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Leopard Terror : 12 शिकारियों को चकमा देते हुए आदमखोर तेंदुए का आतंक जारी: महिला के शव का जाल भी नाकाम

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Leopard Terror : उदयपुर के गोगुंदा और झाड़ोल क्षेत्र में पिछले 26 दिनों से आदमखोर तेंदुए का आतंक जारी है। इस खूंखार जानवर ने अब तक 9 लोगों को अपना शिकार बनाया है। सूत्रों के मुताबिक, तेंदुआ पिछले तीन दिनों से भूखा है और इसी वजह से दिन में भी हमले कर रहा है। ताजा घटना में, 4 अक्टूबर की शाम को गोगुंदा ब्लॉक के ढोल गांव के पास लेपर्ड ने दूधिया सरदारपुरा गांव निवासी कालू सिंह पर हमला कर दिया, लेकिन वे बाल-बाल बच गए।

Udaipur news Today : उदयपुर में आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए रणनीति में बदलाव किया गया है। अब शूटर और पुलिसकर्मी शिकारी की तरह जंगल में छिपकर तेंदुए का इंतजार कर रहे हैं। पानी के स्रोतों और शिकार वाली जगहों के आसपास पुलिस, सेना और वन विभाग की संयुक्त टीमों ने तेंदुए को घेर लिया है। उदयपुर कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने स्पष्ट किया है कि अगर तेंदुए को जिंदा पकड़ना संभव नहीं हुआ तो उसे मार गिराया जाएगा। हालांकि, स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग अभी भी तेंदुए को जिंदा पकड़ने की कोशिश में लगा हुआ है और इसी वजह से पहले के तीन मौकों पर तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करने में नाकाम रहे हैं।

Leopard Attack in udaipur : लेपर्ड के हमले जारी

Leopard Attack in udaipur : तीन दिन से भूखा आदमखोर तेंदुआ दिन में हमले कर रहा है। गोगुंदा पुलिस और स्थानीय ग्रामीणों के साथ जंगल में पहुंची टीम ने तेंदुए को घेर लिया है। टीम का दावा है कि अब तेंदुए को अधिक समय तक चकमा नहीं दे पाएगा। टीम के अधिकारियों के अनुसार, तेंदुए ने 1 अक्टूबर को विजय बाड़ी पंचायत के केलवों का खेड़ा में कमला कंवर (50) पर हमला किया था। तेंदुआ सुबह साढ़े सात बजे कमला को गर्दन दबोचकर खेत में ले गया था, लेकिन ग्रामीणों के शोर मचाने के कारण वह उन्हें नहीं खा सका।

Leopard hunted in udaipur : आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए शव का फंदा, लेकिन नाकाम

Leopard hunted in udaipur : आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए एक अनूठी रणनीति अपनाई गई थी। अधिकारियों ने तेंदुए को लुभाने के लिए एक शव को जंगल में रखा था। उम्मीद थी कि भूख से व्याकुल तेंदुआ शव को खाने के लिए वापस आएगा, जिससे उसे पकड़ा जा सकेगा। हालांकि, कई दिनों तक इंतजार करने के बाद भी तेंदुआ शव के पास नहीं लौटा। गोगुंदा एसएचओ शैतान सिंह नाथावत ने बताया कि तेंदुआ तीन दिन से भूखा है और उसकी गतिविधियां राठौड़ों का गुड़ा गांव के आसपास के जंगलों में देखी गई हैं। लेकिन वह अपनी स्थायी जगह पर वापस नहीं लौट रहा है और न ही किसी नए क्षेत्र में जा रहा है। इस अजीबोगरीब व्यवहार ने अधिकारियों को हैरान कर दिया है। शव का पोस्टमार्टम करवाया गया है ताकि तेंदुए के व्यवहार को समझने में मदद मिल सके।

