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World kidney day कहते हैं परोपकार से बड़ा कोई भी धर्म नहीं होता है। परोपकार की सबसे बड़ी नजीर धौलपुर के युवक अजीत पाल एवं उसके परिजनों की देखी गई है। सड़क हादसे में घायल अजीत पाल का जयपुर सवाई मानसिक अस्पताल में उपचार किया जा रहा था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए। अजीत पाल का ब्रेन डेड होने पर बचने की कतई संभावना नहीं रही थी। सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने अजीत पाल के परिजनों को अंगदान डोनेट करने के लिए प्रेरित किया। परिजन अंगदान करने के लिए सहमत हो गए और अजीत की एक किडनी सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में ही एक मरीज को लगाई गई। दूसरी किडनी और लिवर जयपुर में ही संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती एक ही मरीज को लगाई गई। दिल का रिसीवर राजस्थान में नहीं होने के कारण वो डोनेट नहीं किया जा सका।

Organ Donation की रोचक कहानी, सब लें प्रेरणा

सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के नोडल ऑफिसर ऑर्गन ट्रांसप्लांट डॉ देवेंद्र पुरोहित ने बताया अजीत पाल धौलपुर के राजाखेड़ा में नाहिला गांव का रहने वाला था 24 दिसम्बर 2023 को फतेहाबाद के गांव निबोरा में किसी रिश्तेदार के यहां दावत में गया हुआ था और बाइक से अपने गांव लौटते समय फतेहाबाद रोड पर जहां उसकी बाइक सामने से अचानक आए जानवर से असंतुलित होकर गिर गई. बाइक से गिरने से उसके सिर में चोट लग गई. दुर्घटना में अजीतपाल गंभीर रूप से घायल हो गया था। गंभीर घायल हो जाने पर उसे आगरा के रेनबो अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां से उन्हें 25 दिसंबर को सवाई मानसिंह हॉस्पिटल जयपुर रैफर किया गया।सवाई मानसिंह के डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बावजूद भी अजीत पाल को बचा पाना संभव नहीं हो पाया। उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया। डॉ. पुरोहित ने बताया कि डॉक्टरों और ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर्स की समझाइश के बाद अजीत पाल की मां चंद्रवती, पत्नी सुमन और अन्य रिश्तेदारों ने अंगदान की सहमति दी। उन्होंने बताया कि ये एसएमएस का 28 वां और प्रदेश का 55 वां अंगदान है। डॉक्टर पुरोहित ने बताया कि स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन राजस्थान की ओर से अंगों का आवंटन किया गया। इसमें अजीत पाल की एक किडनी सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज को दान की गई। जबकि दूसरी किडनी और लिवर संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती एक ही मरीज को दान करके लगाई गई। उन्होंने बताया कि ये दूसरा केस है, जब एक ही मरीज को मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया है। इससे पहले सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी में एक मरीज को एक साथ दो अंग प्रत्यारोपित किए गए थे। उन्होंने बताया कि दिल को भी डोनेट करना था, लेकिन प्रदेश में कोई इस ग्रुप का रिसीवर नहीं मिला।

organ donation day : अजीत पाल की आर्थिक स्थिति कमजोर

अजीतपाल के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है,दो भाईयो में यह सबसे बड़ा था,उसके एक बहन 15 वर्षीय मंजू और छोटा भाई नीतेश आठ साल का हैं.अजीतपाल की दो साल पहले शादी भी हो चुकी हैं.लेकिन वह धौलपुर,देश और दुनिया को वह दे गया जो अच्छे-अच्छे धनाढ्य और अरबपति नहीं दे सकते हैं.बता दें कि अजीतपाल अपनी बहन मंजू और पिता रामअवतार के साथ पांच साल पहले कहीं जा रहे थे.सड़क दुर्घटना में अजीतपाल के पिता रामअवतार की मौत हो गई और भाई बहन घायल हो गए.सड़क दुर्घटना में अजीतपाल और उसकी बहन मंजू विकलांग हो गए थे.पिता की मौत के बाद परिवार का भार अजीतपाल के कंधो पर आ गया बता दें कि साल 2021 में भी धौलपुर जिले के गांव गंगा दास के पुरा के रहने वाला 17 वर्षीय सेवाराम भी एसएमएस जयपुर में ब्रेन डेड घोषित किया था.सेवाराम ने भी पांच लोगों को अंगदान कर जीवनदान दिया था

body donation : ग्रामीणों ने दी भावभीनी ने विदाई

अजीत पाल का पार्थिव शव गुरुवार शाम के वक्त गांव नायला पहुंच गया। ग्रामीणों में शोक की लहर दौड़ गई। अजीत की मौत से परिजनों में मातम पसर गया है। लेकिन अजीत पाल जाते-जाते दो लोगों को जीवन दे गया। इसे लेकर परिजनों को फक्र हो रहा है। प्रशासन की मौजूदगी में अजीत पाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया।