दिल्ली में हाल ही में महिला पायलट, उसके पति की भीड़ ने पिटाई की थी। इसकी वजह 10 साल की बच्ची को दंपती ने घर में काम पर रखा था और उसे प्रताड़ित भी किया। ऐसे कई मामले देश में सुर्खियों में रहे हैं। यहां जानते हैं बच्चों को काम पर रखने के क्या नियम हैं। ऐसा करने पर क्या सजा होगी बच्चों को कहां काम पर रखा जा सकता है? संविधान के अनुच्छेद 24 में स्पष्ट किया गया है कि खतरनाक कारखानों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं रख सकते। काम करने की कानूनी उम्र कुछ परिवार – आधारित नौकरियों को छोड़कर, किसी भी प्रकार के श्रम के लिए 14 वर्ष है।
मेड रखने के लिए नियम क्या है ?
अगर नाबालिग है तो…. बाल श्रम एक्ट के तहत बच्चों को न घर में नौकर रखा जा सकता है, न श्रम करवाया जा सकता है। अगर किसी के घर में नाबालिग नौकरी के लिए आता या आती है तो उसे काम पर रखने से बचना चाहिए, चाहे वो कितने भी कम पैसे में काम करने के लिए तैयार हो । घर में मेड रखने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन करना जरूरी है। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से करवा सकते हैं।
बच्चों से काम करवाते समय क्रूरता पर क्या होगा ?
बच्चों से काम करवाते समय क्रूरता किए जाने पर अपराधी माना जाता है। इसमें बालक को अनावश्यक मानसिक या शारीरिक कष्ट पहुंचाना, हमला करना, परित्याग या उत्पीड़न करना, जानबूझकर उसकी उपेक्षा करना या उस पर हमला किया जाना शामिल है। इस अपराध में दोषी को 3 वर्ष तक कैद और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। यौन अपराधों से संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पॉक्सो अधिनियम) भी है।
बाल श्रम करवाने पर क्या सजा मिलेगी ?
14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को किसी भी खतरनाक नौकरी में काम करने की अनुमति नहीं है। 14 वर्ष से कम आयु वालों को रोजगार देने वालों को 6 माह से लेकर दो वर्ष कैद और 20 हजार से 50 हजार रुपए तक जुर्माने या दोनों सजा का प्रावधान है। दूसरी बार अपराध करने पर एक साल से तीन साल तक के कारावास का प्रावधान है।
चाइल्ड लेबर की कहां शिकायत करें ?
कोई भी व्यक्ति, सिविल सोसायटी सदस्य, संस्था या संगठन बाल श्रमिकों या खतरनाक रोजगार में लगे किशोर श्रमिकों से संबंधित रिपोर्ट श्रम और रोजगार मंत्रालय के पोर्टल पर फोन से, पत्र भेजकर, लिखित में शिकायत करके, ईमेल, हेल्पलाइन पर, व्यक्तिगत रूप से दे सकते हैं। शिकायत चाइल्ड लाइन 1098, इमरजेंसी हेल्पलाइन- 112 (होम मिनिस्ट्री), बचपन बचाओ आंदोलन- 1800-102-7222 पर की जा सकती है।