Leopard Captured Plan : लेपर्ड ने किया मां बेटे पर हमला

Leopard Captured Plan : आदमखोर तेंदुए को मारने के लिए रणनीति में बदलाव करते हुए पुलिस ने राठौड़ों का गुड़ा गांव के जंगल में मोर्चा संभाल लिया। दो पुलिसकर्मी राइफल लेकर पेड़ों पर बैठ गए और बाकी पुलिसकर्मी ग्रामीणों के साथ झरने के आसपास तैनात हो गए। गोगुंदा एसएचओ शैतान सिंह नाथावत ने बताया कि भूखे तेंदुए के दोबारा हमला करने की संभावना है। टीम ‘शूट एट साइट’ के आदेश के साथ तेंदुए का इंतजार कर रही थी। तभी सूचना मिली कि तेंदुए ने मां-बेटे पर हमला किया है। घटना की सूचना मिलते ही टीम तुरंत मौके पर पहुंची और अंधेरे के बावजूद लेपर्ड का पीछा करती रही। लेकिन, एक बार फिर आदमखोर तेंदुआ चकमा देकर भाग निकला।

Panther news udaipur : तेन्दुए को पकड़ने के लिए बदली रणनीति

Panther news udaipur : एसएचओ शैतान सिंह ने बताया कि पहले टीम ढोल बजाकर लेपर्ड को बाहर निकालने की कोशिश करती थी, लेकिन अब रणनीति बदल दी गई है। अब शूटर और पुलिसकर्मी शिकारी की तरह जंगल में छिपकर लेपर्ड का इंतजार कर रहे हैं। टीम उन जगहों पर तैनात है जहां लेपर्ड शिकार या पानी के लिए आता है। गुरुवार रात लेपर्ड मजावद के खेड़ा गांव में देखा गया था जहां उसने केवल मुर्गियों को निशाना बनाया। लेपर्ड को पकड़ने के लिए दो नई इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम बनाई गई हैं जिनमें सरिस्का, रणथंभौर और केवलादेव नेशनल पार्क के अधिकारी भी शामिल हैं।

300 से अधिक वन विभाग और पुलिसकर्मी आदमखोर तेंदुए को पकड़ने में जुटे हैं, लेकिन अब तक सफलता हाथ नहीं लगी है। घने जंगल और ऊंची मक्की की फसल तेंदुए को ढूंढने में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। ड्रोन से कई बार तेंदुए को ट्रैक किया गया है, लेकिन वह टीम से पहले ही भाग जाता है। जंगल में लगे कैमरे भी तेंदुए को कैद नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि तेंदुए ने कई पशुओं को मार डाला है और उन्हें अन्य तेंदुओं को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने चाहिए। “जंगल में लगे 12 कैमरे और ड्रोन भी तेंदुए को ढूंढने में नाकाम रहे हैं। ढोल गांव के कालूसिंह राजपूत ने बताया कि तेंदुआ इलाके में कई पशुओं का शिकार कर चुका है। ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए वन विभाग को न केवल आदमखोर तेंदुए बल्कि अन्य तेंदुओं को पकड़ने के लिए भी पिंजरे लगाने चाहिए।”

गोगुंदा के केलवों का गुड़ा, राठौड़ों का गुड़ा और विजयबावड़ी इलाके में आदमखोर तेंदुए की लगातार हलचल देखी जा रही है। बुधवार को वन विभाग ने तेंदुए को ट्रैक कर लिया था, लेकिन मौके पर तैनात शूटरों ने उसे मारने की अनुमति नहीं दी। गुरुवार को राठौड़ों का गुड़ा गांव में तेंदुए ने मां-बेटे पर हमला करने का प्रयास किया। इस दौरान भी वन विभाग की टीम ने तेंदुए को बेहोश करने वाली दवा वाली बंदूक (ट्रैंकुलाइज गन) मंगाने में समय गंवा दिया और तेंदुआ फरार हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग ने तेंदुए को मारने के तीन मौके गंवा दिए हैं। गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के कार्मिकों पर हमला कर दिया जिसके बाद बढ़ते विरोध के कारण वन विभाग के रेंजर और कर्मचारियों को गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर हाईवे पर शरण लेनी पड़ी।

लेपर्ड को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान

आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में सेना, पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीमें शामिल हैं। जंगल में तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नाइट विजन कैमरे लगाए गए हैं और ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। संदिग्ध क्षेत्र में 12 टीमों को तैनात किया गया है, जिनमें प्रशिक्षित शूटर भी शामिल हैं।

