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पक्षी के इंसानी प्रेम में कानून बना बाधक, देखिए सारस और आरिफ के प्रेम की गजब कहानी

01 30 https://jaivardhannews.com/law-became-an-obstacle-in-the-human-love-of-bird-see-the-wonderful-story-of-love-of-stork-and-arif/

कहते है चाहे इंसान हो या जानवर एक बार किसी से दिल से दोस्ती हो जाए तो चाहे कहीं दूर चले जाएं फिर भी उसकी मित्रका का प्रेम उसे खिंच ले आता है। आपने सारस और आरिफ की कहानी तो सुनी ही होगी। जो इन दिनों सोशल मीडिया पर फोटो और विडियो खूब वायरल हो रही है। आरिफ और सारस की इस दोस्ती को सोशल मीडिया पर लोग खुब पसंद कर रहे है। लेकिन सरस और आरिफ की इस प्रेम भरी दोस्ती के बीच कानून बाधा बन गया। उत्तर प्रदेश के अमेठी के आरिफ ने एक सारस घायल अवस्था में मिला था। उन्होंने उसका इलाज किया और सोचा कि ठीक होने के बाद वह उड़ जाएगा लेकिन वह जंगली पक्षी उनके साथ रहने लगा। वह अपनी थाली में सारस को खाना खिलाते थे। गांव और प्रदेश में बात फैलने लगी। जल्द ही मीडिया में उनकी तस्वीरें आने लगीं और वन विभाग ने मुकदमा दर्ज करा दिया। उसकी कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं।अमेठी वाले आरिफ गुर्जर और सारस की दोस्ती जहां एक तरफ मिसाल कायम कर रही है वहीं मुद्दा भी बनी हुई है।

वर्ष 2022 के अगस्त महीने में आरिफ की मुलाकात सारस से हुई। सारस आरिफ को घायल अवस्था में मिला। आरिफ ने उसका उपचार करवाया बस तब से ही सारस उसके साथ परिवार में रहने लगा और इमोशनली अटैच हो गया। आरिफ और सारस की दोस्ती का कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। इस बात की भनक जैसे ही वन विभाग को लगी, उन्होंने सारस को आरिफ से अलग कर दिया। उसे समसपुर पक्षी विहार छोड़ दिया। जहां से अपने दोस्त आरिफ की तलाश में सारस उड़कर नजदीकी गांव जा पहुंचा। उसे दोबारा वन विभाग ने पकड़ लिया। इसके बाद उसे खुले में न रखकर कानपुर चिड़ियाघर में रखा गया। हालात यह है कि सारस ने खाना-पीना छोड़ दिया है। ऐसे में अब सारस को वापस आरिफ के पास लाने की मुहिम छिड़ गई है।

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों में उल्लंघन

भारत देश में कुछ जानवरों को पालने पर पाबंदी है। यही वजह है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में केस दर्ज किया गया है। यह कानून जानवरों पर अत्याचार रोकने के लिए बना था। उन्हें 4 अप्रैल को वन विभाग ने तलब किया है। लंबी टांगों वाला यह विशाल पक्षी देखने में किसी को भी मोहित कर सकता है। चोच के पीछे रंगीन गर्दन हो या पंख फैलाए विशाल शरीर, यह जल्दी पहचाना जा सकता है।

सारस का वजन 9-10 किलोग्राम तक हो सकता है। ये अक्सर जोड़े या छोटे झुंड में देखे जाते हैं। ये भारत, दक्षिणपूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं। ये दलदली इलाकों, घास के मैदानों और खेतों में मिलते हैं। तालाब या झील के आसपास का इलाका इन्हें पसंद होता है। आरिफ के साथ सारस को देख लोगों को आश्चर्य हुआ कि एक पक्षी इंसान से इतनी गहरी दोस्ती कैसे कर सकता है। दरअसल, यह पक्षी स्वभाव से बहुत भावुक होता है। यह सबसे बड़ा पक्षी भावनाओं को महसूस कर सकता है। ये इंसान की ऊंचाई के बराबर 6 फीट के भी हो सकते हैं। कम लोगों को पता होगा कि सारस जमीन पर घोसला बनाते हैं।

सारस को भारत देश के कई इलाकों में पूजा जाता है। इन्हें प्रेम का प्रतीक भी समझा जाता है। जी हां, इसकी प्रेम कहानी दिलचस्प है। दरअसल, सारस का बच्चा जब सालभर का हो जाता है तो माता-पिता उसे छोड़ देते हैं। वह सारसों के झुंड में चला जाता है। पंख फैलाकर घूमना और आवाज निकालना उनकी आदत होती है। मादा सारस को ​नर रिझाता है। ये बेवफाई नहीं करते। एक बार जोड़ा बन जाए यानी मादा राजी हो जाए तो ये जीवनभर उसी के साथ रहते हैं। यही वजह है कि सारस अक्सर जोड़े में देखे जाते हैं। ये झुंड से अलग हो जाते हैं और अपना आशियाना बनाते हैं।

पानी या जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर ये घोसला बुनते हैं। घर या कहिए इलाका इनका हो जाता है। इनके संबंध बनाने का समय अप्रैल से जून तक का महीना होता है। ये आसमान की तरफ मुंह करके आवाज निकालते हैं। सुनने में ऐसा लगेगा जैसे नर और मादा किसी गीत को पूरा कर रहे हैं। नर-मादा पंख फैलाकर रास नृत्य करते हैं। जी हां, ये गोलाकार घूमते हैं। जैसे हिंदी फिल्मों में बाहें फैलाकर हम हीरो-हीरोइन को देखते हैं।
दूसरे सारस उनकी गृहस्थी में दखल नहीं देते। फिर भी कोई मनचला सारस अगर मादा के करीब आने की कोशिश करता है तो नर उसे चुनौती देता है। कहा जाता है कि नर अपनी प्रेमिका की रक्षा के लिए जान भी दे देते हैं। मादा के अंडों से बच्चे एक महीने में बाहर आ जाते हैं। गोंड जनजाति के लोग सारस को पवित्र मानते हैं। कहा जाता है कि सारस अपने जीवन में एक बार ही प्रेम करते हैं या कहिए जोड़ा बनाते हैं। जोड़ा टूटता है तो दूसरा जीवनभर अकेला ही रह जाता है।

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