राष्ट्रपति द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को भाजपा ने सभी राजनीतिक पदों से मुक्त कर दिया और बुधवार को वे असम में राज्यपाल की शपथ लेने जा रहे हैं। पार्टी ने उनकी विधायकी व नेता प्रतिपक्ष के पद का इस्तीफा भी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने स्वीकार कर लिया है। इधर, कटारिया के राज्यपाल नियुक्त होने के 9 दिन बाद भी भाजपा अब तक राजस्थान में नए नेता प्रतिपक्ष के नाम को साफ नहीं कर पाई। हालांकि अभी तो नेता प्रतिपक्ष के रूप में उप नेता राजेंद्र राठौड़ के साथ वसुंधरा राजे के नाम चर्चा में है। इसके अलावा भी कई भाजपा नेताओं के नाम चर्चाओं में है। विधानसभा के सदन में बीजेपी पार्टी का नेता कौन होगा, यह अभी तय नहीं किया जा सका है। विधानसभा सत्र चल रहा है। ऐसे में बीजेपी ने जब तक किसी नाम की घाेषणा नहीं हाे जाती है तब तक नेता प्रतिपक्ष के काम का जिम्मा उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठाैड़ काे संभालने के लिए कहा गया है।
उलेखनीय है कि गुलाबचंद कटारिया विशेष विमान से असम पहुंच चुके हैं, जिसके लिए वहां की सरकार द्वारा विशेष विमान उदयपुर भेजा गया था और उसमें कटारिया अपने परिवार के सदस्यों के साथ असम पहुंचे हैं। अभी विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है, जिसमें विपक्ष से नेता प्रतिपक्ष ही सवाल उठाते हैं। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष का रोल अहम है, मगर उप नेता राजेंद्र राठौड़ को वैकल्पिक तौर पर काम देखने के लिए कहा गया है। हालांकि यह राहत की बात है कि 27 फरवरी तक विधानसभा सत्र स्थगित है और 28 फरवरी सुबह 11 बजे से सत्र फिर शुरू होगा।
अभी चार नेताओं के नाम की खास चर्चा है
प्रदेश में गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद अब उप नेता राजेंद्र राठौड़, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया, कालीचरण सर्राफ और वासुदेव देवनानी के नाम चर्चा में है। पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है, मगर अभी नया प्रदेशाध्यक्ष नहीं चुने जाने तक वे ही प्रदेशाध्यक्ष बने हुए हैं। सर्राफ 6 बार से विधायक है, तो देवनानी पूर्व मंत्री रहे और संघ से जुड़े हुए। नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करने में बीजेपी द्वारा आने वाले चुनाव को देखते हुए जातिगत समीकरण को भी देखा जा सकता है। खैर, जो भी मगर बीजेपी जिसका भी निर्णय करेगी, वह चौंकाने वाला ही होगा, यह तो तय है।
नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाने की क्या है कारण
भाजपा द्वारा राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पाने के पीछे भाजपा में आपसी गुटबाजी को भी एक बड़ा कारण देखा जा रहा है। साथ ही चर्चा यह भी है कि जिसे भी नेता प्रतिपक्ष चुना जाएगा, वहां आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में दावेदान हो जाएगा। इसलिए केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा ही नेता प्रतिपक्ष के नाम को तय किया जाएगा। ऐसे में राजस्थान के सभी बीजेपी नेताओं की केंद्रीय नेतृत्व पर ही निगाह टिकी हुई है। यह तो साफ है कि जो भी विधायक अब नेता प्रतिपक्ष बनेगा, उसका कद स्वत: ही पार्टी में बढ़ जाएगा। इसलिए पार्टी द्वारा नाम साफ नहीं किया जा रहा है और इसको लेकर प्रदेश व केन्द्रीय नेतृत्व के नेता आपस में चर्चा कर रहे हैं। फिलहाल उप नेता राजेंद्र राठौड़ ही प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में काम करेंगे।
Update News : उदयपुर के वरिष्ठ BJP नेता गुलाबचंद कटारिया बने असम के राज्यपाल, अब उनकी जगह कौन ?
तीसरी बार नेता प्रतिपक्ष थे कटारिया
राजस्थान के इतिहास को देखा जाए तो वर्ष 1952 से लेकर अब तक 22 नेता प्रतिपक्ष बने और 22वें नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया थे और अब 23वें की घाेषणा होना प्रस्तावित है। स्वतंत्र पार्टी के लक्ष्मण सिंह 4 बार नेता प्रतिपक्ष बने, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भैराेंसिंह शेखावत भी तीन बार नेता प्रतिपक्ष रहे और गुलाब कटारिया भी पिछले ढाई दशक में तीन बार नेता प्रतिपक्ष रहे।
छह साल तक कोई नहीं था नेता प्रतिपक्ष
राजस्थान में विधानसभा के चुनाव 1957 में हुए थे, तब विपक्ष की संख्या नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए पर्याप्त नहीं थी। तब प्रदेश में कांग्रसे की सरकार थी और मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री थे। उस वक्त विधानसभा के 11 सत्र चले थे , जो आज दिन तक देखा जाए तो सबसे ज्यादा 306 बैठक हुई थी। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 1665.51 घंटे सदन वर्किंग काउंट हुई, जो अब तक का सबसे अधिक रिकॉर्ड है। मौजूदा अशोक गहलाेत की सरकार में अब तक कुल 7 सेशन हुए हैं।
कटारिया के शपथ समारोह में जा रहे कई बीजेपी नेता
गुलाबचंद कटारिया के बुधवार को असम में राज्यपाल शपथ ग्रहण समारोह में राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, उप नेता राजेंद्र राठौड़, प्रतापसिंह सिंघवी सहित कई विधायक गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए। इस तरह राजस्थान में जयपुर, अजमेर, राजसमंद, उदयपुर जिले से कई भाजपा नेता असम पहुंच रहे हैं।