देश की बढ़ती जनसंख्या अब एक समस्या बनती जा रही है। ऐसे में इसपर रोक लगाने के लिए लगातार कानून बनाए जाने की मांग उठती रही है। अब देश में कठोर जनसंख्या कानून बनाए जाने को लेकर राज्यसभा में एक बिल पेश किया गया है। भाजपा के तीन सांसदों ने राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है।
इस बिल में ये सिफारिश की गई है कि यदि दो से अधिक बच्चे पैदा होते हैं तो माता-पिता को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए, जिनमें सरकारी नौकरी छीनने और मतदान करने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक पार्टी बनाने के अधिकार को समाप्त करने की बात शामिल है। भाजपा सांसदों सुब्रमण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव और अनिल अग्रवाल ने यह बिल पेश किया है। इस बिल में एक बच्चा नीति ( One Child Policy ) को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए जाने का सुझाव दिया गया है।
अब यदि इस बिल को सभापति से अनुमति मिल जाती है तो इसपर संसद के इसी सत्र में चर्चा के लिए रखी जा सकती है। दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार रविवार (11 जुलाई, विश्व जनसंख्या दिवस ) से प्रदेश में नई जनसंख्या नीति घोषित करने वाली हैं। ऐसे में अब इसपर पूरे देश में एक बार फिर से हिन्दू-मुसलमान की बहस छिड़ने की पूरी संभावना है।
बिल में क्या-क्या है प्रावधान?
जनसंख्या नियंत्रण बिल, 2021 में कई तरह के प्रावधान हैं। जिनमें दो बच्चों की नीति सबसे अहम है। इस बिल में कहा गया है कि जिन माता-पिता को 2 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, उनसे सरकारी सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा एक बच्चे की नीति पर भी खास ध्यान दिया गया है। इस बिल में दो से अधिक बच्चे होने पर माता-पिता के निम्न अधिकार छिन लिए जाने के कुछ प्रवाधान इस प्रकार हैं..
- किसी भी प्रदेश की सरकार की ए से डी कैटगरी की नौकरी में अप्लाई नहीं कर सकते।
- मुफ्त भोजन, मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी जैसी सब्सिडी नहीं दी जानी चाहिए।
- बैंक या किसी भी अन्य वित्तीय संस्थाओं से लोन नहीं प्राप्त कर सकते।
- केंद्र सरकार की कैटगरी ए से डी तक में नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते।
- निजी नौकरियों में भी ए से डी तक की कैटगरी में आवेदन नहीं कर सकते।
- इनसेंटिव, स्टाइपेंड या कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलना चाहिए।
- कोई संस्था, यूनियन या कॉपरेटिव सोसायटी नहीं बना सकते।
- वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और संगठन बनाने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
- ऐसे लोग कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते या किसी पार्टी का पदाधिकारी नहीं बन सकते।
- लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
- राज्यसभा, विधान परिषद् और इस तरह की अन्य संस्थाओं में निर्वाचित या मनोनित होने से रोका जाना चाहिए।
एक बच्चा होने पर मिलेंगी ये सुविधाएं
जनसंख्या नियंत्रण बिल में जहां दो से अधिक बच्चे होने पर कई अधिकार छीनने की सिफारिश की गई है, वहीं एक बच्चा की नीति को प्रोत्साहित करने के लिए कई सरकारी सुविधाओं को अलग से दिए जाने का प्रवाधान किए जाने की बात कही गई है। यदि कोई माता-पिता एक बच्चे के बाद अपना ऑपरेशन करा लेता है और दूसरा बच्चा पैदा करने की बात नहीं कहता है तो ऑपरेशन कराने वाले पति या पत्नी को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही यदि लड़का हुआ तो 50 हजार रुपये और लड़की हुई तो एक लाख रुपये अलग से सहायता राशि दी जाएगी। इतना ही नहीं, बच्चे को पढ़ाई के समय केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन, मेडिकल-इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट जैसे व्यावसायिक कोर्स करने के दौरान प्रेवश में प्राथमिकता दी जाएगी और फीस भी माफ कि जाने का प्रावधान किया गया है।
तीन बच्चे पर सख्त कानून
बिल में ये कहा गया है कि यदि कोई दंपत्ति तीन बच्चा पैदा करता है तो उसके साथ कठोरता के साथ कानून का पालन किया जाना चाहिए। इसमें यदि कोई दंपत्ति सरकारी नौकरी में रहते हुए तीन बच्चे पैदा करता है तो उसकी नौकरी खत्म कर देनी चाहिए। माता-पिता को वोट के अधिकार से वंचित कर देना चाहिए। इसके अलावा किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने के अधिकारी से वंचित कर देना चाहिए।
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तीन बच्चे पैदा करने वाले दंपत्ति को किसी भी प्रकार की सब्सिडी नहीं दी जानी चाहिए, ग्रेड ए से लेकर डी तक की नौकरी नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, इस बिल में ये भी कहा गया है कि यदि किसी केंद्रीय या राज्य सरकार के कर्मचारी को पहले से 2 संतान हैं, तो तीसरी संतान की अनुमति तभी मिलनी चाहिए जब दो में से कोई एक दिव्यांग हो।