Kanhaiyalal Murder Case : कन्हैयालाल हत्याकांड, यह सुनते ही दो साल पुराना मंझर उभर आता है। देश- दुनिया में चर्चित हुई इस घटना को राजनीतिक दलों ने चुनावी मुद्दा बनाया। नेताओं ने बयानों के बाण खूब चलाए, लेकिन अब भी कन्हैया की अस्थियों को मुक्ति का इंतजार है। शुक्रवार को कन्हैयालाल की बरसी है। घटना को पूरे दो साल हो चुके हैं। आज भी मोहल्ले में फिर उन्हीं चर्चाओं की गूंज थी, जो दो साल पहले पहले भी थी। घर का दरवाजा खटखटाया तो पुलिसकर्मी से सामना हुआ। पुलिसकर्मी पिछले दो साल से कन्हैया के परिवार की सुरक्षा में तैनात है। बाकायदा रजिस्टर में नाम पते दर्ज करने और परिवार की अनुमति लेने के बाद प्रवेश दिया गया। अंदर पहुंचे तो कन्हैयालाल की पत्नी से सामना हुआ। बुझे से चेहरे पर मुस्कान दो साल बाद भी नहीं लौटी थी। मां के आसपास मौजूद बड़े बेटे यश ने के पैरों में आज भी चप्पल नहीं है और बाल भी दो साल से नहीं कटवाए हैं। वजह ये कि बेटे ने पिता की मौत के बाद संकल्प ले लिया कि जब तक आरोपियों को सजा नहीं हो जाती, ना बाल कटवाएंगे और ना ही चप्पल पहनेंगे। छोटा बेटा तरुण मां और बड़े भाई की बातें सुन रहा था, लेकिन अपने में खोया हुआ सा था। मानो उसके चेहरे के भाव कह रहे थे कि छोटी उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ चुका है। अस्थियां और तस्वीर थामे परिवार अब भी सहमा हुआ और उम्मीदों भरी निगाह से देख रहा था। करीब आधा घंटा परिवार के साथ बिताया। इस दौरान कन्हैयालाल की पत्नी और बेटों ने पिछले दो साल की दास्तां सुनाई। उनकी बातों से स्पष्ट था कि आज भले ही घर में बहुत कुछ हो, लेकिन बच्चों के सिर पर पिता का साया नहीं है।
Kanhaiyalal Murder in Udaipur : तीन माह पहले शुरू हुई पेशी
Kanhaiyalal Murder in Udaipur : यश ने बताया कि घटना के बाद फास्ट ट्रैक में सुनवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन तीन माह पहले ही पेशियां शुरू हुई है। चार पेशियों में से दो में कुछ नहीं हुआ। एक में मैं नहीं जा सका और एक पेशी में बयान लिए गए। उस समय वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये आरोपियों को दिखाया गया। आरोपियों ने इस हत्याकांड को अंजाम देना स्वीकार कर लिया है। तो केस को लंबा खींचने का कारण समझ से परे है। उन्होंने बताया कि पेशी पर जयपुर जाने के दौरान एक बार सीएम से भी मिला था। उस समय लोकसभा चुनाव की आचार संहिता थी। उन्होंने चुनाव के बाद केस में जल्द से जल्द न्याय में दिलवाने का आश्वासन दिया। उनकी पत्नी जसोदा ने कहा कि हम तो आम नागरिक है। आरोपियों ने तो प्रधानमंत्री को भी धमकी दी थी। इसके बावजूद सजा देने में इतना समय क्यों लग रहा है।
kanhaiyalal murder case update : आतंकियों को पकड़वाने वाले युवाओं की दु:खद दास्ता
kanhaiyalal murder case update : उदयपुर में 28 जून 2022 को कन्हैयालाल टेलर की जघन्य हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था। निर्मम हत्याकांड को अंजाम देने वाले आतंकियों को पकड़वाकर सलाखों के पीछे भिजवाने में अहम भूमिका निभाने वाले राजसमंद जिले के दाे जाबांज युवा आज भी सरकार की बेरूखी के चलते डर व दहशत में जीने को मजबूर है। एनआईए की जांच के बाद जयपुर की स्पेशल एनआईए कोर्ट में सुनवाई जारी है। खुद के जान की परवाह किए बगैर 30 किलोमीटर तक पीछा कर हत्याकांड के आरोपी रियाज व गौस मोहम्मद को पकड़वाया, तो पुलिस, प्रशासन ही नहीं, बल्कि