कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में टाइगर आने की कवायद और भी तेज हो गई है। इसकाे लेकर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी के चार सदस्यों ने शनिवार को जंगल में पहुंचकर यहां के बारे में जानकारी जुटाई। टीम शनिवार सुबह ही जंगल क्षेत्र में गई और पाइंटों के बारे में पता किया। इससे पहले रावली-टाॅडगढ़ से आते हुए जोजावर, सुमेर, देसूरी, सादड़ी, सिंगाड़ा, बाेखाड़ा होते हुए पांच रेंज को पार किया। टीम के सदस्य का कहना था कि टाइगर के लिए यह जंगल काफी घना होने के साथ सैफ भी है। इनका मानना है की जो टाइगर का हर रोज खाना है वो यहां हो इसके लिए भी सुविधा के बारे में आगे बताया जाएगा।

वहीं जिस-जिस जगह टाइगर घूमेगा, उसके आस-पास बाउंड्री बनाने की भी आवश्यकता रहेगी। इसके लिए इसमें यह भी तैयार कर भेजा जाएगा की यहां दो टाइगर सेफ है या फिर इससे ज्यादा। हालांकि टीम ने पूरी जानकारी देने से मना कर दिया था। उनका मानना था कि सभी जानकारी कमेटी के प्रमुख ही मुहैया करवाएंगे। टाइगर के पानी पीने के व्यवस्था के बारे में पता किया गया कि टाइगर कहा कहा विचरण करेगा और कहां से पानी पीएगा।

पांइटाें पर रहेंगे कैमरा ट्रेपिंग, उनका भी हुआ सर्वे

टीम में चार सदस्यों ने पूरी जानकारी का ब्याैरा रखा। इनमें एनके वासू, वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट टाइगर सेल के वैज्ञानिक डाॅ. कौशिक बेनर्जी, एनटीसीए के रीजनल आफिसर हैमंत कम्दी साथ थे। इनके अलावा डीएफओ फतह सिंह राठौड़, क्षेत्रिय वन अधिकारी किशोर सिंह भी साथ रहे। इससे एक दिन पहले टीम ने रावली-टाॅडगढ़, कालीघाटी, सहित अन्य जगहों का निरीक्षण भी किया था।

स्थानीय होटल व्यवसायियों से मिले सदस्य, बाेले-आपकी पाॅजिटिव एनर्जी से ये संभव

भ्रमण के बाद टीम के सदस्य क्षेत्र की महुआ बाग रिसोर्ट पहुंचे। जहां हेरिटेज सोसायटी के सचिव कुबेर सिंह सोलंकी, पूर्व होटल एसाेसिएशन अध्यक्ष गाेरधन सिंह झाला, प्रदीप सिंह सांगावत, गवार सरपंच बिशन सिंह राणावत, शक्तिसिंह चूंडावत, देवेंद्र सिंह से भी मिले और उनकी टाइगर आने की पाॅजिटिव एनर्जी को देखते हुए खुशी जताई। इस दौरान हेरिटेज सोसायटी सचिव कुबेर सिंह ने टीम को सेंचुरी में बने पांइटाें के बारे में जानकारी देने के अलावा यहां रहने वाले जानवारों के बारे में बताया। टीम ने भी पाॅजिटिव एनर्जी और सपोर्ट के लिए धन्यवाद किया।