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Girl or Boy Love : प्रेमी जोड़े की बेरहम हत्या, सवाल के साथ सबके लिए एक सबक भी

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प्रेमी जोड़े की बेरहम हत्या, सवाल के साथ सबके लिए एक सबक भी

Girl or Boy Love : सतीश व आरती के बीच प्यार और मोहब्बत 2 साल से थी। दोनों एक दूजे पर जान छिड़कते थे, लेकिन एक दिन दोनों की लाशें अलग अलग जगह पर मिलीं, तो हर कोई हैरान रह गया। आरती व सतीश खुश अपने भावी जीवन के सपने देखते। दुनिया से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते थे, लेकिन गांव में लव स्टोरी का भयानक तरीके से अंत हुआ, जिसे देखकर व सुनकर हर किसी रूह कांप उठेगी। सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन थे इस प्रेमी जोड़े के हत्यारे और क्यों की इनकी हत्या ? कुछ ऐसे ही सवाल आपके मन में कौंध रहे होंगे, तो चलिए शुरू करते हैं कहानी, मगर अब तक अगर आपने हमारे यू ट्यूब चैनल क्राइम केरोसिन को सब्सक्राइब नहीं किया है, तो जरूर कीजिए, ताकि आपको इसी तरह अपराध से सतर्क व सावधान करती ऐसी ही रियल कहानियां मिलती रहेगी।

Crime Real Story : यह रियल कहानी है उत्तरप्रदेश के जनपद गोंडा के धानेपुर थाना क्षेत्र में मेहनौन गांव की, जहां बिंदेश्वरी चौरसिया उनके पांच बेटे व एक बेटी थी। तीन बेटे लवकुश, संजय व हरीशचंद्र मुंबई में रहते थे। संजय व हरीशचंद्र पिता के साथ पावरलूम में काम करते थे, जबकि लवकुश चाय की दुकान चलाता था। इसके अलावा 2 बेटे सतीश व विशाल गांव में ही अपनी मां के साथ रह रहे थे और उनकी एक बेटी की वह शादी कर चुके थे।

Crime story in hindi : गांव में सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक बिंदेश्वरी का 19 साल का बेटा सतीश घर से लापता हो गया। परिजनों ने सारी रात इंतार किया, मगर कोई पता नहीं चल पाया। यह बात है 20-21 अगस्त 2023 रात की, जो घर से अचानक कहीं चला गया। उसके बाद सतीश की मां प्रभावती ने धानेपुर पुलिस थाने में 21 अगस्त सुबह सतीश के लापता होने की रिपोर्ट दी। पुलिस ने प्रकरण दर्ज करते हुए तलाश शुरू कर दी। इसके तहत 22 अगस्त 2023 को धानेपुर थाने के थाना प्रभारी सत्येंद्र वर्मा जांच के लिए पुलिस टीम के साथ मेहनौन गांव पहुंचे, जहां पर सतीश के परिजनों से पूछताछ की। सतीश की मां प्रभावती ने बताया कि 20-21 अगस्त की देर रात खाना खाकर सतीश घर के बाहरी हिस्से में बने कमरे में सोने चला गया था। आधी रात को जब उस की आंखें खुलीं तो सतीश कमरे में नहीं दिखाई दिया। उसने सोचा कि शायद वह टॉयलेट के लिए खेत में गया होगा, लेकिन काफी देर बाद भी वह नहीं लौटा। सुबह होते ही सतीश को सभी ने गांव में तलाशना शुरू किया, लेकिन वह कहीं भी पता नहीं चल पाया। पुलिस ने गांव के अन्य लोगों से भी पूछताछ की और मुखबिर भी अलर्ट कर दिए। दूसरी तरफ पुलिस ने सतीश के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई, जिससे कुछ अहम तथ्य पुलिस को मिल गए। पुलिस को यह पता चल गया कि सतीश की गांव में रहने वाली युवती से फोन पर बात हुई थी। वह रात को उससे मिलने गया था। इसके बाद से ही वह लापता हो गया था। सतीश की मां ने बताया कि उसे पता चला है कि गांव की आरती भी अपने घर पर नहीं है।