गहलोत सरकार ने भी त्वरित कार्रवाई के लिए वाहवाही लुटी थी, मगर वे दोनों जांबाज आज भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। प्रशासन से उन्हें हथियार का लाइसेंस न मिलने की टीस है, तो जघन्य हत्याकांड के आरोपियों को फांसी की सजा मुकर्रर होने की न्यायालय से आस भी है। कन्हैया का परिवार आज भी पुलिस सुरक्षा के घेरे में है, मगर इन युवाओं को पुलिस सुरक्षा तो दूर हथियार लाइसेंस तक नहीं मिल पाए। यह दर्दभरी दास्तान है राजसमंद जिले में ताल ग्राम पंचायत के थड़ी निवासी प्रहलाद सिंह पुत्र मनोहरसिंह चुंडावत और सुरतपुरा, ग्राम पंचायत काकरोद निवासी शक्ति सिंह पुत्र गोविंद सिंह चुंडावत की।
kanhaiyalal murder : 28 जून 2022 दोपहर का वह काला दिन याद करते हुए आतंकियों को पकड़वाना अपना फर्ज बताया और उसी दूसरे पहले खुद के साथ परिवार को असुरक्षित हालात में डालने का गुनहगार भी कह दिया। जब आतंकियों को पकड़वाया, तब पुलिस, प्रशासन के साथ तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पीठ थपथपाई थी। फिर उन्हें सरकारी नौकरी दिलाने, सुरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस का वादा भी किया था। उसके बाद 1 मार्च 2024 को प्रहलादसिंह चुंडावत को उपखंड कार्यालय देवगढ़ में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर एवं 12 मार्च 2024 को शक्तिसिंह चुंडावत को तहसील कार्यालय देवगढ़ में कनिष्ठ लिपिक के पद पर ज्वाइनिंग मिल गई, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से हथियार के लाइसेंस दोनों को अब तक नहीं मिल पाए। आज दोनों सरकारी नौकरी मिलने से जरूर आर्थिक संबल मिला है, मगर जेहन में अज्ञात डर आज भी बना हुआ है। साथ ही हैवान आरोपियों के प्रति गुस्सा भी है, मगर पुलिस व प्रशासन से सुरक्षा न मिलने की टीस हमेशा बनी रहती है। हथियार लाइसेंस के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई। पुलिस के साथ सभी सुरक्षा एजेंसियों ने सकारात्मक रिपोर्ट भी दी, मगर हथियार लाइसेंस अभी तक नहीं मिल पाए।
Youth who catch terrorists : शक्तिसिंह बोला- देशहित के कार्य का गर्व, मगर सरकार ने याचक बनाया
Youth who catch terrorists : शक्ति सिंह चुंडावत ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कन्हैयालाल टेलर के हत्यारों को पकड़वाने का उन्हें उन्हें गर्व है। क्योंकि वह देशहित का कार्य था, मगर उसके बाद जिस तरह से प्रशासन या राज्य सरकार स्तर पर याचक जैसे हालात उत्पन्न हो गए। सरकार की ही सुरक्षा एजेंसियों ने भी यह माना कि मुझे व मेरे साथ प्रहलाद को सुरक्षा मिलनी चाहिए, हथियार लाइसेंस भी आवश्यक बताया। फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुरक्षा, हथियार लाइसेंस के वादे किए, मगर आज तक उन्हें सुरक्षा के लिहाज से कुछ नहीं मिला।
Kanhaiyalal Wife & Son : प्रहलाद बोला- सरकार को नहीं हमारी फिक्र, सता रहा अज्ञात डर
Kanhaiyalal Wife & Son : प्रहलाद सिंह चुंडावत ने कहा कि आतंकी रियाज व गौस मोहम्मद को पकड़वाने के लिए हमने हमारी जान की परवाह नहीं की, मगर उसके बाद प्रशासन या सरकार तक को हमारी कोई फिक्र नहीं है। तभी तो न सुरक्षा मिली न ही हथियार लाइसेंस। सरकारी नौकरी मिलने से आर्थिक संबल मिला, मगर अज्ञात डर हमेशा जेहन में रहता है। इसलिए अब भी प्रशासन व सरकार हमें हथियार लाइसेंस दिलाए, ताकि सेफ्टी रहे।
Kanhaiyalal Murder Latest News : रिश्ते में भी बाधक बना अज्ञात डर, अब कुछ राहत
