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लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

राजसमंद. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अकील कुरैशी और संदीप मेहता की खंडपीठ ने देसूरी नाल में लगातार होते सडक़ हादसों को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। डेढ़ दशक में पांच सौ से ज्यादा लोगों की मौत के सवाल को लेकर हाईकोर्ट द्वारा पीडब्लूडी मुख्य सचिव, वन विभाग मुख्य सचिव, आरएसआरडीसी प्रबंध निदेशक के साथ राजसमंद जिला कलक्टर सहित 11 अधिकारियों से जवाब मांगा है।
न्यायिक सूत्रों के अनुसार देसूरी नाल नव निर्माण संघर्ष समिति अध्यक्ष भंवरसिंह मारवाड़ व गोविंदसिंह सोलंकी द्वारा अधिवक्ता नुपुर भाटी व संदीप सोनी के माध्यम द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिका में बताया कि 7 सितंबर 2007 को संभवत: देश का सबसे बड़ा सडक़ हादसा हुआ, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा आए दिन सडक़ हादसे हो रहे हैं, जिसमें प्रतिवर्ष दर्जनों लोगों की बेमौत हो रही है। गंभीर हालात के बावजूद न तो स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई ध्यान दिया जा रहा है और न ही सार्वजनिक निर्माण विभाग, राजस्थान राज्य सडक़ विकास प्राधिकरण, वन विभाग गंभीर है। इस कारण आए दिन सडक़ हादसे हो रहे हैं, जिसका खमियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। खास बात यह है कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी रूचि नहीं दिखाई। इस याचिका में बताया कि कि देसूरी की नाल में 12 विकट मोड़ है, जहां हर वक्त दुर्घटना का खतरा रहता है, जिसमें सबसे ज्यादा खतरनाक पंजाब मोड़ है, जहां हर तीसरे दिन एक हादसा हो रहा है। सडक़ काफी तंग व क्षतिग्रस्त है और ट्रेफिक काफी बढऩे से लगातार दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है। याचिका पर गहन विचार विमर्श के बाद लगातार सडक़ हादसे होने के बावजूद नवनिर्माण नहीं होने को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। याचिका में पीडब्लूडी मुख्य सचिव, वन विभाग के मुख्य सचिव, राजस्थान रोड विकास प्राधिकरण प्रबंध निदेशक, राजसमंद जिला कलक्टर, राजसमंद अतिरिक्त जिला कलक्टर, जिला परिवहन अधिकारी, उपखंड अधिकारी कुंभलगढ़, अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग राजसमंद, उपवन संरक्षक वन विभाग राजसमंद को पार्टी बनाया गया है, जिनसे हाईकोर्ट द्वारा जवाब तलब किया गया है।
याचिका बताए ये हालात, दिए सुझाव
देसूरी नाल में एस और एल आकृति में खतरनाक मोड़ है, जबकि पिछले 73 वर्ष में यातायात दस गुना बढ़ गया है। इस सडक़ का निर्माण 1952 में हुआ था, उसके बाद मरम्मत होती रही, मगर सडक़ की चौड़ाई नहीं बढ़ पाई। देसूरी नाल में 12 खतरनाक मोड़ है, जहां हर वक्त वाहन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा है। सडक़ की चौड़ाई 5.50 मीटर से कम है और खतरनाक ढलान 1:8 अनुपात का है और सडक़ किनारे 40 से 50 फीट तक गहरी खाई है। ढलान में 5 पुलिया बनी हुई है, जो भी बहुत संकरी है।

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पूर्व डीटीओ ने भेजी रिपोर्ट

राजसमंद के पूर्व जिला परिवहन अधिकारी अनिल पंड्या द्वारा अक्टूबर- नवम्बर 2019 में देसूरी नाल में बढ़ते सडक़ हादसों को लेकर पुलिस, परिवहन, पीडब्लूडी, हाइवे ऑथोरिटी अभियंताओं के माध्यम से सर्वे करवाया। इसकी एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें 12 विकट मोड़ और दुर्घटना के खतरे को बताते हुए भौतिक रिपोर्ट राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को भेजी गई। इसके साथ वन विभाग की रिपोर्ट भी संलग्न की गई। इसके बावजूद न तो राज्य सरकार स्तर पर कोई ध्यान दिया गया और न ही केन्द्र सरकार द्वारा कोई कार्य किया गया है।

याचिका में तात्कालिक उपाय के सुझाव

  • सडक़ किनारे सुरक्षा दीवार का निर्माण
  • खतरनाक मोड़ पर रिफ्लेक्टर व साइड लाइन बने
  • वाहन गति सीमा के बोर्ड लगाए जाए
  • देसूरी नाल में मोबाइल टावर लगवाया जाए
  • मानावतो का गुड़ा में स्थायी पुलिस चौकी खोलना
  • झीलवाड़ा टोल प्लाजा पर एम्बुलें, के्रन, फायर ब्रिगेड व हाइवे पेट्रोलिंग वाहन की व्यवस्था
  • देसूरी नाल में आवेरब्रिज या टनल को लेकर सर्वे होकर प्रोजेक्ट तैयार किया जाए

हाईकोर्ट ने माना गंभीर

देसूरी नाल के सुदृढ़ीकरण को लेकर जब अधिकारी, जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। हर तीसरे दिन हादसे हो रहे हैं और प्रतिमाह पांच से दस लोग औसतन मर रहे हैं। देश का सबसे भीषण हादसा भी यहीं हुआ, जिसमें सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी आधार पर हाईकोर्ट द्वारा जनहित याचिका स्वीकार की गई है। देसूरी नाल सुदढ़ीकरण को लेकर अब तक कोई ठोस प्रयास क्यों नहीं हो पाए हैं और क्या प्रयास किए, इसी को लेकर हाईकोर्ट द्वारा सरकार से जवाब तलब किया गया है।
भंवरसिंह चौहान, अध्यक्ष देसूरी नाल नव निर्माण संघर्ष समिति राजसमंद