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ठोस रिसर्च किए बगैर बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई, तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं : हाइकोर्ट

01 74 https://jaivardhannews.com/if-children-are-given-corona-vaccine-without-doing-concrete-research-then-the-results-can-be-dangerous-delhi-high-court/

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हाईकोर्ट ने चिंता जाहीर की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ठोस रिसर्च किए बिना बच्चों को वैक्सीन लगाई जाती है, तो इसके नतीजे भयावह होने की आशंका है। एक याचिका का जवाब देते हुए कोर्ट ने यह बात कही। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस मांग पर आपत्ति जताई कि बच्चों के वैक्सीनेशन से संबंधित रिसर्च को समयबद्ध तरीके से किया जाए। कोर्ट ने कहा कि रिसर्च के लिए कोई टाइमलाइन नहीं हो सकती है।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बच्चों के वैक्सीन ट्रायल कब तक पूरे हो जाएंगे, इस बारे में कोई तय टाइमलाइन होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता ने इस तरह की मांगे रखीं तो कोर्ट इस मामले को ही रफा-दफा कर देगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी रिसर्च के लिए कोई टाइमलाइन नहीं हो सकती है।

फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन 12 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो सकती है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ही एक हलफनामा दाखिल करके कोर्ट को इस बात की जानकारी दी। जायडस ने 12 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए अपने ट्रायल पूरे कर लिए हैं। अब कंपनी संवैधानिक अनुमति मिलने का इंतजार कर रही है।

बायोटेक को भी मिली है क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति
हफलनामे में केंद्र सरकार ने यह भी बताया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 12 मई 2021 को भारत बायोटेक को कोवैक्सिन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी। यह ट्रायल 2 से 18 वर्ष के स्वस्थ बच्चों पर किए जाएंगे। यह हलफनामा दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बच्ची की याचिका पर दाखिल किया। बच्ची ने 12 से 17 साल के युवाओं को तुरंत वैक्सीन लगाए जाने की मांग की है।

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