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Utensils : किस बर्तन में खाना बनाना चाहिए, क्या क्या है अनगिनत फायदे, जानिए डॉक्टर की सलाह

Bartan me khana khaye https://jaivardhannews.com/kis-dhatu-ke-bartan-me-khana-banana-chahiye/

क्या आप जानते हैं, किस तरह के बर्तनों में भोजन पकाना चाहिए। रसोई में मिट्टी, लोहे, एल्युमिनियम, कांसा, पीतल, स्टील के बर्तनों का क्या महत्त्व है, क्या इन बर्तनों का उपयोग करके आप हमेशा सेहतमंद रह सकते हैं। कुछ ऐसे ही चिकित्सकीय घरेलू नुस्खे जानिए सु जोक थेरेपिस्ट (एक्यूप्रेशर) एवं प्राकृतिक सलाहकार डॉ. तत्सवितु व्यास से। डॉ. तत्सवितु व्यास आपको बता रहे हैं कि आखिर किस तरह के बर्तनों में खाना बनाना चाहिए और किसमें लेकर खाना चाहिए। मुख्य रूप से सोने के बर्तन खाना खाने से शरीर मजबूत होता है, जबकि चांदी के बर्तन में खाना खाने से रक्त प्रवाह संतुलित रहता है। बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना खिलाने से आत्मविश्वास बढ़ता है। इसीलिए अन्नप्राशन के दौरान ननिहाल से चांदी के बर्तन का रिवाज है। स्वस्थ जीवन के लिए सफाई व स्वच्छता का विशेष महत्त्व है, जिस पर खास ध्यान देना चाहिए।

देखिए, किस धातु के बर्तन में क्या है फायदे

  • पाचन क्रिया में सुधार: कांसे में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: कांसे में मौजूद तांबा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • एनीमिया से बचाव: कांसे में मौजूद आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे एनीमिया से बचाव होता है।
  • वजन घटाने में सहायक: कांसे के बर्तन में खाने से शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक: कांसे में मौजूद कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।त्वचा के लिए फायदेमंद: कांसे के बर्तन में पानी पीने से त्वचा में चमक आती है और झुर्रियां कम होती हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: कांसे के बर्तन में खाने से तनाव और चिंता कम होती है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। इससे रक्त शुद्ध होता था।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • कांसे के बर्तनों में खट्टी चीजें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे बर्तन में मौजूद धातुएं भोजन में मिल सकती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
  • कांसे के बर्तनों को नियमित रूप से साफ करना चाहिए।
  • कांसे के बर्तनों को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: तांबे में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो रोगाणुओं को मारने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
  • पाचन क्रिया में सुधार करता है: तांबे में एंजाइमों का उत्पादन बढ़ाने की क्षमता होती है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह अपच, कब्ज और एसिडिटी जैसी पाचन समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है।
  • वजन घटाने में सहायक: तांबे में चयापचय को बढ़ाने की क्षमता होती है जो वजन घटाने में सहायक होता है। यह शरीर में जमा वसा को जलाने में भी मदद करता है।
  • हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: तांबे में रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने और रक्तचाप को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। यह हृदय रोगों के खतरे को कम करने में भी मदद करता है।
  • रक्त को स्वस्थ रखता है: तांबे में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ाने की क्षमता होती है जो रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। यह एनीमिया जैसी रक्त संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है: तांबे में हड्डियों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने की क्षमता होती है।
  • मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: तांबे में मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाने और स्मृति शक्ति को बढ़ाने की क्षमता होती है। यह अल्जाइमर जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों को रोकने में भी मदद करता है।
  • त्वचा और बालों के लिए लाभदायक: तांबे में त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने की क्षमता होती है। यह त्वचा की झुर्रियों और बारीक रेखाओं को कम करने और बालों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।

तांबे के बर्तन में खाना खाने के कुछ नुकसान भी हैं: Some disadvantages of eating food in copper utensils

