Jaisalmer borewell incident : जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ तहसील के चक 27 बीडी गांव में एक चमत्कारिक घटना सामने आई है। स्थानीय किसान विक्रम सिंह के खेत में ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान अचानक जलधारा फूट पड़ी, जिससे खेत और आसपास का इलाका जलमग्न हो गया। घटना के बाद, प्रशासन को करीब 500 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ा। बोरिंग मशीन और एक ट्रक 22 टन वजन के साथ जमीन में समा गए। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है।
Mohangarh borewell news : 60 लाख साल पुराना पानी!
Mohangarh borewell news : जैसलमेर के भूवैज्ञानिक डॉ. नारायण दास ईणखिया का कहना है कि यह जलधारा 60 लाख साल पुरानी हो सकती है। खुदाई के दौरान पानी के साथ बड़ी मात्रा में सफेद रेत भी बाहर आई, जिसे टर्शरी काल की रेत माना जा रहा है। यह रेत और पानी उतने ही पुराने हैं जितनी इस परत की भूगर्भीय इतिहास। विशेषज्ञों ने इस पानी और रेत के सैंपल की जांच के लिए आईआईटी जोधपुर भेजा है, जहां इसकी गहराई से जांच की जा रही है।
Jaisalmer borewell Mystery : जल संकट वाले क्षेत्र में इतना पानी कहां से आया?
Jaisalmer borewell Mystery : जैसलमेर में जल संकट एक गंभीर समस्या है। क्षेत्र में 200 मीटर मोटी सैंडस्टोन (घीया पत्थर) की परत है, जिसके नीचे दबा पानी खुदाई के दौरान बाहर निकल आया। यह पानी प्रेशर के साथ इसलिए निकला क्योंकि पहली बार 260 मीटर गहरी ट्यूबवेल खोदी गई। सामान्यत: इस क्षेत्र में 30 मीटर गहराई तक ही ट्यूबवेल बनाए जाते हैं।
Jaisalmer mohangarh news : क्या यह सरस्वती नदी का पानी है?
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, जैसलमेर सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र में आता है। सरस्वती की जल रेखाएं इस इलाके के भूगर्भीय स्तर से गुजरती हैं। इस नदी का पानी मीठा होता है और सैंडस्टोन परत के ऊपर ही पाया जाता है। हालांकि, इस बार निकलने वाला पानी खारा है, इसलिए इसकी सरस्वती नदी से सीधी कनेक्टिविटी पर अभी कोई ठोस दावा नहीं किया गया है। पानी का उपयोग जांच रिपोर्ट के बाद ही तय होगा। शुरुआती जानकारी के अनुसार, यह पानी पीने लायक नहीं है क्योंकि इसका स्वाद खारा है। संभावना है कि इसे नहर के मीठे पानी के साथ मिलाकर खेती में इस्तेमाल किया जा सकता है।.
Kya Jaisalmer me sarsavti River : पानी के साथ गैस का रहस्य
Kya Jaisalmer me sarsavti River : पानी के साथ गैस का निकलना भी इस घटना को रहस्यमय बनाता है। जैसलमेर जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि केयर्न एनर्जी कंपनी और ONGC के विशेषज्ञों को गैस की जांच के लिए बुलाया गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में इसे खतरनाक नहीं बताया गया है। संभावना है कि जमीन के नीचे बड़ी मात्रा में गैस भरी हुई है, जो पानी के दबाव को और बढ़ा रही है।
खुदाई के दौरान क्या हुआ?
विक्रम सिंह के खेत में सात दिनों से खुदाई चल रही थी। खेत में जीरे की फसल थी और सिंचाई के लिए मीठे पानी की तलाश की जा रही थी। अचानक 28 दिसंबर की रात पानी का बहाव तेज हो गया, जिससे बोरिंग मशीन और ट्रक जमीन में धंस गए। अधिकारियों के मुताबिक, मोहनगढ़ क्षेत्र में अभी तक केवल 44 ट्यूबवेल ही मौजूद हैं और इतनी गहरी खुदाई पहली बार हुई है।
आगे की योजना
जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने घटनास्थल का दौरा किया है। पानी और गैस के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि पानी और गैस का उपयोग किस तरह किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि गैस का उपयोग ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है।
नई उम्मीद
जैसलमेर में इस जलधारा की खोज ने एक नई उम्मीद जगाई है। हालांकि, पानी का खारापन और गैस का दबाव इसे चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। यह घटना न केवल जैसलमेर के भूगर्भीय इतिहास को समझने का अवसर देती है, बल्कि क्षेत्र के जल संकट को हल करने में भी मददगार साबित हो सकती है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे इस पानी और गैस के उपयोग की संभावनाओं का पता चलेगा।