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Hastimal Hasti पंचतत्व में विलीन : ग़ज़लों का वो शायर जिसकी आवाज़ जगजीत-पंकज उधास की आवाज़ में गूंजी

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Hastimal Hasti : प्रख्यात साहित्यकार हस्तीमल हस्ती, जिनकी गज़लें जगजीत सिंह और पंकज उधास जैसे गायकों ने प्रसिद्ध की थीं, सोमवार 24 जून को मुंबई में 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें ग़ज़लें, कविताएं, कहानियां और उपन्यास शामिल हैं। उनकी रचनाओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं को गहराई से उकेरा गया है। हस्तीमल जी के निधन से हिन्दी साहित्य जगत में एक बड़ी क्षति हुई है। उनकी मृत्यु से साहित्य प्रेमियों को गहरा दुख हुआ है।

Hastimal hasti biography : राजस्थान के उदयपुर संभाग में स्थित राजसमंद जिले के आमेट कस्बे में, एक जैन परिवार में 11 मार्च 1946 को Hastimal Hasti का जन्म हुआ। कपड़े के कारोबार से जुड़े परिवार में पले-बढ़े हस्तीमल जी की शिक्षा-दीक्षा आमेट में ही हुई। हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई के दौरान उनमें साहित्य के प्रति रूचि जागृत हुई। उस दौर में आने वाले कुछ अखबारों में प्रकाशित होने वाली साहित्यिक रचनाओं ने उन्हें खूब आकर्षित किया। एक बार उनकी एक कहानी किसी पत्रिका में प्रकाशित हुई, जिसने उन्हें साहित्यिक क्षेत्र में पहचान दिलाई। नियति ने उन्हें मुंबई खींच लाया, जहाँ उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय संभाला। कारोबार के साथ-साथ उन्होंने साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन जारी रखा। एक दिन, किताबों की दुकान पर गुजराती शायर बरक़त विरानी “बेफ़ाम” का मज्मूआ-ए-क़लाम उनकी नज़र में आया। इसे पढ़ने के बाद उन्होंने तय कर लिया कि अब वे केवल ग़ज़लें ही लिखेंगे। उन्होंने मुक्तकों से शुरुआत की और धीरे-धीरे ग़ज़लें लिखने लगे। ग़ज़ल के जानकार मित्रों से प्रतिक्रिया लेकर, उन्होंने रियाज़ किया और ग़ज़ल के शिल्प में निपुणता हासिल की। Hastimal Hasti ने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य जगत में एक खास मुकाम हासिल किया। उनकी ग़ज़लें अपनी गहराई और भावनाओं के लिए जानी जाती हैं। “प्यार का पहला खत लिखने में वक़्त तो लगता है” उनकी सबसे प्रसिद्ध ग़ज़ल है, जिसे जगजीत सिंह और पंकज उधास जैसे दिग्गज गायकों ने गाया है। 24 जून 2024 को मुंबई में उनका निधन हो गया।

Hastimal Hasti का नाम साहित्य जगत में हमेशा गूंजेगा

Hastimal Hasti, जिनका नाम हिन्दी साहित्य में ग़ज़लों के लिए हमेशा याद किया जाएगा, 24 जून को 78 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गए। पिछले 5 दशकों से वे मुंबई में सक्रिय रहकर साहित्य सेवा में लगे थे। ‘युगीन काव्य’ नाम की त्रैमासिक पत्रिका वे अपने खर्च से निकालते रहे। जगजीत सिंह और पंकज उधास जैसे प्रसिद्ध गायकों ने उनकी कई ग़ज़लों को अपनी आवाज़ में गाकर उन्हें लोकप्रिय बनाया। जगजीत सिंह की गाई ग़ज़ल “प्यार का पहला खत लिखने में वक़्त तो लगता है” Hastimal Hasti की ही लिखी हुई है। “उसका साया घना नहीं होता, जिसकी गहरी जड़ें नहीं होती” Hastimal Hasti का ही एक मशहूर शेर है। उनकी ग़ज़लों में जीवन के विभिन्न पहलुओं को गहराई से उकेरा गया है।

Hastimal Hasti shayari : प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है

Hastimal Hasti shayari : हस्तीमल हस्ती की लिखी ग़ज़ल “प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है” जगजीत सिंह द्वारा गाए जाने के बाद अत्यंत प्रसिद्ध हुई। इस ग़ज़ल में प्यार की शुरुआत, रिश्तों की गहराई और जीवन के अनुभवों को बेहद खूबसूरती से व्यक्त किया गया है। यहाँ ग़ज़ल के कुछ शेर दिए गए हैं:

