों को बताएं।
■ शिक्षक पढ़ाई के अलावा परिवार के बारे में भी बात करें। ऐसे बच्चों को चिह्नित करें, जिनके परिवार में कोई समस्या चल रही हो। उनकी काउंसलिंग करवाएं।

अभिभावक संवाद की नहीं रखें कमी

डॉ. सुशील खेराड़ा वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने बताया कि सुसाइड के अलग-अलग कारण होते हैं। किशोर या कम उम्र के युवा ऐसा करते हैं तो यह उनके मानसिक विकास की कमी है। ऐसे बच्चे बिना सोचे-समझे कदम उठा लेते हैं। कम उम्र के युवा कई बार नशे की लत और रिलेशनशिप के कारण भी गलत कदम उठा लेते हैं। आगे क्या परिणाम होगा, यह नहीं सोच पाते। युवाओं को ये बताने की जरुरत हैं कि हर समस्या के समाधान होते हैं, कई विकल्प होते हैं, लेकिन उसे सोचने की जरुरत है बिना सोचे तो सुसाइड का ही विचार आता है। कई बार प्रतिस्पर्धा में खरा नहीं उतर पाने के कारण बच्चे धारणा बना लेते हैं। वे खुद को माता-पिता पर बोझ और खर्चीला मानकर खुदकुशी करने की सोचते हैं। परिवार में संवाद की कमी के कारण भी ऐसा होता है। सामान्य भारतीय परिवारों में यह समझ नहीं होती कि बच्चों की समस्या कैसे जानें और उस पर कैसे एक्शन लें। अभिभावक सीधे तौर पर आदेश देते हैं और बच्चा नहीं कर पाता तो माता-पिता का सामना नहीं कर पाता है। मोबाइल ने जितनी सुविधा दी है, उतना ही व्यक्ति को अकेला भी कर दिया है।