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सतीश व आरती अपने घरों में नहीं थे। दोनों के इस तरह गायब हो जाने पर गांव में चर्चा का दौर शुरू हो गया। सभी दबी जुबान से कह रहे थे कि दोनों गांव से भाग गए हैं। अब कहीं जाकर शादी कर लेंगे। कोई कह रहा था कि आरती सतीश पर जान छिड़कती थी। 2 साल से चल रहे उन के प्रेम प्रसंग के बारे में कौन नहीं जानता। जितने मुंह उतनी बातें। इस जानकारी के बाद पुलिस आरती के घर पहुंची। घर पर आरती के पिता कृपाराम चौरसिया व उसके भाई राघवराम चौरसिया से मिले। आरती के घर वाले शांति से अपने घर पर बैठे थे। आरती के पिता कृपाराम से थानेदार ने आरती के बारे में पूछताछ की। पहले तो उन लोगों ने पुलिस को अपनी बातों में उलझाया। कई तरह की बातें बनाईं कृपाराम चौरसिया ने बताया कि गांव का सतीश चौरसिया उनकी बेटी आरती को बहलाफुसला कर रात को अपने साथ भगा ले गया है, जिससे गांव में उनकी बहुत बदनामी हो रही है। तब थाना प्रभारी सत्येंद्र वर्मा ने कहा कि आप लोग दोनों की तलाश क्यों नहीं कर रहे ? अब तक थाने में रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं कराई ? बाप बेटे इस बात पर बगलें झांकने लगे। अपनी बातों से पुलिस को उन्होंने हरसंभव उलझाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के तर्कों के आगे उनकी एक नहीं चली। पुलिस को पहले ही इस मामले में मुखबिर से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिल गई थी। सतीश के मोबाइल की काॅल डिटेल्स से यह पता चल गया था कि रात को सतीश आरती के घर गया था।

Lover Murder Mistry : पुलिस ने अनहोनी का शक होने पर कृपाराम व उसके बेटे राघवराम को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने दोनों से कहा, “सीधे सीधे सच बता दो, नहीं तो पुलिस फिर अपने तरीके से पूछेगी।” तब दोनों कहने लगे कि आरती की कई दिनों से तबियत खराब चल रही थी। हम लोग इलाज के लिए उसे अयोध्या ले जा रहे थे। रास्ते में उसकी मौत हो गई। तब हमने अयोध्या में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया। सतीश के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। बाप बेटे पल पल में बयान बदल रहे थे। तब पुलिस ने दोनों से सख्ती की, तो दोनों टूट गए। फिर सतीश व आरती की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया। इसके बाद थाना प्रभारी ने एएसपी शिवराज व सीओ शिल्पा वर्मा को वारदात के बारे में अवगत कराया। फिर दोनों पुलिस अधिकारी भी गांव पहुंच गए. दोनों ने पूछताछ कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी एसपी अंकित मित्तल को दी। हत्या करना कबूलने के बाद पुलिस ने आरती के भाई राघवराम की निशानदेही से गन्ने के खेत से सतीश का शव, चारपाई व रस्सी बरामद कर ली। फोरेंसिक टीम व डॉग स्क्वायड को भी बुला लिया गया था। खोजी कुत्ता गन्ने के खेत के बाद दौड़ता हुआ राघवराम के घर पर जा पहुंचा। फोरेंसिक टीम ने भी घटनास्थल से कुछ साक्ष्य जुटाए। पुलिस ने मौके की कार्रवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। आरती को बालू के टीले में दफन किए जाने की जानकारी पर थाना प्रभारी सत्येंद्र वर्मा ने डीएम से अनुमति ली। उसके बाद पुलिस टीम के साथ अयोध्या जाकर वहां के अधिकारियों से बात करके सरयू नदी के किनारे बालू के टीले में दफन आरती का शव निकलवाया। मौके की कार्रवाई के बाद उसके शव का अयोध्या में ही पोस्टमार्टम कराया गया। इस तरह सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड का पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही पर्दाफाश कर दिया।

Crime Story in Hindi : डबल मर्डर के पीछे की जो दिल दहला देने वाली कहानी है, वह भी बड़ी रोचक है। 19 साल का सतीश का गांव में रहने वाली 18 साल की आरती से 2 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों एक ही जाति के थे, जिससे दोनों के साथ उनके परिवारों का एक दूजे के घर आना जाना भी काफी बना रहता था। दोनों ही जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे। सतीश कदकाठी का कसा हुआ नौजवान और सुंदर भी था। इसके चलते आरती भी उसकी ओर आकर्षित हो गई, तो सतीश भी उसे चाहने लगा। इस तरह दोनों में पहले दोस्ती के बाद फिर नजदीकियां बढ़ गई। इस तरह दोनों का बचपन का प्यार जवान हो गया था। दोनों के बीच घर वालों के सामने सामान्य बातचीत होती थी। धीरे धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। इस तरह दोनों की मोबाइल पर लंबी प्यार भरी बातें होने लगीं और गांव के बाहर चोरी छिपे मुलाकातें होने लगीं। प्रेमी युगल एक दूसरे का हाथ थाम कर शादी करने का फैसला भी ले चुके थे।

