लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद
jaipur fire incident : जयपुर में शुक्रवार अल सुबह अजमेर हाईवे पर हुए भीषण एलपीजी टैंकर हादसे ने एक बार फिर मौत का तांडव रचा दिया। इस हादसे में उदयपुर से जयपुर जा रही लेकसिटी ट्रेवल्स की एक स्लीपर बस भी जलकर राख हो गई। इस बस में सवार राजसमंद के दो युवक जगदीश और सुनील बाल-बाल बच गए। धमाके की आवाज सुनकर उन्होंने खिड़की से देखा तो चौतरफा आग की लपटे थी और उनकी बस भी आग के आगोश में आ रही थी। यह देखकर वे दौड़कर बाहर निकलने के प्रयास करने लगे, मगर बस का गेट लॉक हो गया। इस कारण दोनों युवकों ने खिड़की की ग्रील व कांच तोड़कर बाहर कूद गए। इस कारण दोनों युवकों के हाथ आग से झुलस गए। दोनों हाथ में आग से जल गए। फिर भी जान बच गई। क्योंकि वहां जो भी लोग आग की चपेट में आए, ज्यादातर लोग कपड़े खोलकर भागते हुए दिखाई दिए और कई लोगों के तो वाहनों में कंकाल ही मिले, जो जिंदा जल गए।
Jaipur Accident update : उल्लेखनीय है कि अग्निकांड में 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 33 लोग झुलसे हैं, जिनका अभी उपचार जारी है। इस हादसे में राजसमंद जिले के माेही निवासी जगदीश (30) पुत्र शंकर लाल रेगर और भवानीनगर, चौथी गली, कांकराेली, राजसमंद निवासी सुनील पुत्र (28) लेहरूलाल खटीक भी शामिल थे, जो गुरुवार रात साढ़े 10 बजे उदयपुर से जयपुर जाने वाली लेकसिटी ट्रेवल्स की बस में कांकरोली से जयपुर जाने के लिए बैठे थे। वे बस में सोए हुए थे और जयपुर में उनकी बस पहुंच गई, तभी धमाके के साथ आग की चपेट में उनकी बस भी आ गई। जयपुर में हुआ यह हादसा एक बड़ी त्रासदी है। इस हादसे में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। लेकिन, जगदीश और सुनील की कहानी हमें उम्मीद देती है कि मुसीबतों से लड़कर जीत हासिल की जा सकती है। दोनों युवक अगर खिड़की तोड़कर छलांग नहीं लगाते, तो उनका भी बचना काफी मुश्किल हो जाता। इसलिए परिस्थिति के अनुसार तत्काल उचित निर्णय लेना उनके लिए बेहतर रहा।
राजसमंद लौटने के बाद भी दोनों घायलों को जेके सर्कल के पास स्थित निजी हॉस्पीटल में उपचार कराया। दोनों के हाथ बुरी तरह से झुलस हुए हैं। हालांकि जयपुर में भी उनका इलाज कराया है। सुनील खटीक के पिता कांकरोली में नई सब्जी मंडी के बाहर सब्जी बेचते हैं। जबकि जगदीश रेगर मोही में रहता है, जो इंजीनियर है।
Jaipur News Update : आखिरी पलों का डरावना दृश्य
Jaipur News Update : जगदीश ने बताया कि जब हम जयपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर थे, तभी अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और आसमान में आग की लपटें उठने लगीं। कुछ ही पलों में हमारी बस भी आग की चपेट में आ गई। सभी यात्री चीख-पुकार मचाने लगे। हमने अपनी जान बचाने के लिए बस की खिड़की तोड़ दी और बाहर छलांग लगा दी। आग की लपटों से बचते-बचाते जगदीश और सुनील एक खेत में जाकर खड़े हो गए। इस हादसे में उनके कपड़े जल गए और हाथ भी झुलस गए। उन्होंने बताया कि हमने किसी तरह अपने परिजनों को फोन करके इस हादसे की जानकारी दी। इसके बाद जयपुर में रहने वाले हमारे एक दोस्त रेलमगरा निवासी गिरीराज व्यास से संपर्क किया, जो मौके पर आकर मिला। फिर वही उन्हें अस्पताल लेकर गया और उपचार भी करवाया। उसके बाद टैक्सी किराए करके उन्हें राजसमंद के लिए रवाना किया।
Tanker Blast in jaipur : डॉक्यूमेंट्स और मोबाइल सब जल गए
Tanker Blast in jaipur : बस में सो रहे थे, तभी अचानक आग लगी। अग्निकांड में कुछ सोचने समझने का समय नहीं था। उस वक्त सिर्फ खुद की जान बच जाए, यह भी बड़ी बात थी। इसलिए दस्तावेज, बैग, मोबाइल सब बस में ही रह गए, जो आग में जलकर राख हो गए। जगदीश और सुनील के सभी शैक्षिक, सह शैक्षिक दस्तावेज, मोबाइल व कपड़े जल गए। इसके बावजूद वे दोनों अपनी जान बचाकर घर लौटने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि भगवान की कृपा से हम दोनों बाल-बाल बच गए।
jaipur accident : दोस्त की वजह से मिली नई जिंदगी
jaipur accident : जगदीश ने बताया कि वह जूनियर एकाउंटेंट हैं। ज्यूनियर एकाउंटेंट डिग्री काे लेकर जयपुर वित्त भवन में काम हाेने से जयपुर गया था। जयपुर जाते समय वह अकेला था, इसलिए उसने अपने दोस्त सुनील को भी साथ ले लिया। अगर वह सुनील को साथ नहीं लेते तो शायद वह भी इस हादसे में अपनी जान गंवा देते। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जगदीश और सुनील अपने घर लौट आए। गांव में लौटने पर परिजन व ग्रामवासियों की जान में जान आई। लोगों ने भगवान का शुक्र माना कि दोनों युवक सुरक्षित घर लौट आए।
राधेश्याम की मौत से परिवार हो गया बेसहारा
एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में मृतक राधेश्याम चौधरी के दोस्त हंसराज ने बताया कि राधेश्याम की मौत होने से उसके परिवार के पालन पोषण पर संकट खड़ा हो गया। उसके पिता का करीब 15 साल पहले निधन हो गया था। राधेश्याम एनबीसी कंपनी में काम करते थे, जिससे उसके परिवार का गुजारा चल रहा था। हादसे में अपनी जान बचाने की बहुत कोशिश की। घटनास्थल से 800 मीटर दौड़कर आए। फिर कपड़े खुद खोले और दोस्त रोशन को फोन किया। तब रोशन मौके पर पहुंचा और उसे तलाश कर तत्काल अस्पताल पहुंचाया, मगर मौत हो गई। इसके अलावा कांस्टेबल अनिता मीणा भी स्लीपर बस में ड्यूटी पर जा रही थी, तभी उसकी मौत हो गई। अनिता की पहचान उसकी बिछियां व नेल पाॅलिश से की गई। उसका शरीर बुरी तरह से जल गया, केवल कंकाल ही मिला। इसके अलावा हरलाल भी आग से गंभीर रूप से झुलस गया। उसे स्कॉर्पियो से एसएमएस अस्पताल पहुंचाया। बताया कि हरलाल टायल्स व मार्बल का काम करते थे। खंडेला, जिला सीकर का निवासी है, जो कि अपने गांव जा रहा था, तभी यह हादसा हो गया।