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ICDS Minister के पति ने डॉक्टर से IAS बन ये कर दिया कारनामा, सरकार पर सवाल

ICDS Minister IAS Dr. Gansyam https://jaivardhannews.com/icds-ministers-husband-gave-95-notices-to-personnel-by-becoming-ias/

देश व प्रदेश में शायद यह पहला मामला होगा, जिसमें डॉक्टर से IAS बनते ही शुरुआती 5 महीनों में ही कार्मिकों को एक के बाद एक कर 95 नोटिस जारी कर दिए। IAS प्रमोटी डॉ. घनश्याम बैरवा ने यह किया है, जो राजस्थान महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के पति है। सबसे पहले अप्रैल 21 से अगस्त 21 तक राजस्थान पंचायतीराज विभाग में निदेशक थे, तब उननके द्वारा 5 कार्मिकों को 16 सीसीए के कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए, जो विभाग में अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत नोटिस जारी किए थे। राजस्थान के इतिहास में शायद यह पहला मामला है, जब किसी IAS ने कतिपय कार्मिकों को लगातार पांच माह की समयावधि में 95 नोटिस जारी कर दिए हो। खास बात यह भी है कि जिनको ये नोटिस दिए गए थे, उन कार्मिकों द्वारा भी एक भी नोटिस का कोई जवाब तक नहीं दिया गया। मामला यही नहीं थमा, जब IAS Dr. Gansyam Berwa का पंचायतीराज निदेशक पद से चिकित्सा विभाग में ट्रांसफर हो गया, तो डॉ. घनश्याम ने आनन फानन में कतिपय कार्मिकों को जारी किए गए सभी 16 सीसीए के नोटिस को एक ही आदेश से निरस्त भी कर दिया। इससे नोटिस देने और फिर निरस्त करने की यह कार्रवाई ही सवालों के घेरे मेंं आ गई है कि क्या ये नोटिस कोई अनैतिक दबाव बनानेे के लिए दिए गए थे। जबकि 16 सीसीए के नोटिस जारी होने के बाद वे एकाएक बगैर जांच के निरस्त ही नहीं होते हैं और कार्मिकों को नोटिस का जवाब देना भी जरूरी है। क्योंकि भविष्य में इन नोटिसों के आधार पर ही संबंधित कार्मिक व अधिकारी की वेतन वृद्धि, पदोन्नति आदि निर्भर करती है। जबकि आईएएस डॉ. घनश्याम बैरवा ने तो 16सीसीए के नोटिस व कार्रवाई को खारिज करने का आदेश जारी कर मजाक बना दिया है। इससे आईएएस अधिकारी डॉ. घनश्याम बैरवा की भूमिका और कार्मिकों की भूमिका भी संदेह के दायरे मेें आ गई है। अब इस पूरे मामले की चर्चा सचिवालय से लेकर मंत्रालय व सीएमओ तक है।

अब अतिरिक्त मुख्य सचिव ने फिर खोला मामला

ICDS Minister Mamata Bhupesh के पति और IAS Dr. Gansyam Berwa द्वारा कतिपय कार्मिकों को नोटिस देने और खारिज करने का मामला सचिवालय में चर्चा में आने के बाद सरकार भी हरकत में आ गई। इसके साथ ही पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार ने इस पूरे मामले की फाइल को री ओपन करते हुए गहन जांच शुरू कर दी है। इस तरह अब नोटिस पाने वाले कार्मिक व अधिकारियों केे साथ ही नोटिस देकर खारिज करने वाले आईएएस डॉ. घनश्याम बैरवा पर भी कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि राज्य सेवा नियमाें की खुली अवहेलना हुई है।

प्रमोशन के वक्त भी हुई थी चर्चा, तब CM ने दी थी सफाई

डॉ. घनश्याम बैरवा मूलत: चिकित्सा विभाग में डॉक्टर थे। फिर IAS सेवा नियमों के तहत वे राजस्थान अन्य सेवा कैडर (RAS नहीं) से पदोन्नत हुए और फरवरी 21 में IAS बने और उन्हें वर्ष 2015 बैच की वरियता मिली। चिकित्सा सेवा से पिछले 25 साल में कोई भी डॉक्टर IAS नहीं बना है, ज्यादातर डॉक्टर्स को तो यह जानकारी तक नहीं है कि उनकी सेवा से प्रमोट होकर IAS भी बनते हैं। राज्य सरकार की सिफारिश के बाद ही केन्द्रीय कार्मिक विभाग व संघ लोक सेवा आयोग के स्तर पर प्रमोशन की कार्रवाई की जाती है।

इन कार्मिकों को दिए थे नोटिस

आईएएस डॉ. घनश्याम बैरवा ने पंचायतीराज विभाग के पांच कार्मिकों को 95 नोटिस जारी किए। इस तरह विभाग के खेमराज पंवार को 3 नोटिस जारी किए। इसी तरह नंदकिशोर शर्मा को 19, रामजीलाल मीणा को 12, माशाराम यादव को 17 और सुरेश कुमार बुनकर को 44 सहित कुल 95 नोटिस दिए। ये सभी कार्मिक व अधिकारी पंचायतराज विभाग में सहायक व अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के पदों पर थे। उसके बाद जब डॉ. घनश्याम का चिकित्सा महकमे में ट्रांसफर हुआ, तो एक सिंगल पत्र जारी कर सभी 95 नोटिस को निरस्त कर दिया।

