Jagdeep Dhankhar in BJP Leader 1 https://jaivardhannews.com/jagdeep-dhankhar-of-rajasthan-may-become-the-vice-president/

NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किए गए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ वकालत से लेकर राजनीति तक प्रभावशाली चेहरा रहे हैं। मौजूदा सियासी समीकरणों के ​आधार पर जगदीप धनखड़ का उप राष्ट्रपति पद पर चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है। झुंझुनू निवासी धनखड़ के जीतने के बाद संसद के दोनों सदनों को चलाने वाले राजस्थान के नेता होंगे। कोटा से सांसद ओम बिडला लोकसभा अध्यक्ष हैं। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं, इस लिहाज से धनखड़ राज्यसभा चलाएंगे। भाजपा द्वारा जगदीप धनखड़ को प्रत्याशी बनाया गया है।

हाई प्रोफाइल मुकदमों की पैरवी की

झुंझुनू जिले के एक छोटे से गांव किठाना में पैदा हुए जगदीप धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वकालत की। हाईकोर्ट में कई हाई प्रोफाइल मुकदमों की पैरवी की। जेपी आंदोलन के दौरान भी धनखड़ सक्रिय रहे थे। वकालत से लेकर सियासत तक दोनों मोर्चों पर धनखड़ बराबर अपना लोहा मनवाते रहे हैं। दिग्गज नेता देवीलाल के नजदीक रहे। पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व सीएम भैरोसिंह शेखावत के भी नजदीकी रहे हैं। जनता दल से सांसद, कांग्रेस से विधायक रहे। केंद्र में लॉ मिनिस्टर रहे। 

झुंझुनू के किठाना गांव में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के घर में जश्न का माहौल है। वहां रिश्तेदार और ग्रामीणों ने बधाइयां दीं। मिठाइयां भी बांटी गई हैं।

संघ के प्रति झुकाव बढ़ा

90 के दशक के बाद जगदीप धनखड़ RSS में सक्रिय हुए। उन्होंने वकीलों का संगठन बनाकर उन्हें संघ से जोड़ना शुरू किया। अधिवक्ता परिषद के गठन में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। अधिवक्ता परिषद में काम करने से उनके RSS और BJP के टॉप नेताओं से संपर्क बढ़े। राज्यपाल बनने से पहले तक वे वकालत के साथ संगठन के कामों में लगातार एक्टिव रहे।

जगदीप धनखड़ के पैतृक गांव में जश्न का माहौल

एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने के बाद धनखड़ के गांव किठाना (झुंझुनू) में खुशी का माहौल है। गांव वालों ने मिठाइयां बांटीं। धनखड़ कुछ समय पहले ही पैतृक गांव गए थे, जहां उन्होंने विकास के कामों का लोकार्पण भी किया था।

जगदीप धनखड़ के भाई रणदीप धनखड़ और उनकी बेटी शीतल धनखड़। जयपुर में धनखड़ के परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाइयां बांट बधाई दी। शीतल धनखड़ यहां सूचना आयुक्त हैं।
जगदीप धनखड़ के भाई रणदीप धनखड़ और उनकी बेटी शीतल धनखड़। जयपुर में परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाइयां बांट बधाई दी। शीतल धनखड़ यहां सूचना आयुक्त हैं।

धनखड़ के सभी पार्टियों से अच्छे संपर्क, वसुंधरा ने दी बधाई

जगदीप धनखड़ के भाई रणदीप धनखड़ कांग्रेस नेता हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) के अध्यक्ष रहे हैं। जगदीप धनखड़ के राजस्थान के सभी पार्टियों के नेताओं से अच्छे संपर्क हैं। 18 मई 1951 को झुंझुनू जिले में साधारण किसान परिवार में पैदा हुए जगदीप धनखड़ की शुरुआती शिक्षा गांव में हुई। फिर उनका एडमिशन सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में करवाया गया। धनखड़ का NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में सिलेक्शन हो गया था, लेकिन वो गए नहीं। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद LLB की पढ़ाई की। जयुपर में ही रहकर वकालत शुरू की थी। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बधाई दी है। उन्होंने शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया है।

