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Indian Democracy : जनता और जनप्रतिनिधि जनतंत्र की आत्मा है, इनसे ही चलती है देश की लोकशाही

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Indian Democracy : भारत एक पंथ निरपेक्ष बहुआयामी लोक संस्कृति का देश है। 1000 साल की गुलामी के बाद आजादी की हवा में तिरंगे के तीन रंग में दुनिया को सबसे बड़े लोकतंत्र का हवाला देते हुए विकास के रास्ते पर चल 75वीं वर्षगांठ मनाता विकासशील देश से विकसित देश बनने की और बढ़ता राष्ट्र है, जो भारत माता का ऊंचा दर्जा पाकर वन्दे मातरम् और वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धान्त पर चल दुनियां के साथ कंधे से कंधा मिलाकर गुट निरपेक्ष छवि के साथ अपने आपको जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा देते हुए परमाणु शक्ति सम्पन राष्ट्र की श्रेणी में लाकर खड़ा करता और दुश्मन देशों को उनकी ही भाषा में जवाब देता राष्ट्र बन गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है, मगर इस देश की कई आंतरिक समस्या है।

Poltical News : देश की 65 प्रतिशत आबादी गांव और ढाणियों में निवास करती है, बाकि कस्बों, शहरों और महानगरों में रहकर गुजर बसर करती है। देश का विशाल भू भाग वो भी भौगोलिक दृष्टिकोण से अलग अलग प्रकृति को अपने अन्दर समेटे हुए हैं। इसीलिए अलग-अलग प्रकृति की अलग-अलग समस्याएं हैं, जिस पर देश में शासन करने वाली राजनीतिक पार्टियों को ध्यान देने की जरूरत है। आम आदमी के मूलभूत सुविधाएं और मूलभूत समस्या रोटी, कपड़ा, मकान, सड़क, शिक्षा, शुद्ध पानी, स्कूल, अस्पताल, सड़क, पानी, विद्युत की व्यवस्था है, वहां की जनता खुशहाल जीवन जीती है, मगर देश की आजादी के बाद भी हर गांव, हर परिवार तक ये सुविधा सरकार की तरफ से अच्छी तरह से पहुंचनी चाहिए, मगर आज भी इसका कही-कही अभाव है।

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Poltical Alliance : देश की सबसे बड़ी ताकत मध्यम वर्ग

Poltical Alliance : इस देश की सबसे बड़ी ताकत मध्यम वर्ग है, मगर ये ही वर्ग आजादी के बाद से ही आज तक की राजनीति में सबसे ज्यादा उपेक्षा का शिकार हुआ है, जो सबसे ज्यादा टैक्स सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देता है, वो भारत का मध्यम वर्ग है। देश ही नहीं दुनिया के व्यापार का सबसे बड़ा बाज़ार आज भारत के मध्यम वर्ग की मेहरबानी से फल फूल रहा है, मगर सबसे ज्यादा मंहगाई की मार इसी वर्ग पर पड़ रही है। इसलिए इस और देश की नई सरकार को नीति बना मध्यम वर्ग के हितो का ध्यान रखने की जरूरत अब आन पड़ी है। रोटी, कपड़ा और मकान, शिक्षा ये देश के मध्यम और गरीबी रेखा के आस पास या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हर व्यक्ति की जरूरत है, मगर ये सब महंगें है। एक साधारणा आम आदमी, जिसकी आय इतनी कम है कि महीना खत्म होने से पहले ही वो खाली जेब हो जाता है वो आज के युग में शहर क्या छोटे कस्बे में प्लॉट नही खरीद सकता इतने आसमान छूते जमीनों के भाव है, मकान बनाना तो दूर की बात है, कोई छोटा, मोटा व्यापार करने वाला या सरकारी गैर सरकारी नौकरी करने वाला लोन लेकर मकान बना भी लेता है, तो 25-30 वर्ष तो किश्त भरने में ही निकल जाते हैं।

