विद्यालय में साइंस लैब्रोरेट्री निर्माण के फाइनल बिल भुगतान की एवज में ठेकेदार से एक लाख 30 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए समग्र शिक्षा अभियान के कनिष्ठ अभियंता को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB Trap) की टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। एसीबी टीम द्वारा उसके आवास, दफ्तर की तलाश व जांच जारी है। आरोपी 50 हजार रुपए पहले ही ले चुका था। अब शेष रिश्वत की राशि देने पर फाइनल बिल भुगतान करने पर अड़ा हुआ था।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि समग्र शिक्षा अभियान के द्वारा प्रतापगढ़ जिले के अरनोद ब्लॉक के एक स्कूल में 82 लाख रुपए की लागत से लैब्रोरेट्री निर्माण किया गया। ठेकेदार द्वारा लैब्रोरेट्री का निर्माण पूर्ण होने के बाद फाइनल बिल के भुगतान के लिए समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय प्रतापगढ़ में तकाजा किया। इस पर कनिष्ठ अभियंता आशुतोष सुथार द्वारा 1 लाख 80 हजार रुपए रिश्वत मांगी गई। इस पर ठेकेदार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज करवाई। इस पर एसीबी उदयपुर के उप महानिरीक्षक राजेंद्र प्रसाद गोयल के सुपरविजन में चित्तौड़गढ़ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एएसपी कैलाश सांधू के नेतृत्व में ACB दल द्वारा शिकायत का सत्यापन कराया गया। सत्यापन में शिकायत सही पाई गई। इस पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने आरोपी कनिष्ठ अभियंता बारावरदा निवासी आशुतोष सुथार को ट्रेप करने की कार्ययोजना तैयार की गई।
1 लाख 30 हजार रुपए लेते एसीबी ने पकड़ा
स्कूल में 82 लाख की लागत में लैब्रोरेट्री निर्माण का फाइनल बिल भुगतान की एवज में ठेकेदार ने कनिष्ठ अभियंता आशुतोष सुथार को 1 लाख 30 हजार रुपए की रिश्वत दी। परिवादी का इशारा पाते ही एसीबी दल ने घेरकर आरोपी को पकड़ लिया। फिर उसके हाथ धुलवाए तो रंग उभर आया। बाद में एसीबी टीम ने एक लाख 30 हजार रुपए जब्त करते हुए आरोपी जेईएन आशुतोष सुथार को गिरफ्तार कर लिया।
रिश्वत मांगे तो ये नंबर करें डायल
सरकारी कार्यालयों में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होने की बातें अक्सर खुलेआम सुनते हैं। ऐसे में आमजन की समस्या को देखते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा नवाचार किया है। कोई सरकारी विभाग का कर्मचारी या अधिकारी रिश्वत की मांग करता है, तो तत्काल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के टोल फ्री नंबर 1064 एवं व्हाट्सअप नंबर 9413502834 पर शिकायत की जा सकती है। कॉल करके या मैसेज करके भी सूचना दी जा सकती है। शिकायकर्ता का नाम गोपनीय रखते हुए त्वरित कार्रवाई की जाएगी।