देखिए क्या है वोट और जीत का गणित

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है। उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं। इनमें चुने गए और मनोनीत दोनों सदस्य वोट डाल सकते हैं। अभी लोकसभा में पूरे 543 सांसद हैं। राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं। इनमें 12 नामित रहते हैं। अभी 8 सीटें खाली हैं। इनमें से 4 जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के कारण जबकि एक सीट त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बने माणिक साहा ने छोड़ी है। 3 नामित सदस्यों की सीट भी खाली हैं। यानी आज की स्थिति में चुनाव में 237 राज्यसभा सांसद वोट करेंगे। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 237 सदस्य मिलाकर कुल 780 सदस्य हैं। प्रथम वरीयता के 391 वोट मिलने पर उम्मीदवार जीत जाएगा। लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं जबकि राज्यसभा में 91 यानी अकेले भाजपा के वोटर्स मिलाकर 394 वोट हैं। 5 नामित सदस्य मिलाकर यह संख्या 399 हो जाती है। अभी लोकसभा में 31 और राज्यसभा में 16 सांसदों का समर्थन भाजपा को मिला है। ये मिलाकर NDA के 446 वोट हो जाते हैं। यानी NDA ‌उम्मीदवार की जीत पक्की है।

भाजपा ने फिर उप राष्ट्र प्रत्याशी में चौंकाया

बीजेपी (BJP) ने एक बार फिर से चौंकाने वाला फैसला लेकर सबको चकित कर दिया है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार (Vice President Candidate) घोषित किया है. जगदीप धनखड़ राजस्थान (Rajasthan) के रहने वाले हैं और किसान परिवार से आते हैं. सार्वजनिक तौर पर उनके नाम की घोषणा करते हुए शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें किसान पुत्र कहकर संबोधित किया, जो अपने आप में बड़ी बात है. तो क्या भाजपा की नजर साल 2023 में राजस्थान में और 2024 में हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है?

आखिर भाजपा की पहली पसंद क्यों बने धनखड़?

राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव के किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का किसानों की बीच बड़ी पैठ है और वे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जाने माने वकील और राजनेता रहे हैं. धनखड़ हरियाणा (Haryana) के किसान नेता के रूप में प्रसिद्ध चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) के करीबी रहे हैं और अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे. तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की थी। धनखड़ वीपी सिंह (VP Singh) के दौर में जनता दल (Janta Dal) में थे. खास बात यह है कि वे भाजपा या आरएसएस (BJP, RSS) की मूल विचारधारा से नहीं आते, बल्कि किसान राजनीति से आते हैं. वह संवैधानिक पदों पर रहकर चुप रहने वाले नेता नहीं, बल्कि अहम मुद्दों पर अपनी टिप्पणी देने वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं।

साल 1989 में धनखड़ भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा से चुनाव जीते थे और पहली बार संसद पहुंचे थे. वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे थे. जनता दल के विभाजन के बाद वो देवेगौड़ा के खेमे में चले गए थे और जनता दल से टिकट नहीं मिलने पर वो बाद में कांग्रेस में चले गए. उन्होंने अजमेर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. साल 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए। जगदीप धनखड़ राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे हैं. उन्होंने जाट बिरादरी को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए जाट आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी. जब एक और जाट नेता व वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार के खिलाफ इन दिनों मुखर हैं तो धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने जाट समुदाय को साधने की कोशिश की है।

राजस्थान-हरियाणा को साधने की कोशिश

राजस्थान में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव साल होने वाले हैं और वहीं हरियाणा में साल 2024 में. दोनों राज्यों में से राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. तो वहीं, हरियाणा में अभी मनोहर लाल खट्टर की सरकार है और बीजेपी अगले चुनाव में भी अपनी जीत यहां सुनिश्चित करना चाहती है. राजस्थान विधानसभा की सीटों की बात करें तो यहां 200 सीटें हैं. विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर 2023 में खत्म होने जा रहा है. यानी दिसंबर 2023 से पहले यहां चुनाव कराए जा सकते हैं.

राजस्थान में खार खाई बीजेपी जीत के लिए इस बार किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती और जीत हासिल करने के लिए वो अपना पूरा दम-खम लगा देगी. यहां कांग्रेस और बीजेपी में इस बार के चुनाव में सीधी टक्कर होने की संभावना है. पिछले दो दशक से राजस्थान में भाजपा का दबदबा था और वसुंधरा राजे की तूती बोलती थी. लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी राजस्थान में नया नेतृत्व तलाश कर रही है. बीजेपी को 2023 में यहां सत्ता में वापसी करने की उम्मीद है.