प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है

जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है

गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है

हम ने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया
लेकिन गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है

वो भी चुप-चाप है इस बार ये क़िस्सा क्या है
तुम भी ख़ामोश हो सरकार ये क़िस्सा क्या है

शुरुआत में, Hastimal Hasti की शायरी ना तो उनके परिवार को रास आई और ना ही उनके व्यवसाय को। शायरी और व्यवसाय दोनों के बीच तालमेल बिठाना मुश्किल था। कई बार ऐसा भी हुआ कि शायरी उनके काम में बाधा बन गई। हताश होकर हस्ती जी ने शायरी छोड़ने का फैसला भी कर लिया। लेकिन ग़ज़ल, जिसके वे इतने मोहब्बत में थे, उन्हें दूर जाने नहीं देना चाहती थी। ग़ज़ल ने उन्हें ऐसा जकड़ लिया कि वे फिर कभी उससे अलग नहीं हो पाए। समय के साथ, हस्ती जी का नाम हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित शायरों में गिना जाने लगा। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने ग़ज़ल की बारीकियों को समझा और 80 के दशक तक उनकी शायरी अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी थी।

Pyar ka pahla khat likhne : हस्ती जी की शायरी की कुछ खास बातें:

Ghazal writer hastimal Hasti : हस्तीमल “हस्ती” की ग़ज़लों में रदीफ़ का अद्भुत प्रयोग:

Ghazal writer hastimal Hasti : Hastimal Hasti की ग़ज़लों में एक अनोखी बात है उनके रदीफ़ का चुनाव। वे अक्सर ऐसे रदीफ़ चुनते हैं जिन्हें ग़ज़ल में निभाना मुश्किल होता है, और फिर उन्हें अपनी रचनात्मकता और शब्दों की कला से बखूबी निभाते हैं। उदाहरण के लिए, “यूँ थोड़े ही होता है” रदीफ़ को निभाने वाले ये अशआर देखें:

काम सभी हम ही निबटाएँ ,यूँ थोड़े ही होता है
आप तो बैठे हुक़म चलाएँ,यूँ थोड़े ही होता है
अपने हुनर की शेखी मारे, वक़्त नाच का आए तो
आँगन को टेढ़ा बतलाएँ यूँ थोड़े ही होता है
कभी कभी तो आप भी हमसे, मिलने की तकलीफ़ करें
हरदम हम ही आएँ – जाएँ यूँ थोड़े ही होता है

हस्तीमल हस्ती

Who is Hastimal Hasti : हस्तीमल “हस्ती”: ग़ज़ल के एक सच्चे उपासक

Who is Hastimal Hasti : पिछले 15 वर्षों से, हस्तीमल “हस्ती” जी “युगीन काव्या” नामक एक अदबी पत्रिका का संचालन कर रहे हैं। अपने आभूषण व्यवसाय को बच्चों को सौंपकर, उन्होंने अपना जीवन साहित्य और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया है। उर्दू ग़ज़ल के प्रति समर्पित, हस्ती जी जैसे साहित्यकार दुर्लभ हैं। उनकी गहरी समझ, शब्दों पर मजबूत पकड़, और अनूठा लहजा उन्हें उर्दू ग़ज़ल के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान देता है। उर्दू भाषा के विशेषज्ञ न होने के बावजूद, ग़ज़ल के साथ उनका जीवंत संबंध उर्दू ज़ुबान के प्रति उनके प्रेम और समर्पण का प्रमाण है। हस्ती जी की सादगी और लगन ग़ज़ल प्रेमियों के लिए प्रेरणा है। निश्चित रूप से, आने वाले समय में, हस्तीमल “हस्ती” जी का नाम ग़ज़ल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज होगा।

Gajalkar Hastimal Hasti : इस गजल से मिली हस्तीमल को प्रसिद्धि

Gajalkar Hastimal Hasti : Hastimal Hasti, एक दुकानदार जिनके दिल में कवि छुपा था, उन्होंने “प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है” ग़ज़ल रची। ख़ुद को कलाकार के रूप में संतुष्ट करने की भावना से प्रेरित होकर लिखा गया यह शेर, उनकी प्रतिभा का प्रमाण बन गया। यह ग़ज़ल सुदर्शन फ़ाकिर तक पहुंची, जिन्होंने इसे जगजीत सिंह तक पहुंचाया। जगजीत जी ने इसे अपने एल्बम में शामिल किया, जिससे हस्तीमल जी रातोंरात प्रसिद्ध हो गए। प्रेम की भावनाओं से भरी यह गज़ल, दर्शकों के दिलों को छू लेती है। “प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है” जैसे शेर, प्रेम की शुरुआत में होने वाली हिचकिचाहट और धीरे-धीरे पनपते प्यार का सटीक चित्रण करते हैं। इस ग़ज़ल की सफलता के बाद हस्तीमल जी ने ग़ज़लें और लेख लिखे। उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया और उन्होंने “युगीन काव्य” नामक पत्रिका का संपादन भी किया।