बिना जांच के खारिज नहीं हो सकता नोटिस

राज्य सेवा अधिनियम के तहत किसी भी कार्मिक व अधिकारी को अगर विभाग के उच्चाधिकारी द्वारा अगर 16सीसीए का नोटिस दे दिया, तो संबंधित कार्मिक व अधिकारी को जवाब पेश करना होगा। साथ ही वह नोटिस क्यों मिला और जांच में क्या रहा, उसकी डिटेल हमेशा के लिए उस कार्मिक की सर्विस बुक में रहेगी। कोई भी 16 सीसीए या 17 सीसीए का नोटिस इस तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। अगर नोटिस देने वाले अधिकारी का ट्रांसफर हो जाए या रिटायर भी हो जाए, तो भी वह नोटिस निरस्त नहीं हो सकता है। उस नोटिस का जवाब संबंधित कार्मिक व अधिकारी को देना ही होता है और फिर उस कार्रवाई भी होनी निश्चित है। हालांकि कार्रवाई जो भी हो, सकारात्मक भी हो सकती है और नकारात्मक भी हो सकती है, वह जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई होती है। इस नोटिस की जांच लंबित है और संबंधित कार्मिक व अधिकारी रिटायर हो गया, तो उस नोटिस की जांच पूर्ण होने तक रिटायर हुए कार्मिक की कुछ पेंशन व अन्य सेवा परिलाभ को विभाग रोक सकता है और जब वह नोटिस निस्तारित होगा, तब उसे उसका भुगतान मिलता है।

Notice पर नोटिस दिए, मगर उच्चाधिकारियों ने नहीं ध्यान

पंचायतीराज महकमे में निदेशक डॉ. घनश्याम बैरवा जब एक के बाद एक सभी कार्मिकों को नोटिस पर नोटिस देते रहे, मगर विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी कोई ध्यान क्यों नहीं दिया। इसको लेकर उनकी भूमिका भी संदेह के दायरे में आ रही है। ऐसे में महकमे के उच्च अधिकारियों के साथ सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगर नोटिस का जवाब नहीं दिया, तो निबंलन या 17 सीसीए की कार्रवाई की जा सकती थी, मगर वह कार्रवाई भी नहीं की।

अब सरकार जागी, शुरू की जांच

आईएएस डॉ. घनश्याम द्वारा पांच अधिकारियों को लगातार 95 नोटिस जारी करने और फिर एक आदेश से सभी नोटिस निरस्त करने की अनियमितता उजागर होने के बाद सरकार हरकत में आ गई। पंचायतीराज विभाग के सचिव अभय कुमार ने जांच शुरू की है। अब पूरी फाइल को देखा जा रहा है, जिसमें सभी अधिकारियों से जवाब व स्पष्टीकरण लेते हुए अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। अब विभाग के स्तर पर सभी पांचों अधिकारियों से न केवल एक-एक नोटिस ( कुल 95) का जवाब लिया जाएगा, बल्कि एक-एक नोटिस इस बात का भी उन्हें दिया जाएगा कि उन्होंने उन्हें मिले नोटिसों का जवाब क्यों नहीं दिया। अब जवाब आने के बाद पूरे मामले को पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा के समक्ष रखा जाएगा और उनके निर्देशानुसार ही अग्रिम कार्रवाई होगी।

CM Ashok Gehlot ने की थी IAS Dr. Gansyam की तारीफ

जब महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के पति डॉ. घनश्याम बैरवा के डॉक्टर से आईएएस बनने पर CM Ashok Gehlot से मुलाकात कर आभार व्यक्त किया गया था। उसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा एक कार्यक्रम में घनश्याम की तारीफ भी की थी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बोले थे कि घनश्याम डॉक्टर से आईएएस ऐसे ही नहीं बने, वे उनकी योग्यता से ही आईएएस पद पर पदोन्नत हुए हैं। उनकी पत्नी ICDS Minister है, इसलिए घनश्याम का IAS नहीं बने है। मुख्यमंत्री बोले कि घनश्याम अपनी काबिलियत से आईएएस बने हैं, जिन्होंने इंटरव्यू दिया और उससे सलेक्शन हुआ है। मुख्यमंत्री बोले कि अक्सर लोग यह समझते हैं कि अगर परिवार का कोई सदस्य मंत्री, विधायक, सांसद या मुख्यमंत्री है, तो उनके परिवार के सदस्य भाई, बेटा, बेटी, पत्नी या अन्य सदस्य किसी भी सरकारी सेवा में आसानी से चयन हो जाएगा, जो गलत है। योग्यता और मेरिट से ही चयन होता है, उसमें कोई राजनीतिक पहुंच काम नहीं आती है। मुख्यमंत्री बोले कि डॉ. घनश्याम का संघ लोक सेवा आयोग दिल्ली में इंटरव्यू भी अच्छा रहा और इसीलिए IAS बन पाए हैं।

ममता भूपेश दूसरी बार विधायक बनी

ममता भूपेश दूसरी बार सिकराय-दौसा विधायक चुनी गई। पहले 2008 में विधायक चुनी गई थी और उसके बाद 2018 में फिर विधायक बनी और उसके तहत मुख्यमंत्री गहलोत ने ममता भूपेश को महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया।

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