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Hindi Kahani : Vasundhara Ki Sasu Maan – वसुंधरा की सासु मां, मूर्ति का रहस्य

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Hindi Kahani : वर्षों पुरानी बात है। यूपी के कारापुर जंगल के पास वाले एक गाँव में वसुंधरा रहती थी। विवाह के पश्चात्‌ जब वह ससुराल पहुँची तो सासु मां ने लपककर उसे गले से लगा लिया, लेकिन कुछ ही दिन बाद सास को पता चला कि बहू घर के काम में एकदम अनाड़ी है। शादी होने के बाद तो अब उसे रखना व घर तो चलाना ही था। इसलिए बहू से कहा ‘वसुंधरा, मुझसे पूछे बिना कोई काम मत करना।

Lok Katha : यदि ऐसा किया तो कुलदेवता का श्राप लग सकता है। इस पर बहू ने सिर हिलाकर हामी भर दी। फिर तो बस सारा दिन घर में यही आवाज़ें आती रहती थी कि मां जी कद्दू की सब्जी बना लूं? आटा कितना पीसना है? भैंस को चारा कब देना है? मैं बाल बांध लूं? लोटे से पानी पी लूं, घर की सफाई कर हूं, बर्तन ठीक से जमा लूं, कपड़े कौनसे धोने है और नहाने के बाद कौनसे कपड़े पहनुं आदि। कुछ दिन तक सब ठीक ठाक चलता रहा। एक दिन मामूली से बुखार में सासु मां चल बसीं। अब क्‍या हो सकता था ? वसुंधरा ने दिमाग लगाया और मिट्टी की सुंदर गुड़िया बनाई। उसी को वह सास मानकर घर का कामकाज करती। कोई भी काम करने से पहले वह मूर्ति से अवश्य पूछती। उसके पति मल्लण्णा ने भी कभी कुछ नहीं कहा। एक दिन वसुंधरा मूर्ति को अपने साथ बाजार ले गई। सामान की खरीदारी से पहले सासु मां की आज्ञा भी तो आवश्यक थी।

traditional story : उसने बाजार में सारा सामान मूर्ति से पूछ-पूछकर खरीदा। मल्लण्णा भी साथ ही था। वापसी पर बहुत अंधेरा हो गया। घने बादलों के छाने से हाथ को हाथ नहीं सूझता था। बरसात आने के पूरे आसार थे। हारकर पति-पत्नी ने एक पेड़ की डाल पर शरण ली। रास्ता सुनसान था। चारों ओर घना जंगल था। डर के कारण वे लोग पेड़ से ही नहीं उतरे। उन्होंने वहीं रात बिताने का निश्चय किया।

Jaivardhan News : दोनों सुबह से थके-हारे थे। पेड़ पर ही सो गए। आधी रात के करीब वसुंधरा की आंख खुली। उसे याद आया कि उन दोनों ने तो कुछ खाया ही नहीं। अवश्य ही मल्लण्णा को भी भूख लगी होगी। पोटली में पांच लड्डू थे। आदत के अनुसार उसने मिट्टी की सासु मां से पूछा भूख तो जोरों की लगी है। मैं दो खा लूं, इन्हें तीन दे दूं?’ उसी पेड़ के नीचे पांच चोर बैठे थे। चोरी के माल का बंटवारा हो रहा था। वसुंधरा की आवाज सुनकर उन्होंने सोचा कि निश्चय ही कोई चुड़ैल उन्हें खाने की योजना बना रही है। वे सामान उठाकर भागने की तैयारी करने लगे। तभी वसुंधरा के हाथ से मिट्टी की मूर्ति गिर पड़ी। हड़बडाहट में चोरों ने समझा कि चुड़ैल ने उन पर हमला कर दिया है। इस पर वे चोरी का सारा सामान वहीं मौके पर छोड़कर भाग खड़े हुए। उसके बाद वसुंधरा और मल्लण्णा पेड़ से नीचे उतरे और सारे कीमती सामान की गठरी बांधकर घर लौट गए। मिट्टी की सासु मां टूट गई थी। मल्लण्णा ने पत्नी को समझाया कि शायद अब मां स्वर्ग में चली गई हैं। उन्हें अधिक कष्ट नहीं देना चाहिए। इस पर वसुंधरा ने पति की आज्ञा का पालन किया और अपनी बुद्धि से गृहस्थी चलाने लगी।

Lok-Katha – लोककथा : Kahani – कहानी : Kavita – कविता

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