ईश्वर में आस्था रखने वाले सभी आस्तिकों के लिए, प्राकृतिक छटा एवं पर्यावरण संजोकर रखने वालों के लिए, राष्ट्रवाद और देश भक्ति को सर्वोपरी मानने वालों के लिए, भारतीय नारी के गौरव को अक्षुण रखने वालों के लिए, महापुरूषों के जीवन से सीख लेने वालों के लिए और अपने परायों से प्रेम बनाए रखने वालों के लिए शिलान्यास पुस्तक मनहरण घनाक्षरी छन्द संग्रह की यह पुस्तक कवि प्रमोद सनाढ्य ने सरल, सहज और मनभावन मनोयोग के साथ लिखी है। अपनी स्वानुभूति में ही कवि प्रमोद सनाढ्य ने स्पष्ट कर दिया कि शिलान्यास किसी भौतिक इमारत का नाम न होकर युग के निर्माण, पौराणिक सनातनी संस्कृति को संजोकर रखते हुए आधुनिक पद्धति के परिवेष एवं मां भारती की मर्यादा, एकता, अखण्डता, समरसता, सद्भाव की प्रवृति के सूचक के रूप में किया गया है।
शिलान्यास पुस्तक के घनाक्षारी छन्दों में कृष्ण भक्ति के बाल लीलाओं का वर्णन देश भक्ति, शहीदों की गाथा, प्रकृति व नारी शृंगार, मिलन एवं विरह राजनैतिक परिवेश और हास्य का भी समावेष किया गया है। पुस्तक में छोटे मोटे 78 घनाक्षरी छन्दों को अपनी काव्यकला से कवि ने बड़ी लगन और मेहनत के साथ पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। गणेश वन्दना से प्रारम्भ रचना सरस्वती वन्दना, शिव वन्दना, हनुमानजी वन्दना, मां भारती वन्दना, सत्यमेव जयते की ज्योत जगाती है। नवरात्री के नवरूप की स्तुति मां शैलजा, मां ब्रम्हचारिणी, चन्द्रघंटा, मां कुष्माण्डा, मां स्कन्धा, मां कात्यायिनी, मां चामुण्डा, मां महागौरी व मां सिद्धीदात्री की वन्दना भक्ति रस में सराबोर कर देती है।
सम्पूर्ण रामायण को 9 घनाक्षरी छंदों में बड़े सुन्दर ढ़ंग से कवि प्रमोद सनाढ्य ने संवारा है। पूरी रामायण को शुरू से अंत तक 9 छंदों में समेट कर रामायण का सम्पूर्ण आनन्द पाठकों तक पहुंचाने का कवि ने सफल प्रयास किया है। शिलान्यास, शिव की बारात, नन्द के कुचेरे, राधा संग श्याम अच्छी रचनाएं है।
इसी तरह पुरी पुस्तक के छन्द पढ़कर एक आलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है। कवि का हृदय कृष्ण भक्ति में मंगन लगता है, पुस्तक में कई रचनाएं कृष्ण को इंगित कर लिखी गई है। चुगली, श्याम श्रृंगार, तिरथ पायल, पनघट आदि ऐसी ही रचनाएं हैं, सम्पूर्ण पुस्तक को पढ़कर ही कवि के मनोभाव को समझा जा सकता है। सचमुच यह पुस्तक सहृदय पाठकों के लिए और आस्तिक पाठकों के लिए एक अमूल्य निधि है । कवि प्रमोद सनाढ्य को इस अच्छी पुस्तक के लिए ढेरो बधाईयां ।
अफज़ल खां अफज़ल वरिष्ठ साहित्यकार जलचक्की, राजसमंद मो. 98284-75288