Political sarcasm : देश की राजनीति धर्म व जाति के वोट बैंक में उलझ गई

Political sarcasm : राशन का सामान, स्कूल की फीस, पेट्रोल का खर्च, दूध का बिल और पानी व लाइट का बिल आम आदमी बस इसी गणित में जोड़ तोड़कर अपना गुजारा कर रहा है। गरीब और ग्रामीण जनता को तो सरकार से कई तरह की योजना में छूट मिलती है, उसका आर्थिक बोझ भी मध्यम श्रेणी के लोगों पर ही प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। देश की राजनीति धर्म और जाति के वोट बैंक की गणित में ही उलझ कर रह गई है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा इस देश को उठाना पड़ रहा है। राजनैतिक पार्टिया इस नाम से जनता को भ्रमित कर लड़वा कर और बैजा वैचारिक मतभेद पैदा कर अपना उल्लू सीधा कर सत्ता में आने पाने का प्रयास करती है। आजादी के बाद से ही वर्ग भेद की राजनीति का ये चरित्र देखने को मिल रहा है, जिसे खत्म करना चाहिए।

Election Commission : चुनाव आयोग को लगाना चाहिए प्रतिबंध

Election Commission : जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने पर चुनाव आयोग को प्रतिबंध सभी राजनैतिक पार्टियों पर शक्ति से लगाना चाहिए। नई सरकार को एक देश एक कानून का बिल – जनसंख्या नियंत्रण बिल संसद में पास करना चाहिए। आरक्षण का लाभ जाति के साथ- साथ आर्थिक रूप से कमजोर सभी संप्रदाय और वर्ग को देना चाहिए। किसी भी जाति या वर्ग समुदाय का व्यक्ति हो जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता हो, उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। क्योंकि गरीबी, ऊँच नीच, जाति या अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक सम्प्रदाय पूछकर नहीं आती, गरीब परिवार किसी भी जाति में हो सकता है।

Democracy Development : दुनिया का हर बड़ा अस्थिर करने में लगा

Democracy Development : अपनी राजनैतिक पार्टी की सरकार बनाने की सोच के साथ सरकार बनाना और देश को उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए सरकार बनाना इन दोनों विचारधारा में बहुत अन्तर है। आजकल सभी राजनैतिक दल बस अपनी सरकार बनाने की सोच के आगे सोचते ही नहीं। इसीलिए जब भी अल्पमत की सरकारें बनी है, जिसमें किसी भी बड़ी पार्टी को बहुमत नहीं मिला वो सरकारे देश को आगे बढ़ाने में कामयाब होने से ज्यादा घोटालो और आपसी राजनैतिक खींचतान की भेंट चढ़ पड़ती- गिरती नज़र आती है, जो देश को अस्थिर और कमजोर करती है, जिससे देश की विदेश नीति सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। दुनिया का हर बड़ा देश दूसरे देश को अस्थिर करने में लगा है, जिससे दुनिया में उसकी ताकत उसका प्रभाव, उसकी तानाशाही कायम रहे।

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Two Party System : द्विदलीय शासन प्रणाली लागू करनी चाहिए

Two Party System : भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनने की और बहुत ही तेज कदमों से आगे बढ़ रहा है, ये दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों के लिए चिंता का विषय है। इसलिए दूसरे देश भी भारत में मजबूत सरकार नहीं बन पाए, उसके लिए साम, दाम, दंड, भेद की सभी नितियां व षड़यंत्रकारी कूटनीति का परोक्ष रूप से इस्तेमाल करते हैं। इसलिए देश के संविधान में बदलाव कर द्विदलीय शासन प्रणाली लागू करनी चाहिए, जो दुनिया के कई देशों में सफल है। इससे भारत में 5 वर्ष के लिए हर बार स्थिर सरकार बनेगी, जो राजनीतिक पार्टी जनता के हितों का ख़याल रखेगी, वह पार्टी बहुमत लाने में कामयाब होगी और जो नहीं सफल होगी, वो विपक्ष में बैठगी। इससे सभी क्षेत्रीय दल अपनी विचारधारा से मेल खाते हुए राष्ट्रीय दल में समाहित हो जाएंगे। इससे संपूर्ण राष्ट्र का विकास एक सोच और एक रणनीति के अंतर्गत बिना किसी भेदभाव और दबाव से होने की संभावनाए बढ़ जाएगी, जिससे गांव और ढाणी में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी की समस्या एक तरह से पूरी तरह खत्म हो जाएगी और जो विरोध के स्वर जो देश के कौने कौन से अलग अलग आंदोलन के रूप में उठते है, वो भी समाप्त हो जाएंगें।

