Leopard Attack : उदयपुर के गोगुंदा में लेपर्ड के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को एक और महिला को लेपर्ड ने निशाना बनाया और उसकी मौत हो गई। इससे पहले सोमवार को एक पुजारी भी लेपर्ड के हमले में शिकार हो गए थे। बीते 12 दिनों में हुए इन हमलों में अब तक 8 लोगों की जान जा चुकी है। वन विभाग ने लेपर्ड को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए हैं और 4 लेपर्डों को पिंजरे में बंद भी किया गया है, लेकिन इन घटनाओं पर लगाम लगती नज़र नहीं आ रही है। इस क्षेत्र में दहशत का माहौल है और लोग अपने घरों से निकलने से डर रहे हैं।
उदयपुर के गोगुंदा के केलवो का खेड़ा गांव में मंगलवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। 55 वर्षीय कमला कुंवर अपने घर के आंगन में काम कर रही थीं, तभी अचानक एक लेपर्ड ने उन पर हमला कर दिया। महिला की चीख पुकार सुनकर परिवार के लोग बाहर आए तो लेपर्ड उनके शव को छोड़कर भाग गया। बताया जा रहा है कि लेपर्ड ने महिला की गर्दन को अपने जबड़ों में दबा लिया था जिससे गले में गहरा घाव हो गया और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ मौके पर जमा हो गई। वन विभाग और गोगुंदा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
Panther Attack in Udaipur : गांव में दहशत का माहौल
Panther Attack in Udaipur : उदयपुर के गोगुंदा थाना क्षेत्र में लेपर्ड के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बड़गांव थाना क्षेत्र के राठौड़ों का गुड़ा में एक दिन पहले ही लेपर्ड ने मंदिर के पुजारी विष्णु गिरी को मार डाला था। लेपर्ड ने पुजारी को घसीटते हुए करीब 150 मीटर दूर खेत में ले गया था। अब इसी क्षेत्र के केलवो का खेड़ा गांव में कमला कुंवर नामक एक महिला पर लेपर्ड ने हमला कर दिया और उनकी मौत हो गई। दोनों गांव एक दूसरे से महज एक किलोमीटर की दूरी पर हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि दोनों घटनाओं को अंजाम देने वाला लेपर्ड एक ही हो सकता है। इन लगातार हो रहे हमलों से गांव में दहशत का माहौल है और लोग अपने घरों से निकलने से डर रहे हैं।
Panther Hunted Woman : एक ही पैंथर के हमले की आशंका
Panther Hunted Woman : झाड़ोल में लेपर्ड के लगातार हो रहे हमलों ने दहशत फैला रखी है। वन विभाग के सभी प्रयासों के बावजूद, हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बिछीवाड़ा क्षेत्र में हुए कई हमलों के बाद भी, हमलावर लेपर्ड को पकड़ा नहीं जा सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक ही लेपर्ड हो सकता है जो लगातार इलाके में आतंक मचा रहा है। इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि कई लेपर्डों को पकड़ा जा चुका है, लेकिन हमले जारी हैं। इसके अलावा, पकड़े गए लेपर्डों के दांतों की स्थिति से यह संकेत मिलता है कि वे बुजुर्ग या बीमार हैं और शायद ही वे इतनी बार हमले कर पाते होंगे।
घटनाक्रम:
- 19 सितंबर: छाली पंचायत के उंडीथल में पहला हमला, 16 साल की कमला गमेती की मौत।
- 19 सितंबर: उंडीथल से 700 मीटर दूर भेवड़िया गांव में खुमाराम गमेती की मौत।
- 20 सितंबर: छाली के उमरिया गांव में हमेरी गमेती की मौत।
- 24 सितंबर: दो लेपर्ड पिंजरे में फंसे, दोनों नरभक्षी घोषित।
- 25 सितंबर: मजावद पंचायत में 6 साल की बच्ची सूरज का शिकार।
- 28 सितंबर: बगडूंदा पंचायत में गटू बाई की मौत।
- 29 सितंबर: एक और लेपर्ड पिंजरे में फंसा।
- 30 सितंबर: एक पुजारी की मौत।
मुख्य मुद्दे:
- एक ही तेंदुआ: स्थानीय लोगों का मानना है कि ये सभी हमले एक ही तेंदुए द्वारा किए जा रहे हैं।
- वन विभाग की कार्रवाई: वन विभाग ने पिंजरे, कैमरे लगाए और सेना के जवानों को भी बुलाया, लेकिन तेंदुए को पकड़ने में अभी तक सफलता नहीं मिली है।
- नरभक्षी तेंदुए: पकड़े गए दोनों तेंदुओं को नरभक्षी घोषित किया गया है, लेकिन इसके बावजूद हमले जारी हैं।
- ग्रामीणों का खौफ: लगातार हो रहे हमलों से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
Leopard News Udaipur : पिंजरे की चाल समझ गया तेंदुआ
Leopard News Udaipur : बिछीवाड़ा में हुए बच्चे शिव के शिकार के बाद लगाए गए पिंजरे के पास एक दिन तेंदुआ पहुंचा। पिंजरे में कुत्ता बंद था, जिससे तेंदुआ लुभाया जाना था, लेकिन तेंदुआ पिंजरे को सूंघकर ही वापस चला गया। इस घटना ने वन विभाग को हैरान कर दिया है।विभाग को शक है कि इस तेंदुए को पहले भी किसी और जगह पकड़ा गया होगा और फिर जंगल में छोड़ दिया गया होगा। इस वजह से यह तेंदुआ पिंजरों से बचने में माहिर हो गया है। मादा तेंदुए के मूत्र का छिड़काव और अन्य तरीकों से भी इस तेंदुए को पिंजरे में फंसाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। यह बात इस तथ्य से भी पुष्ट होती है कि हर हमले के बाद एक नया तेंदुआ पकड़ा जाता है, लेकिन फिर भी हमले जारी रहते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि या तो एक ही तेंदुआ बार-बार हमले कर रहा है और पिंजरों से बच रहा है, या फिर इस इलाके में तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है।
Udaipur News today : तेंदुए का 20 किमी का साम्राज्य और वन विभाग की मुश्किलें
Udaipur News today : फलासियां, झाड़ोल और गोगुंदा रेंज के जंगल आपस में जुड़े होने के कारण तेंदुए के लिए एक सुरक्षित गलियारा बन गए हैं। यह गलियारा तेंदुए को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह जाने की सुविधा प्रदान करता है। बारिश के मौसम में तेंदुए झाड़ियों और नदी-नालों में आराम से नहीं चल पाते हैं, इसलिए वे पहाड़ी इलाकों को अपना ठिकाना बना लेते हैं। मान्यता है कि यह तेंदुआ पहाड़ी रास्तों से झाड़ोल से विजय बावड़ी तक पहुंचा है। भले ही सड़क मार्ग से इन दोनों स्थानों के बीच की दूरी 10 से 40 किलोमीटर हो, लेकिन पहाड़ी रास्तों से यह दूरी आधी रह जाती है। एक तेंदुआ आमतौर पर 15 से 20 किलोमीटर के क्षेत्र में अपना आधिपत्य जमाता है। इस प्रकार, तेंदुए का यह 20 किलोमीटर का इलाका उसके लिए एक तरह का साम्राज्य बन गया है। वन विभाग की टीम इस तेंदुए को पकड़ने के लिए काफी संघर्ष कर रही है। तेंदुए का लगातार स्थान बदलना और पहाड़ी इलाकों में छिपना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।