सतीश ने आरती से साफ लहजे में कह दिया था, “आरती, दुनिया की कोई ताकत हम दोनों को शादी करने से नहीं रोक सकती है। मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है और आखिरी सांस तक करता रहूंगा।” आरती ने भी मरते दम तक साथ निभाने का वादा किया। आरती और सतीश खुश थे। दोनों अपने भावी जीवन के सपने देखते हुए दुनिया से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहने लगे थे। गांव में लव स्टोरी ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाती। यदि किसी एक व्यक्ति को भी इस की भनक लग जाती है तो कानाफूसी से बात गांव भर में जल्द ही फैल जाती है। किसी तरह आरती के घर वालों को भी इस बात का पता चल गया कि आरती का सतीश के साथ चक्कर चल रहा है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद आरती के घर वाले कई बार विरोध कर चुके थे। विरोध के बाद सतीश का आरती के घर जाना बंद हो गया, लेकिन मौका मिलने पर दोनों चोरी छिपे मुलाकात जरूर कर लेते थे। 20-21 अगस्त 2023 की रात राघवराम घर आया, उस समय आरती व उसकी मम्मी खाना बना रही थीं। पिता पास में ही बैठे हुए थे और राघव भी उनके पिता के पास जाकर बैठ गया। इस पर दोनों के बीच कामकाजी बातें हुई और कुछ देर बाद खाना तैयार होने पर मां ने आवाज लगाकर राघव व अपने पति को बुला लिया। दोनों खाना खाने किचन के पास पहुंच गए. किचन के पास ही बैठ कर चारों ने खाना खाया। ये लोग आपस में बात कर रहे थे, लेकिन आरती कुछ बोल नहीं रही थी। आरती उन लोगों से नाराज थी। क्योंकि घर वाले एक हफ्ते से उसे घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। दरअसल, आरती अपने प्रेमी सतीश से चोरी छिपे मिलती थी, जिसकी जानकारी होने पर उस पर रोक लगाई गई थी।

आरती और सतीश के प्रेम प्रसंग की वजह से गांव में उनकी बदनामी हो रही थी, जो घर वालों को बर्दाश्त नहीं थी, लेकिन यह बात आरती नहीं समझ पा रही थी। वह तो सतीश के साथ शादी करने की जिद पर अड़ी हुई थी। करीब एक हफ्ते से आरती घर वालों के डर से अपने प्रेमी सतीश से मिलने नहीं जा पा रही थी। उसे उनका यह फरमान नागवार गुजर रहा था। उधर सतीश भी आरती से मिलने के लिए बेचैन था। दोनों ही जल बिन मछली की तरह एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे। इसके चलते आरती ने फोन करके सतीश को 20-21 अगस्त की रात को मिलने के लिए अपने घर के पीछे बुला लिया। अपनी प्रेमिका आरती से मोबाइल पर बात होने के बाद सतीश ने घर वालों के सोने का इंतजार किया। फिर रात करीब साढ़े 12 बजे जब घर वाले सो गए, तो वह बाहर के कमरे से निकल कर आरती के घर जा पहुंचा। उस समय आरती के घर वाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे। आरती बेसब्री से उसी के आने का इंतजार कर रही थी। उसे एक एक पल काटना भारी हो रहा था। सतीश जैसे ही आरती के घर के पास पहुंचा, फोन करने पर आरती दरवाजा खोल कर बाहर आ गई। दोनों एक दूसरे का हाथ थामे वहीं घर के पीछे झाड़ियों की आड़ में चले गए, जहां पहुंचते ही दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों के घेरे में कस लिया। दोनों एक दूसरे से पूरे एक हफ्ते बाद मिले थे।