Indian Poltical News : जीत के बाद भी जनता के बीच रहना जरूरी

Indian Poltical News : देश में स्थानीय और राष्ट्रीय समस्या दोनों ही जनमत को प्रभावित करती है। कई बार क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं की वजह से भी जनप्रतिनिधि हार जाते हैं, क्योंकि वो उन समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं, मगर जिस राजनीतिक पार्टी के जनप्रतिनिधि ज्यादा हारते हैं, वो पार्टी बहुमत में देश हित में कार्य करने के बावजूद भी नहीं आ पाती, इसका उदाहरण वर्तमान में हुए लोकसभा चुनाव में देखने को मिला है। इसलिए जनप्रतिनिधियों को स्थानीय समस्याओं का समाधान करने के लिए हमेशा जनता के संपर्क में रहने की आवश्यकता है। क्योंकि कई जनप्रतिनिधि जीत जाने के बाद जनता का हालचाल पूछने के लिए नहीं आते हैं, वो अपने आपको जनसेवक से ज्यादा दाता मान लेते हैं और क्षेत्र की जनता को हाथ जोड़कर मांग करने वाला याचक जिस जनप्रतिनिधि में यह छंदम अहंकार आ जाता है, उसे जनता हरा देती है क्योंकि वो जन भावनाओं का सम्मान नहीं करते हैं। जनप्रतिनिधियों को अपनी इस बुराई पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

NDA Alliance : जनता के पास वोट की ताकत

NDA Alliance : जनता के पास वोट देने की इतनी बड़ी ताकत हमारे संविधान में दे रखी है, जिसकी बदौलत वो सत्ता का उलट फैर करने की क्षमता रखती है। इसलिए जनता कि इस ताकत का जनप्रतिनिधियों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए। भारत में बढ़ती हुई बेरोजगारी को कम करने के लिए छोटे व्यापार कुटीर उद्योग धंधे विकसित करते हुए चीन की तरह घर-घर में छोटे बड़े काम सरकार की तरफ से लोगों को देने चाहिये बढ़ती हुई मॉल संस्कृति के बाजार और ऑनलाइन बाजार पर सरकार को अंकुश लगाते हुए स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयास करने चाहिए, जिससे छोटे व्यापार और काम धंधे छोटे बड़े शहर कस्बों में फिर से चल सके और रोजगार की संभावना बढ़ सके इस और इस सरकार को ध्यान देने की आवश्यता है। कई बार छोटे-छोटे स्थानीय मुद्दे चुनावों को इस तरह से प्रभावित करते है जिस तरह से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे प्रभावित नही करते इस लिये आम जनता के छोटे मुद्दे और स्थानिय मुद्दे को उनके क्षेत्र में आर्थिक सामाजिक समस्याओं का समाधान करते रहना चाहिए,जो नेता जनप्रतिनिधि जनता का दिल जीत लेता है वो जनप्रिय नेता एवं जन प्रिय जन प्रतिनिधि बन जाता है इस लिये त्याग समर्पण और सेवा के भाव से एक जन सेवक की तरह जनता का दुःख दर्द पीड़ा तकलीफ़ समझते हुए उनके बींच रहते हुए लोग सभा विधान सभा में उनके हित के मुद्दे उठाना चाहिये जो समस्या का निराकरण करने में इसमें कामयाब हो जाता है वो सच्चा और अच्छा जन सेवक कहलाता है और इस दुनिया को छोड़ जाने के बाद भी बरसो बरस जनता के दिलो में याद बन कर आबाद रहता है।

Indian Alliance : जनता व जनप्रतिनिधि एक सेतु है

Indian Alliance : जनता और जन प्रतिनिधि दोनों ही वो सेतु है, जो जनतंत्र की नैया को मिलकर पार लगाते हैं। इस लिहाज से जनता और जन प्रतिनिधि जनतंत्र की आत्मा है क्योंकि जनता जनप्रतिनिधि के माध्यम से ही देश में लोक शाही चलाती है। आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी लोकशाही है और सबसे बड़ी बात विभिन्न जाति धर्म संप्रदाय समाज होने के बावजूद देश सफलतम जनतंत्र की व्यवस्था देने में कामयाब रहा है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद मायोवाद, आतंकवाद, जातिवाद जैसी अनेक समस्याओं से जूझकर भी हम इस देश को विकसित भारत बनाने में कामयाब रहे हैं। इसमें देश की राजनीति का भी बहुत ही बड़ा योगदान है।

सूर्य प्रकाश दीक्षित
वरिष्ठ साहित्यकार व कवि
काव्य गोष्ठी मंच, कांकरोली
मो. 94146-21730

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