तेंदुए को पकड़ने के लिए 10 किलोमीटर के क्षेत्र में 16 पिंजरे लगाए गए हैं। इन पिंजरों में शिकार को आकर्षित करने के लिए मादा जानवरों को रखा गया है। इसके अलावा, तेंदुए को मारने के लिए ‘शूट एट साइट’ का आदेश जारी किया गया है। इस अभियान में नवाब शाफत अली खान जैसे नामी शूटर को भी शामिल किया गया है। लगभग 100 लोगों की एक संयुक्त सर्च टीम और 300 कर्मचारी इस अभियान में दिन-रात जुटे हुए हैं।

लेपर्ड के खौफ से गांवों में कर्फ्यू जैसा माहौल

आदमखोर तेंदुए के खौफ ने ग्रामीणों की जिंदगी अस्त-व्यस्त कर दी है। प्रभावित गांवों में लोग शाम ढलते ही अपने घरों में दुबक जाते हैं। मवेशियों को भी घरों के अंदर ही रखा जा रहा है। पुलिस और सर्च टीमों ने रात में घरों से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। चावड़ावास गांव के संजय सिंह ने बताया कि बुधवार रात को गांव में दो तेंदुए आए थे। उनकी आवाजें देर रात तक सुनाई देती रहीं जिससे गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी तेंदुए आते थे लेकिन अब डर ज्यादा है क्योंकि यह पता नहीं चल पा रहा है कि कौन सा तेंदुआ आदमखोर है। पुलिस ग्रामीणों से अपील कर रही है कि वे सर्च ऑपरेशन पूरा होने तक घरों में ही रहें।

लेपर्ड के खौफ से जनजीवन अस्त- व्यस्त

गोगुंदा और झाड़ोल इलाके के गांवों में आदमखोर तेंदुए के खौफ ने लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त कर दी है। ग्रामीण अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। जो बच्चे स्कूल जाते हैं, उन्हें उनके माता-पिता ही छोड़ने और लाने जाते हैं। राठौड़ों का गुड़ा गांव में जहां सर्च टीम का कैंप लगा हुआ है, वहां स्कूलों में छुट्टियां कर दी गई हैं। बच्चे अब घरों से बाहर खेलते हुए नहीं दिखाई देते। गांव वाले दिन भर घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। उंडीथल गांव के लोगों ने बताया कि उन्हें खेतों से चारा लाने में भी डर लग रहा है। अब वे तीन-चार लोग मिलकर खेतों में जाते हैं, जिनमें से एक व्यक्ति चारा काटता है और बाकी लोग लेपर्ड पर नजर रखते हैं। सुरक्षा के लिए वे कुल्हाड़ी और तलवार भी साथ ले जाते हैं।

कलेक्टर ने कहा जिंदा नहीं पकड़ पाए तो मार गिराएंगें

गोगुंदा और झाड़ोल इलाके में लेपर्ड के हमलों से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। पिछले कुछ दिनों में लेपर्ड ने 40 किलोमीटर के क्षेत्र में कई हमले किए हैं। इनमें से अधिकतर हमले मवेशियों पर हुए हैं, लेकिन कुछ हमले इंसानों पर भी हुए हैं।सर्च टीमों का मानना है कि एक ही लेपर्ड इन सभी हमलों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि वह कौन सा लेपर्ड है। हालांकि, अब तक चार लेपर्ड को पकड़ा जा चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि लेपर्ड ने बकरियों, बैलों और यहां तक कि इंसानों पर भी हमले किए हैं। एक घटना में, एक महिला बकरी चरा रही थी, तभी लेपर्ड ने उस पर हमला कर दिया। महिला का कहना है कि लेपर्ड का पंजा उसकी ओढ़नी में उलझ गया था, जिससे वह बच गई। जिला कलेक्टर ने कहा है कि अगर तेंदुए को जल्द ही पकड़ा नहीं गया तो उसे मार दिया जाएगा। एक व्यक्ति ने बताया कि कैसे एक लेपर्ड ने उस पर हमला किया था और वह बाल-बाल बचा था। ग्रामीणों की जिंदगी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है। वे अब अपने घरों से बाहर निकलने से डरते हैं और अपने मवेशियों को भी घर के अंदर रखते हैं। वन विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से तेंदुए को पकड़ने के लिए अभियान चला रखा है।

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