  • तांबे के बर्तन में अम्लीय खाद्य पदार्थ, जैसे कि टमाटर, नींबू, और दही, नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे तांबा घुलकर भोजन में मिल सकता है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • तांबे के बर्तन को साफ करने के लिए कठोर रसायनों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बर्तन की सतह खराब हो सकती है।

तांबे के बर्तन का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां:

  • तांबे के बर्तन को हमेशा साफ रखना चाहिए।
  • तांबे के बर्तन में अम्लीय खाद्य पदार्थ नहीं रखना चाहिए।
  • तांबे के बर्तन को साफ करने के लिए कठोर रसायनों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • तांबे के बर्तन में खाना खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है।
  • तांबे के बर्तन का उपयोग अम्ल और नमक के साथ प्रतिक्रिया करता है। कई बार पकाए जा रहे भोजन में मौजूद ऑर्गेनिक एसिड बर्तनों के साथ प्रतिक्रिया कर ज्यादा कॉपर ऑक्साइड उत्पन्न कर सकते हैं, जो काफी नुकसानदेह हो सकता है।

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है। जठराग्नि शान्त रहती है। लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है।

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: पीतल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो रोगाणुओं को पनपने से रोकते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • पाचन क्रिया में सुधार: पीतल के बर्तन में खाना पकाने से भोजन में प्राकृतिक तेल निकलते हैं जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।
  • एनीमिया से बचाव: पीतल में मौजूद तांबा शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ाता है, जिससे एनीमिया से बचाव होता है।
  • वजन कम करने में सहायक: पीतल के बर्तन में खाना पकाने से भोजन में कैलोरी कम होती है, जो वजन कम करने में सहायक होता है।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है: पीतल में मौजूद जस्ता हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: पीतल में मौजूद खनिज मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
  • त्वचा के लिए फायदेमंद: पीतल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करते हैं।
  • पीतल के बर्तन में भोजन पकाने व खाने से कृत्रिम रोग, कफ व वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

पीतल के बर्तन में खाने के नुकसान

पीतल के बर्तन में क्या नहीं खाना चाहिए पीतल नमक और अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है। इसलिए खट्टी चीजों को या अधिक नमक वाली चीजों को इसमें पकाना या खाना नहीं चाहिए, वरना फूड पॉइजनिंग हो सकती है।

  • आयरन की कमी दूर करता है: लोहे के बर्तन में खाना पकाने से भोजन में प्राकृतिक रूप से आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। यह शरीर में आयरन की कमी को दूर करने और हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है, जिससे थकान, कमजोरी और एनीमिया जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
  • पाचन में सुधार करता है: लोहे के बर्तनों में पका भोजन पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह पेट फूलना, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: आयरन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोहे के बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
  • एनर्जी लेवल बढ़ाता है: लोहे की कमी से थकान और कमजोरी महसूस होती है। लोहे के बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ने से एनर्जी लेवल भी बढ़ता है।
  • स्वादिष्ट भोजन: लोहे के बर्तनों में पका भोजन अधिक स्वादिष्ट होता है। यह भोजन में प्राकृतिक रूप से एक अनोखा स्वाद और खुशबू लाता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल: लोहे के बर्तन पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। ये टिकाऊ होते हैं और इनका पुन: उपयोग किया जा सकता है।
  • अन्य फायदे: लोहे के बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में तांबा, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे अन्य पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ सकती है।
  • टिकाऊ और मजबूत: स्टील के बर्तन टिकाऊ और मजबूत होते हैं। इनका उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है।
  • जंग प्रतिरोधी: स्टील के बर्तन जंग प्रतिरोधी होते हैं। इनमें भोजन को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • साफ करने में आसान: स्टील के बर्तनों को साफ करना आसान होता है। इन्हें डिटर्जेंट और पानी से आसानी से साफ किया जा सकता है।
  • गर्म और ठंडे भोजन के लिए उपयुक्त: स्टील के बर्तनों का उपयोग गर्म और ठंडे दोनों तरह के भोजन के लिए किया जा सकता है।
  • स्वादिष्ट भोजन: स्टील के बर्तनों में पका भोजन स्वादिष्ट होता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल: स्टील के बर्तन पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। ये टिकाऊ होते हैं और इनका पुन: उपयोग किया जा सकता है।
  • अन्य फायदे: स्टील के बर्तन गैर-प्रतिक्रियाशील होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे भोजन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं और भोजन में कोई रसायन नहीं मिलाते हैं।
  • स्टील के बर्तन नुकसानदायक नहीं होते हैं। क्योंकि ये न ही गर्म से क्रिया करते है और न ठंडा होने पर, इसलिए इससे नुकसान नहीं होता है।
  • स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु होती है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है।
  • इसमें खाना पकाने या बनाने में सेहत को कोई नुकसान नहीं होता।
  • इन बर्तनों का तापमान जल्दी बढ़ जाता है।