हस्तीमल हस्ती : मुंबई की साहित्यिक दुनिया का एक सितारा

झक सफेद कुरते पायजामें और सफेद लटों वाले हस्तीमल हस्ती, मुंबई की साहित्यिक दुनिया में एक जाना-पहचाना चेहरा थे। उनकी मौजूदगी हर महफिल में एक जादुई एहसास घोल देती थी। कम ही लोग जानते थे कि ये शांत, संजीदा शख्स वही हैं जिनकी ग़ज़लें जगजीत सिंह और पंकज उधास जैसे दिग्गज गायकों ने गाई थीं। पेशे से स्वर्णकार हस्तीमल जी, सोने के साथ-साथ शब्दों को भी बखूबी गढ़ते थे। उनकी रचनाओं में जीवन के अनुभवों और भावनाओं की गहराई थी। ‘प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है’ उनकी सबसे प्रसिद्ध ग़ज़ल है। 24 जून को मुंबई में 78 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनका जन्म 11 मार्च 1946 को राजस्थान के राजसमंद में हुआ था। ‘क्या कहें किससे कहें’, ‘कुछ और तरह से भी’, ‘प्यार का पहला खत’ आदि इनके प्रमुख रचना संग्रह हैं। उन्हें महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया था। अपने जीवनकाल में उन्होंने ‘युगीन काव्य’ नामक एक त्रैमासिक पत्रिका भी निकाली।

हिन्दी साहित्य में अपूर्णीय क्षति

प्रसिद्ध ग़ज़लकार Hastimal Hasti के निधन पर सोशल मीडिया पर शोक की लहर दौड़ रही है। ट्विटर पर डॉ. कुमार विश्वास ने हस्तीमल जी को याद करते हुए लिखा, “प्यार से सरोबार सादा तबीयत इंसान और बेहद सादा लफ़्ज़ों में कमाल कह देने का हुनर रखने वाले हस्तीमल हस्ती नहीं रहे।” राजस्थान के रहने वाले हस्तीमल जी मुंबई में गहनों का व्यापार करते थे। नगीनों और हीरों को सही जगह जमाकर उन्हें जगमगाता आभूषण बनाने की कला में निपुण हस्तीमल जी ने शायद यही कला शब्दों में भी उतारी थी। उनकी ग़ज़लें जीवन के अनुभवों और भावनाओं से भरी होती थीं, जो सीधे दिल को छू जाती थीं। जगजीत सिंह और पंकज उधास जैसे दिग्गज गायकों ने उनकी ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी थी। हस्तीमल हस्ती के निधन से हिंदी साहित्य जगत में एक अपूर्णीय क्षति हुई है। डॉ. कुमार विश्वास ने उनके निधन पर गहरा दुःख प्रकट करते हुए कहा, “उनके जाने से हिंदी ग़ज़ल की दुनिया थोड़ी खाली हो गई है।”

Hastimal Hasti की कविता व गजलें

क्या ख़ास क्या है आम ये मालूम है मुझे
किसके हैं कितने दाम ये मालूम है मुझे
हम लड़ रहे हैं रात से लेकिन उजाले पर
होगा तुम्हारा नाम ये मालूम है मुझे
ख़ैरात मैं जो बांट रहा हूँ उसी के कल
देने पड़ेंगे दाम ये मालूम है मुझे
रखते हैं कहकहो में छुपा कर उदासियां
ये मयकदे तमाम ये मालूम है मुझे
जब तक हरा-भरा हूँ उसी रोज़ तक हैं बस
सारे दुआ सलाम ये मालूम है मुझे

~हस्तीमल हस्ती

औरों का भी ख़्याल कभी था अभी नहीं
इंसान इक मिसाल कभी था अभी नहीं
पत्थर भी तैर जाते थे तिनकों की ही तरह
चाहत में वो कमाल कभी था अभी नहीं
क्यों मैंने अपने ऐब छिपा कर नहीं रखे
इसका मुझे मलाल कभी था अभी नहीं
क्या होगा कायनात का गर सच नहीं रहा
हर दिल में ये ख़्याल कभी था अभी नहीं
क्यों दूर-दूर रहते हो पास आओ दोस्तों
ये ‘हस्ती’ तंग-हाल कभी था अभी नहीं

~हस्तीमल हस्ती

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