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घर वालों से बेपरवाह होकर युगल प्रेमी कानाफूसी में इतने मगन हो गए कि उन्हें किसी बात का अहसास ही नहीं हुआ। दोनों ही तन मन से प्यासे थे। वे अपने जज्बातों पर काबू नहीं कर पाए और दो तन एक हो गए। रंगे हाथों पकड़े जाने पर डर की वजह से सतीश प्रेमिका के घर वालों से अपनी गलती की माफी मांगने लगा, लेकिन आरती के पिता व भाई के सिर पर खून सवार था। घर वाले दोनों को पकड़ कर पीटते हुए घर में ले आए। बाप बेटे ने डंडे से सतीश की जमकर पिटाई की। अपने प्रेमी की हालत देखकर आरती रो पडी। प्रेमी के साथ पकड़े जाने पर आरती ने पिता और भाई से उसे छोड़ने की काफी विनती की। आरती ने उनके सामने हाथ जोड़ कर कहा कि मैं सतीश के साथ ही जीना और मरना चाहती हूं। इसलिए मारना है तो हम दोनों को ही मार दो, एक को नहीं। बेटी की इस गुहार पर भी पिता कृपाराम व भाई राघवराम का दिल नहीं पसीजा। आरती जब बीच में आई तो राघव ने डंडे से उसे भी मारना शुरू कर दिया। सिर में डंडा लगने से वह बेहोश हो गई। फिर रस्सी से बाप बेटे ने उसका गला कस दिया। आरती को मारने के बाद उन दोनों ने सतीश को भी पीट पीट कर अधमरा कर दिया। आपत्तिजनक हालत में आरती व सतीश के पकड़े जाने से दोनों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। गुस्से में उन्होंने रस्सी से सतीश का गला भी कर दबा दिया। इस तरह कुछ देर छटपटाने के बाद सतीश की मौत हा गई।

इस सनसनीखेज डबल मर्डर के बाद दोनों पुलिस की गिरफ्त से बचने की जुगत करने लगे। वहीं लाशों को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगे। सतीश के शव को जंगल में छिपाने व आरती के शव को अयोध्या ले जाकर दफनाने की योजना बनाई। तय किया कि आरती के बारे में कोई पूछेगा तो कह देंगे कि रिश्तेदारी में गई है। दोनों बाप बेटे रात में ही एक चारपाई पर सतीश के शव को रखकर गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक गन्ने के खेत में ले गए। दोनों ने शव को गन्ने के खेत में छिपा दिया। जिस रस्सी से सतीश का गला कस कर हत्या की थी, उसे भी चारपाई के साथ ही खेत में फेंक आए। सतीश के शव को छिपाने के बाद अब रात में ही आरती का शव ठिकाने लगाना था। कृपाराम और राघवराम आरती के शव को कार से लेकर गांव से 20 किलोमीटर दूर अयोध्या पंहुचे। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे श्मशान घाट पर एक बालू के टीले में शव को दफन कर गांव वापस आ गए और घर में शांत होकर बैठ गए, ताकि किसी को दोहरे हत्याकांड का पता न चल सके, लेकिन 21 अगस्त सुबह सतीश के नहीं मिलने पर उसके घर वालों ने उसे बहुत तलाश किया। जब उन्हें जानकारी हुई कि आरती भी घर पर नहीं है तो उन लोगों ने तत्काल पुलिस को सूचना दे दी और सतीश के लापता होने की रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी। सतीश के परिजन भी आरती व सतीश के बीच चल रहे रिश्ते से वाकिफ थे।

थाने में आरती के पिता कृपाराम चौरसिया ने कहा कि हमारे यहां गांव के लड़के से शादी नहीं होती है। सतीश भले ही हमारी जाति का था, लेकिन वह था तो हमारे गांव का ही और ऊपर से वह आरती का भाई लगता था। आरती किसी दूसरे गांव के लड़के से बोलती तो हम लोग उसकी शादी करवा देते। हमारे घर से बीस मीटर की दूरी पर ही सतीश का घर था। रोज का आमना सामना होता है। वह बचपन से घर आता जाता था। दोनों साथ खेले, हम लोग उसे आरती का बड़ा भाई कहते थे। हम लोग आरती के साथ उसका रिश्ता कैसे मंजूर कर लेते ?

