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Video… राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी के “गृह क्षेत्र नाथद्वारा में हाइवे हजम कर रहा एक कारोबारी

राजस्थान में गहलोत सरकार के मंत्रियों और विधायकों की क्लास लेने वाले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के गृह क्षेत्र नाथद्वारा में खुलेआम धांधली चल रही है। खुलेआम हाइवे 8 किनारे एनएचएआई की जमीन पर बहुमंजिला भवन खड़ा करने के लिए निर्माण शुरू कर दिया। खास बात यह है कि अवैध निर्माण खुलेआम हो रहा है, मगर नगरपालिका नाथद्वारा के अध्यक्ष, आयुक्त से लेकर एनएचएआई के अधिकारी, उपखंड प्रशासन तक मौन साधे हुए हैं। एनएचएआई ने तो अवैध निर्माण करते पाए जाने पर नोटिस भी दिया, मगर आगे कोई कार्रवाई नहीं की।

इससे सवाल उठ रहे हैं क्या एनएचएआई, नगरपालिका नाथद्वारा के अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण हो रहा है। क्या सरकारी जमीन पर हजम हो रही है, मगर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को भी इससे कोई सरोकार नहीं। नाथद्वारा में सिंहाड़ तालाब के पास हाइवे किनारे खुलेआम अवैध निर्माण हो रहा है, उससे ठीक 100 मीटर दूरी पर पुलिस थाना है, जबकि नगरपालिका से लेकर तमाम अधिकारी भी इसी मार्ग से गुजर रहे हैं। ऐसे में कहीं न कहीं नगरपालिका के हर छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर आयुक्त, अध्यक्ष, एनएसयूआई के सर्वोच्च अधिकारी, नाथद्वारा क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधि भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सभी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से यह अवैध निर्माण हो रहा है।

नोटिस के बाद आग कार्रवाई क्यों नहीं

नाथद्वारा शहर में फोरलेन किनारे खुलेआम अवैध निर्माण होने पर एनएचएआई द्वारा बड़े कारोबारी प्रकाशचंद्र काबरा को नोटिस भी दिया, मगर न तो अवैध निर्माण रूका और न ही एनएचएआई ने अग्रिम कार्रवाई की। इससे कहीं न कहीं एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब अवैध निर्माण को लेकर मीडियाकर्मी एनएचएआई उदयपुर कार्यालय पहुंचे, जहां परियोजना निदेशक से बातचीत की गई, तो वे बगले झांकते नजर आए। मीडिया के सवाल पर यह जरूर बोले कि हाइवे की जमीन पर अतिक्रमण करने पर हमने नोटिस जारी किया हैं। नोटिस के बाद भी अतिक्रमण जारी रखने पर जिला कलक्टर को अवगत कराकर कार्रवाई की जाती है, मगर यह कार्रवाई उनके द्वारा नहीं की गई। हालांकि अंत में परियोजना निदेशक ने यह बात भी स्वीकार की है कि उनके द्वारा कोई स्वीकृति नहीं दी गई है।

Nathdwara city https://jaivardhannews.com/illegal-construction-on-highway-land-in-nathdwara/

नोटिस तक सीमित रह गई कार्रवाई

आपकों बता दें कि 14 जून 2022 के कंट्रोल ऑफ नेशनल हाईवे 2002 की धारा 24 और 26 यह तहत इस निर्माण को अवैध अतिक्रमण मानते हुए कार्य रोकने के लिए नोटिस जारी किया था। लेकिन ताज्जुब की बात है न तो मौके पर निर्माण कार्य रुका और न ही सर्विस रोड किनारे हो रहे इस निर्माण को रोकने के लिए नगरपालिका या उपखंड व जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कोई ध्यान दिया। यही नहीं, नगरपालिका नाथद्वारा के अध्यक्ष मनीष राठी भी अधिकारियों को जिम्मेदार बताते हुए पल्ला झाड़ दिया। इससे कहीं न कहीं नगरपालिका अध्यक्ष राठी की भूमिका भी संदिग्ध है, जबकि नगरपालिका आयुक्त सहित अन्य अधिकारी तो मीडिया से बात करने के लिए सामने नहीं आ रही है। नाथद्वारा शहर का प्रथम नागरिक और अध्यक्ष मनीष राठी ही यह बात बोलेंगे, तो जनता आखिर किसके पास जाएगी। क्या नगरपालिका अध्यक्ष के बस में नहीं है अधिकारी या वे मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहे हैं अथवा उनकी भी मिलीभगत है। कुछ ऐसे ही सवाल आम लोगों के मन में उठ रहे हैं कि आखिर नगरपालिका अध्यक्ष ऐसा जवाब कैसे दे सकते हैं।

परियोजना निदेशक की विरोधाभासी बातें

राष्ट्रीय राजमार्ग आठ किनारे नाथद्वारा में हाइवे की जमीन पर निजी बहुमंजिला भवन बनाने पर हाइवे ऑथोरिटी के परियोजना निदेशक ने माना कि निर्माण अवैध है। जून माह में नोटिस देकर निर्माण रोकने के लिए आदेश दिए। फिर भी निर्माण नहीं रोका। उसके बाद जिला कलक्टर की मदद से निर्माण ध्वस्त करने की बात जरूर कर रहे हैं, मगर परियोजना निदेशक राकेश राजपुरोहित द्वारा इसके लिए जिला कलक्टर से मिलना तो दूर पत्र तक नहीं लिखा है।

हाइवे किनारे दोहरा बर्ताव क्यों ?

खास बात यह है कि हाइवे किनारे जिस जगह प्रकाशचंद्र काबरा द्वारा भवन निर्माण किया जा रहा है, उससे कुछ ही कदम दूरी पर सिंहाड़ तालाब के पास अन्य भवन बन रहा है, जो हाइवे से काफी दूर बनाया जा रहा है। इसके लिए नियमानुसार बफर जोन व सेटबेक की जगह छोड़ी गई है। जहां हाइवे ऑथोरिटी के साथ नगरपालिका के अधिकारी व कर्मचारी भी मॉनिटरिंग कर रहे हैं, मगर उसके पास ही बड़े कारोबारी प्रकाशचंद्र काबरा द्वारा जो निर्माण किया जा रहा है, उससे रोकने के लिए किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने कोई जहमत नहीं उठाई। इस कारण अब लोग तो नगरपालिका आयुक्त से लेकर हाइवे ऑथोरिटी उदयपुर परियोजना निदेशक, उपखंड अधिकारी व जिला कलक्टर तक की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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