एल्युमिनियम के बर्तनों में खाने के फायदे और नुकसान दोनों हैं।

फायदे:

  • हल्के और टिकाऊ: एल्युमिनियम के बर्तन हल्के होते हैं, जिससे उन्हें उठाना और इस्तेमाल करना आसान होता है। वे टिकाऊ भी होते हैं और आसानी से नहीं टूटते हैं।
  • अच्छा ताप संवाहक: एल्युमिनियम एक अच्छा ताप संवाहक है, जिसके कारण खाना जल्दी और समान रूप से पकता है।
  • सस्ता: एल्युमिनियम के बर्तन अन्य प्रकार के बर्तनों की तुलना में सस्ते होते हैं।
  • गैस और ओवन दोनों में इस्तेमाल: एल्युमिनियम के बर्तनों का उपयोग गैस और ओवन दोनों में किया जा सकता है।

नुकसान:

  • एल्यूमीनियम का रिसाव: एल्युमिनियम के बर्तनों में खाने से एल्यूमीनियम शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर किडनी और हड्डियों के लिए।
  • एसिडिक भोजन: एसिडिक भोजन, जैसे कि टमाटर, नींबू, और दही, एल्युमिनियम के बर्तनों के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं। इससे भोजन में धातु का स्वाद आ सकता है और एल्यूमीनियम का रिसाव भी हो सकता है।
  • खरोंच: एल्युमिनियम के बर्तन आसानी से खरोंच होते हैं। खरोंच होने से एल्यूमीनियम का रिसाव होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है। गर्मी मिलने पर एल्युमीनियम के अणु जल्दी सक्रिय हो जाते हैं और एल्युमीनियम जल्दी गर्म होता है।
  • एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसमें खटाई या अम्लीय सब्जियों व चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है, तो उसे धीरे धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है।

स्वास्थ्य लाभ:

  • पोषक तत्वों को बचाता है: मिट्टी के बर्तन धीमी आंच पर खाना पकाते हैं, जिससे भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं।
  • क्षारीयता: मिट्टी के बर्तन भोजन में क्षारीयता (alkalinity) बढ़ाते हैं, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • अम्लता को कम करता है: मिट्टी के बर्तन भोजन में अम्लता (acidity) को कम करते हैं, जो पेट की जलन और एसिडिटी जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
  • खनिज: मिट्टी के बर्तन भोजन में लोहा, कैल्शियम, और मैग्नीशियम जैसे खनिजों की मात्रा बढ़ाते हैं।

पर्यावरणीय लाभ:

  • पुन: प्रयोज्य: मिट्टी के बर्तन पुन: प्रयोज्य होते हैं और इन्हें बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल: मिट्टी के बर्तन प्राकृतिक रूप से विघटनशील होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
  • ऊर्जा की बचत: मिट्टी के बर्तन कम ऊर्जा पर खाना पकाते हैं, जिससे ऊर्जा की बचत होती है।

अन्य लाभ:

  • स्वादिष्ट भोजन: मिट्टी के बर्तन में पका हुआ भोजन स्वादिष्ट और सुगंधित होता है।
  • पारंपरिक: मिट्टी के बर्तनों का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है और यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।

मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:

  • नए बर्तनों को तैयार करना: नए मिट्टी के बर्तनों को इस्तेमाल करने से पहले उन्हें पानी में भिगोना और धूप में सुखाना चाहिए।
  • धोने का तरीका: मिट्टी के बर्तनों को धोने के लिए कठोर डिटर्जेंट का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • गर्मी: मिट्टी के बर्तनों को सीधे आंच पर नहीं रखना चाहिए।
  • टूटना: मिट्टी के बर्तन टूटने योग्य होते हैं, इसलिए इन्हें सावधानी से रखना चाहिए।

फायदे:

  • हल्के और टिकाऊ: प्लास्टिक के बर्तन हल्के होते हैं और टूटते नहीं हैं।
  • सस्ते: प्लास्टिक के बर्तन अन्य प्रकार के बर्तनों की तुलना में सस्ते होते हैं।
  • पारदर्शी: प्लास्टिक के बर्तनों में रखे भोजन को आसानी से देखा जा सकता है।
  • विभिन्न रंगों और आकारों में उपलब्ध: प्लास्टिक के बर्तन विभिन्न रंगों और आकारों में उपलब्ध होते हैं।

नुकसान : Disadvantages of eating in plastic utensils

  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: प्लास्टिक के बर्तनों में BPA (Bisphenol A) नामक रसायन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। BPA हार्मोन असंतुलन, प्रजनन क्षमता में कमी, और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
  • पर्यावरण के लिए हानिकारक: प्लास्टिक के बर्तन पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। प्लास्टिक का विघटन नहीं होता है और यह लैंडफिल में जमा हो जाता है।
  • गर्मी से खराब हो सकता है: प्लास्टिक के बर्तनों को गर्म भोजन या तरल पदार्थों में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गर्मी से प्लास्टिक पिघल सकता है और भोजन में मिल सकता है।

खाना पकाने में आसानी:

  • नॉनस्टिक बर्तनों में खाना चिपकता नहीं है, जिससे खाना पकाना और साफ करना आसान हो जाता है।
  • कम तेल या मक्खन की आवश्यकता होती है, जो भोजन को स्वस्थ बनाता है।
  • खाना समान रूप से पकता है, जिससे जलने या अधपके होने की संभावना कम होती है।

स्वास्थ्य लाभ:

  • कम तेल या मक्खन का उपयोग करने से वसा और कैलोरी का सेवन कम होता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
  • नॉनस्टिक बर्तनों में खाना पकाने से भोजन में पोषक तत्वों का नुकसान कम होता है।

सुविधा:

  • नॉनस्टिक बर्तन हल्के और टिकाऊ होते हैं, जिससे उन्हें इस्तेमाल करना और स्टोर करना आसान हो जाता है।
  • विभिन्न प्रकार के नॉनस्टिक बर्तन उपलब्ध हैं, जो विभिन्न प्रकार के खाना पकाने के लिए उपयुक्त हैं।

नॉनस्टिक बर्तन चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • गुणवत्ता: उच्च गुणवत्ता वाले नॉनस्टिक बर्तन चुनें जो PFOA (Perfluorooctanoic acid) और PTFE (Polytetrafluoroethylene) मुक्त हों।
  • उपयोग: खाना पकाने के लिए उपयुक्त नॉनस्टिक बर्तन चुनें। उदाहरण के लिए, यदि आप अक्सर तलते हैं, तो आपको एक टिकाऊ नॉनस्टिक बर्तन की आवश्यकता होगी।
  • सुरक्षा: नॉनस्टिक बर्तनों को खरोंच से बचाएं और उन्हें उच्च तापमान पर इस्तेमाल न करें।

डॉ. तत्सवितु व्यास
सु जोक थेरेपिस्ट (एक्यूप्रेशर)
एवं प्राकृतिक सलाहकार
मो. 98272 78715

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