Kanhaiyalal Murder Latest News : आतंकी को पकड़वाने के बाद एक बार तो शक्तसिंह व प्रहलाद सिंह के रिश्तेदार तो क्या मित्रों ने भी दूरी बना ली। उनकी शादी के रिश्ते में भी बाधा उत्पन्न हो गई। आखिर समाज के साथ खड़े रहने और सरकारी नौकरी की कार्रवाई होने के बाद प्रहलाद की जनवरी में शादी हुई, जबकि शक्तिसिंह की अब नवंबर में शादी प्रस्तावित है। आतंकियों को पकड़वाने की वजह से उनके मित्रों ने भी एक बारगी दूरी बना ली थी। क्योंकि वे भी हमारे साथ खड़े रहने पर असुरक्षित महसूस करने लगे थे। हालांकि अब वक्त के साथ हालात सामान्य जरूर होने लगे हैं, मगर उनके जेहन में डर अब भी बरकरार है।
How were Kanhaiya’s killers caught? : आतंकी को पकड़ने की गजब कहानी, दोनों जाबांज युवा की जुबानी
How were Kanhaiya’s killers caught? : उदयपुर में कन्हैयालाल साहू (टेलर) की नृशंस हत्या की सूचना सोशल मीडिया पर फैलने से मेवाड़ ही नहीं, बल्कि प्रदेश व देशभर में घटना को लेकर आक्रोश व दहशत का माहौल बन गया था। इसके ऑडियो, वीडियो व खबर देखकर लसानी चौराहे पर चाय पीते वक्त बातचीत कर रहे थे। तभी देवगढ़ थाने से परिचित पुलिसकर्मी बाबूसिंह का फोन आया और बताया कि उदयपुर हत्याकांड के आरोपी बाइक लेकर लसानी की तरफ आ रहे हैं। बाइक नंबर आरजे 27ए्एस 2611 है। कांस्टेबल बाबूसिंह के लिए उस क्षेत्र में पुलिसकर्मी नहीं थे और आम लोगों की मदद ही एकमात्र विकल्प था। हुलिए में बाइक, हेलमेट पहने हुए व दूसरे के दाढ़ी होना बताया। फिर दोनों सूरजपुरा बस स्टैंड पहुंच गए, जो चालीस मील चौराहे वाला रास्ता है। सूरजपुरा बस स्टैंड पर आते जाते वाहनों पर निगाह रखने लगे। तभी उसी हुलिए से मिलते जुलते दो लोग बाइक लेकर गुजरे तो वे चौंक गए और बाइक के नंबर भी 2611 ही थे। इस पर शक्ति सिंह ने पुलिस को फ़ोन को सूचना देते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया। फिर आगे पुलिसकर्मी वीरेंद्र सिंह व पुलिस उप अधीक्षक राजेंद्र सिंह भी अलर्ट थे। फिर पुलिस उप अधीक्षक ख़ुद चालीस मील के रास्ते आगे बढ़ गए। शक्तिसिंह व प्रह्लाद पीछा करने वाले बाइक के नज़दीक पहुंचे, तो बाइक सवार बदमाशों ने धमकाने के अन्दाज़ से डराने के प्रयास किए। इस पर शक्ति व प्रहलाद ने बाइक धीमी कर ली और सुरक्षित दूरी बना कर पीछा करने लगे। ज़ाहिर है नृशंस हत्या करके भागने वाले हथियार के साथ ही होंगे और उन्हें ऐसा दुबारा करने का भी भय या संकोच नहीं होगा। दोनो के चेहरे पर तनाव और डर एक साथ आया, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पुलिसकर्मी भी हिम्मत दिलाते रहे कि तुम पीछा करते रहो, आगे पुलिस आ जाएगी। डरना मत और उन्हें ओझल मत होने देना और सुरक्षित दूरी बनाए रखना। ख़तरा हो सकता है। फिर चालीस मील चौराहे पर पुलिस के आने से पहले ही आरोपी बाइक से भीम की तरफ आगे निकल गए। फिर भी दोनों भाईयों ने पीछा जारी रखा। करीब 30 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद हाइवे आठ पर टोगी के पास बाइक सवार दोनों बदमाशों को पुलिस ने घेराबंदी कर पकड़ लिया। तब उन्होंने राहत की सास ली, मगर जब आतंकियों को पुलिस ने पकड़ा, तब से उनके जेहन में एक अज्ञात डर जेहन में आ गया, जो आज तक नहीं निकल पाया। फिर सरकार, पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने आश्वासन जरूर दिए, मगर सुरक्षा नहीं मिली और हथियार लाइसेंस का दो साल से इंतजार है।