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राजस्थान में तबाही मचा रही बारिश : बाढ़ के चलते प्रदेशभर में 6 हजार से ज्यादा लोगों को घर छोड़ना पड़ा, कई लोग पानी में फंसे 

Rain in Kota https://jaivardhannews.com/heavy-rain-in-rajasthan-and-kota-udaipur/

राजस्थान में भारी बारिश के चलते चौतरफा तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। बाढ़ के चलते प्रदेशभर में कोटा, बूंदी, झालावाड़ सहित कई जगह भारी बारिश के चलते 6 हजार से ज्यादा लोगों को घर छोड़ना पड़ गया, जबकि सैकड़ों लोग पानी में फंस गए, जिन्हें प्रशासन द्वारा रेस्क्यू कर बचाया गया है। बताते हैं कि 36 साल पहले कोटा को सबसे बड़ी बाढ़ का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2019 और अब तीन साल बाद भारी बारिश ने शहरवासियों को फिर से 1986 वाली त्रासदी याद दिला दी है। पिछले दो से तीन दिनों में बरसात ऐसी तबाही लेकर आई कि 6 हजार से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। चंबल नदी पहली बार इस तरह उफनी है। अपना किनारा छोड़कर उसका पानी शहर में घुस आया। बेघर हुए लोगों का रेस्क्यू कर शेल्टर होम में शिफ्ट किया गया। 10 से ज्यादा कस्बों में पानी-पानी ही नजर आ रहा है। कापरेन, अंता, सीसवाली, बारां, अकलेरा, अटरु, छबड़ा, रायपुर, पाटन, झालावाड़ सहित कई गांव पानी में डूबे दिखे। यहां कालीसिंध और पार्वती नदियों की बाढ़ ने और संकट खड़ा कर दिया है।

राजस्थान में इस बार टूटा बारिश का रिकॉर्ड

प्रदेश में इस बार बारिश का रिकॉर्ड टूटा है। आमतौर पर 24 अगस्त तक राजस्थान में राजस्थान में 428.65 एमएम बारिश होती है लेकिन अब तक 582.74 एमएम बारिश हो चुकी है। राज्यभर में अब तक 154 एमएम बारिश ज्यादा हुई है।
प्रदेश के राज्य के 716 छोटे-बड़े बांधों में करीब अस्सी फीसदी पानी आ चुका है। इनमें कुछ ऐसे भी है, जिसमें सौ फीसदी या फिर नब्बे फीसदी से ज्यादा पानी है।

आज भी बारिश का अलर्ट, कलेक्टर्स से मांगी रिपोर्ट

प्रदेश में बारिश का दौर अभी थमा नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार आज भी 10 जिलों में बारिश की चेतावनी है। इधर, सरकार ने सभी कलेक्टर्स से रिपोर्ट मांगी है कि किस क्षेत्र में कितने लोग बाढ़ से प्रभावित हो रहे हैं। इन क्षेत्रों में राहत के लिए कलेक्टर्स को अधिकार दिए गए हैं। आपदा राहत के लिए पहले से जारी बजट का कलेक्टर अपने स्तर पर उपयोग कर सकेंगे।

बारिश रुकी तो लोग घरों में सो गए, रात में बाढ़ का पानी घरों में घुसा

कोटा में बारिश रविवार दिन में शुरू हुई थी। जो 2 घंटे बरस कर बंद हो गई। लोगों को कुछ राहत मिली, लेकिन ये पता नहीं था कि आफत आने वाली है। लोग घरों में सो गए। रात में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे पानी बढ़ने लगा। घरों में घुस गया। कोटा, बारां, झालावाड़ के निचले इलाके इसकी चपेट में आते गए। देखते ही देखते चारों तरफ पानी भरने लगा। लोग घरों से बाहर निकलने लगे। परिवार और सामान को बचाने की जुगत में लग गए। कोटा के 12 से ज्यादा इलाके पानी में डूब चुके हैं। हालात को देखते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें उतारी गईं। उन्होंने रेस्क्यू शुरू किया। लोगों को घरों से बाहर निकाला गया। सरकारी स्कूल में शेल्टर होम बनाकर पहुंचाया गया। तालाब गांव, कौटिल्य नगर, तिरुपति नगर, गांवड़ी और जवाहर नगर समेत 20 से ज्यादा कॉलोनियों में पानी भर गया। यहां 5 हजार लोग फंस गए। 4630 लोगों को घरों रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। निचली बस्तियों से 1500, शहर के अन्य हिस्सों से 630, कैथून में 1500 और अलग-अलग हिस्सों से 1 हजार लोग रेस्क्यू किए गए।