3-4 महीने पहले दोनों को गांव के एक युवक ने साथ साथ देख लिया था। दोनों बाहर कहीं साथ में बैठे थे। इस बात की जानकारी उसने हमें दी थी। तब आरती की घर पर बहुत पिटाई की थी। उसको सख्ती से मना किया था कि वह कभी सतीश से न मिले, लेकिन हफ्तेभर पहले वह सतीश से मिलने फिर चली गई। इसके बाद आरती के घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, लेकिन उसने सतीश को 20-21 अगस्त की रात को घर बुला लिया। अगर हम अपनी बेटी को नहीं मारते तो वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती। सतीश की निर्मम हत्या किए जाने पर उसके घर में कोहराम मच गया। मां प्रभावती और भाई बहनों का रोरो कर बुरा हाल हो गया था। सतीश के घर वाले और रिश्तेदार गम के साथ गुस्से में दिखे। सतीश की मां प्रभावती का कहना था कि आरती के पिता कृपाराम चौरसिया, भाई राघवराम के साथ ही उसका चाचा आज्ञाराम और उसका बेटा विजय भी इस हत्याकांड में शामिल हैं। कृपाराम व राघवराम ने भी थाने में पुलिस को उनके नाम बताए थे, लेकिन पुलिस ने केवल बाप बेटे को ही गिरफ्तार किया है। आरती के पिता व भाई ने जुर्म कबूल कर लिया। इससे आरती के चाचा आज्ञाराम और उसके बेटे विजय को राहत मिली है, लेकिन सतीश की मां अपने बेटे को न्याय दिलाने की खातिर अभी भी मामले में आज्ञाराम व विजय को आरोपी बनाए जाने की मांग कर रही है। उसका आरोप है कि जिस तरह से दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया है और दोनों की लाशों को घटनास्थल से हटाया गया है, उसमें सिर्फ 2 लोग ही शामिल नहीं हो सकते। प्रभावती अंतिम सांस तक सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए संघर्ष करने की बात कहती है।

गांव में हुए दोहरे हत्याकांड के खुलासे व आरती के पिता व भाई द्वारा हत्या करने का जुर्म कबूल करने तथा दोनों की गिरफ्तारी से गांव के लोग सन्न रह गए। गिरफ्तारी के बाद आरती के अन्य परिजन घर में ताला लगा कर भाग गए थे। पूरे गांव में इसी घटना की चर्चा हो रही थी। वहीं सतीश की हत्या की सूचना मोबाइल से पिता बिंदेश्वरी प्रसाद चौरसिया को दी गई, जो मुंबई में रहते थे। वे ट्रेन से मुंबई से गांव पहुंच गए। वे अपने बेटे की हत्या पर फफकते हुए बोले कि पता होता कि उसकी हत्या कर दी जाएगी तो उसे भी अपने साथ मुंबई ले जाते, जिससे बेटे को तो न खोना पड़ता। बिंदेश्वरी ने रोते हुए कहा कि फांसी की सजा देने का अधिकार तो सिर्फ अदालत को है, लेकिन बाप बेटे ने मिलकर जल्लाद की तरह मेरे जिगर के टुकड़े सतीश को फांसी दे दी।

डबल मर्डर में त्वरित कार्रवाई करने वाली पुलिस टीम में थाना प्रभारी सत्येंद्र वर्मा, एसआई विजय प्रकाश, हैड कांस्टेबल दया यादव, कुषार यादव, आशुतोष पांडे, अमरीश मिश्रा व कांस्टेबल रिषभ शामिल थे। एसपी अंकित मित्तल ने 24 घंटे में डबल मर्डर का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार करने पर पूरी पुलिस टीम को पुरस्कृत किया गया। इस तरह पुलिस ने गुमशुदगी के प्रकरण में भादस की धारा 302, 201 को शामिल किया। आरती व सतीश की हत्या पर कृपाराम व उसके बेटे राघवराम को गिरफ्तार कर 23 अगस्त 2023 को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।

यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी का दिल दुखाना, किसी को परेशान करना नहीं है, बल्कि हमारा मकसद है कि इस तरह की अपराधिक कहानियों के माध्यम से आमजन को सतर्क व सावधान करना है, ताकि भविष्य में कोई अन्य व्यक्ति ऐसा कोई कदम नहीं उठाए, जिससे खिलखिलाते परिवार अचानक टूट जाए। साथ ही कानून हाथ में लेकर खुद का जीवन बर्बाद न करें।

इस कहानी से सीख की बात करें, तो अगर आरती के पिता कृपाराम व उसके भाई राघवराम इतने आक्रोशित नहीं होते, तो न सिर्फ आरती व सतीश जीवित होते, बल्कि उन्हें भी जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाना पड़ता। अब आरती के परिवार में पिता- पुत्र के जेल में जाने के बाद परिवार पर बड़ा संकट खड़ा हो गया। ऐसी स्थिति में यह कहानी सुनने के बाद हर शख्स को अपने गुस्से पर काबू में करने के बाद ऐसी किसी भी परिस्थिति आए तो एक बार भविष्य में होने वाले परिणाम को लेकर जरूर विचार करना चाहिए, जिससे आरती व सतीश के घर पर जो हालात बने है, वे किसी के भी घर पर नहीं बने।

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