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एक बछड़ा व चार भैंस चोरी के मामले में 4 हजार की रिश्वत लेते हेड कांस्टेबल को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। भैंस चोरी करने वाला गांव का ही व्यक्ति था। इसका खुलासा होने के बाद पंचों ने दोनों पक्षों के बीच समझौता करवा दिया। बावजूद इसके कांस्टेबल 10 हजार रुपए की रिश्त मांग रहा था। इस पर एसीबी टीम ने कांस्टेबल को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

यह मामला राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड क्षेत्र का है। जहां बछड़ा व चार भैंस चोरी के मामले में आबूरोड सदर थाने के हेड कांस्टेबल मोतीलाल को चार हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ लिया गया। यह राशि तय रकम की दूसरी किस्त थी। पीडि़त परिवार इससे पहले साढ़े चार हजार रुपए दे चुका था। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) उदयपुर की टीम ने की। दरअसल भैंसों को गांव के ही व्यक्ति ने चुराया था। जिसका खुलासा होने के बाद पंचों ने मवेशी दिलवाते हुए दोनों पक्षों में समझौता करवा दिया था। भैंस चुराने वाले परिवार से पंचों ने 10 हजार रुपए बतौर हर्जाने के लिए थे। इसमें से आधी रकम परिवार को दी थी। हैड कांस्टेबल समझौता कराने के नाम पर पीडि़त परिवार से 10 हजार रुपए मांग रहा था। कार्रवाई के दौरान उदयपुर एसीबी के डीएसपी राजेंद्र मीणा, हेड कांस्टेबल रमेश चंद, मुनीर मोहम्मद, राजेश, दलपत सिंह, लक्ष्मण सिंह मौजूद थे। कांस्टेबल के पुराने रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।

परिवादी नैनमल ने बताया कि हेड कांस्टेबल बार-बार फोन कर 10 हजार रुपए मांग रहा था। इससे परिवादी और उसका परिवार तंग आ चुका था। ऐसे में उसने एसीबी में शिकायत करने का मानस बनाया। दो दिन पहले लॉकडाउन के दौरान बसें बंद होने से वो मोटरसाइकिल लेकर 160 किमी दूर उदयपुर पहुंचा। वहां उसने एसीबी टीम को पूरा मामला बताया। इसके बाद एसीबी की टीम ने बुधवार को मामले का सत्यापन कर गुरुवार को कार्रवाई की।

कांस्टेबल दूसरी किश्त के लिए बना रहा था दबाव
एसीबी उदयपुर के एएसपी उमेश ओझा ने बताया कि परिवादी नैनमल पुत्र मोहनलाल निवासी वे लांगरी फली मुरला तहसील आबूरोड ने परिवाद दर्ज कराया था। उसके भाई निर्मल व पिता मोहनलाल का एक बछड़ा और चार भैंसें गांव से चोरी हो गई थीं। परिवादी के भाई दिनेश गरासिया ने आबूरोड सदर थाने में परिवाद दर्ज कराया था। जिसकी जांच हेड कांस्टेबल मोतीलाल कर रहा था। समझौते के बाद भी 10 हजार की रिश्वत की मांगी जा रही थी। इससे पहले हैडकांस्टेबल ने परिवादी से 9 जून को 4 हजार 500 रुपए लिए थे।