कोटा बैराज के गेट खुलते गए और बारिश कॉलोनियां डूबती गईं

लगातार दो दिन तक बारिश का दौर नहीं रुका। नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को कोटा बैराज के गेट एक के बाद एक खुलते गए। इससे तालाब गांव, कौटिल्य नगर, तिरुपति नगर, गांवड़ी और जवाहर नगर समेत 20 से ज्यादा कॉलोनियों में पानी भर गया। 5 हजार से ज्यादा लोग पानी में घिर गए। बैराज से करीब 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।

झालावाड़ जिला भी हो गया पानी-पानी

तबाही का ये मंजर कोटा का ही नहीं था। कालीसिंध में बढ़ते पानी ने झालावाड़ को पानी-पानी कर दिया। कालीसिंध नदी का पानी शहर में घुसने से निचली बस्तियों सहित करीब 10 कॉलोनियां जलमग्न हो गईं। करीब 40 साल बाद शहर में ऐसे खतरनाक हालात बने हैं। इधर, रायपुर में भी कालीसिंध का पानी घुसने से खेत जलमग्न हो गए। बकानी, रटलाई और कई गांव टापू बन गए। पूर्व मुुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हेलिकॉप्टर में बैठकर जायजा लिया।

झालावाड़ में मंगलवार दोपहर बाद राजलक्षमी नगर, हरिनगर कॉलोनी, शुभम सिटी व ड्रिम सिटी व शिवाजी कॉलोनी से लोगों को नावों से रेस्क्यू किया गया। सारोला के हथोनी गांव में भी एसडीआरएफ ने रेस्क्यू कर 68 लोगों को बाहर निकला। कालीसिंध, उजाड़ व छापी नदियों के उफान से बकानी, रटलाई गांवों के रास्ते बंद हो गए।

झालावाड़ और बारां के निचले इलाकों में भरे पानी की हेलिकॉप्टर से फोटो। यहां दूर-दूर तक बाढ़ का पानी नजर आ रहा है।

बारां में पानी के साथ बह गए युवक

बारां में एमपी से आए पानी ने तबाही मचाई। मध्यप्रदेश में बीते दिनों हुई भारी बारिश के चलते छबड़ा क्षेत्र की सभी नदी व नाले उफान पर आ गए। वहीं पार्वती नदी में आए उफान से कई गांवों में बाढ़ के हालात बन गए। छबड़ा क्षेत्र के गुगोर गांव की निचली बस्तियों में पार्वती नदी का पानी घुस गया। यहां हरनावदाशाहजी में एक युवक सोमवार को मनोहरथाना रोड स्थित रपट पर तेज बहाव में बह गया था। उसका शव 16 घंटे बाद झाड़ियों में फंसा मिला। इसी तरह से अंता में एक युवक बरसाती नाले में बह गया। इसका शव भी घटनास्थल से 500 मीटर दूर मिला।

एमपी से आया पानी कोटा में लाया बाढ़

मानसून तंत्र कमजोर पड़ने के साथ कोटा संभाग में बारिश थम गई। रविवार देर रात कोटा में बारिश शुरू हुई थी। साथ ही मध्यप्रदेश में मूसलाधार बारिश के चलते चंबल उफान पर आ गई। इस नदी पर बने बांधों से निकासी के कारण कोटा संभाग में हालात इतने बिगड़ गए।

1986 में छोड़ा गया था 6 लाख क्यूसेक पानी

पानी उतरने से पहले ही शेल्टर होम से लौटने लगे लोग, घर में चोरी का डर

कोटा में बाढ़ की वजह से जो नुकसान हुआ इसका आकलन किया जा रहा है। पानी भरने से निचले इलाकों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस बीच पूरी तरह पानी उतरने से पहले ही लोग शेल्टर होम से अपने घरों को लौटने लगे हैं। उन्हें डर है कि कहीं घर में चोरी या लूट न हो जाए। बरसात से सिर्फ कोटा जिले मे ही 6 हजार परिवार प्रभावित हुए हैं।

रेस्क्यू के लिए तीन टीम, 6 हजार से ज्यादा को बचाया

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