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Love Story : जिस गैर मर्द के हवाले किया जिस्म, उसी ने ली विवाहित प्रेमिका की जान

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Love Story : यह कहानी एक मजबूर महिला की है। एक बरबाद होते शादीशुदा जोडे की है, तो जिस्म की भूख मिटाने के लिए हदपार जाने की सच्चाई भी है। दीपा नामक महिला की भी कुछ ऐसी ही मजबूरी थी, जिसकी शादी तो बाल उम्र में ही हो गई, लेकिन दस साल बाद उसका पति शराब का इतना आदी हो गया कि उसे छोडना मजबूरी हो गया। फिर क्या था दीपा के जिस्म की भूख मिटाने का कोई विकल्प नहीं था। इसलिए पहले तो दो प्रेमी बनाए। फिर जब उनसे भी भूख नहीं मिटी तो नए आशिक तैयार किए, तो दीपा का यह कदम एक प्रेमी को इतना नागवार गुजरा कि उसने उसकी जान ही ले ली। शादीशुदा महिला के घर की चौखट से बाहर कदम रखने और गैर मर्दो के साथ अवैध संबंध के बाद मौत की खौफनाक कहानी सुनकर हर कोई हैरान है।

Crime Kahani : रियल घटना पर आधारित यह कहानी है 18 मई 2018 की। मध्यप्रदेश के उज्जैन में 34 वर्षीय दीपा वर्मा की कहानी है, जो दिखने बडी ही खूबसुरत थी, जिसे देखते ही हर किसी मर्द की नीयत बिगाड़ने जैसा था। दीपा की आंखों में पुरुषों के लिए एक आमंत्रण सा होता था, जो पुरुष इस आमंत्रण को समझ स्वीकार कर लेता था। दीपा का गजब हुस्न व अदाएं थी। ऐसा ही कुछ उससे उम्र में 8-10 साल छोटे धर्मेंद्र गहलोत के साथ हुआ था। धर्मेंद्र प्रसिद्ध धर्मनगरी उज्जैन के देवास रोड पर अपनी पत्नी के साथ रहता था। पेशे से मांस व्यापारी इस युवक की जिंदगी सुकून से गुजर रही थी। अब से करीब 3 साल पहले वह दीपा से मिला था, तो पहली नजर में ही उस पर फिदा हो गया। दीपा को देख कर धर्मेंद्र को यह तो समझ आ गया कि वह शादीशुदा है। उसके गले में लटका मंगलसूत्र व मांग का सिंदूर उसके शादीशुदा होने की गवाही दे रहे थे। उज्जैन का फ्रीगंज इलाका रिहायशी भी है और व्यावसायिक भी, इसलिए जो भी पहली दफा उज्जैन जाता है वह महाकाल और दूसरे मंदिरों के नामों के साथ साथ फ्रीगंज नाम के मोहल्ले से भी वाकिफ हो जाता है। शहर के लगभग बीचों बीच बसे इस इलाके की रौनक देखते ही बनती है। इसी इलाके में दीपा की साडि़यों पर फाल लगाने व पीको करने की छोटी सी दुकान थी, जिससे उसे ठीक ठाक आमदनी हो जाती थी। करीब 3 साल पहले एक दिन धर्मेंद्र की पत्नी दीपा को अपनी साड़ी में फाल लगाने व पीको करने के लिए दे आई थी। उसे वहां से साड़ी लाने का टाइम नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उसने साड़ी लाने के लिए अपने पति धर्मेंद्र को भेज दिया। धर्मेंद्र जब दीपा की दुकान पर गया तो खूबसूरत दीपा को देखता ही रह गया और उसी वक्त अपना दिल दे बैठा। दीपा में कुछ बात तो थी, जो उसे देख धर्मेंद्र का दिल जोर से धड़कने लगा था। सामान्यत: बातचीत के बाद साड़ी लेकर जब उसने दीपा को पैसे दिए तो उसकी हथेली एक खास अंदाज में दबाने से वह खुद को रोक नहीं पाया। धर्मेंद्र ने उसकी हथेली दबा तो दी थी, लेकिन उसे इस बात का डर भी था कि कहीं दीपा इस बात का बुरा मानकर उसे झिड़क न दे। दीपा ने इस हरकत पर कोई ऐतराज नहीं जताया, बल्कि हंसते हुए यह जरूर कह दिया कि बड़े हिम्मत वाले हो जो पहली ही मुलाकात में हाथ दबा दिया। इस जवाब से धर्मेंद्र का डर तो दूर हो गया, पर दीपा के इस अप्रत्याशित जवाब से वह झेंप सा गया था। उसे यह समझ आ गया था कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो यह खूबसूरत महिला जल्द ही उसके चंगुल में आ जाएगी। कहने भर की बात है कि औरतें पहली नजर में मर्द की नीयत ताड़ जाती हैं, लेकिन यहां उलटा हुआ था। पहली ही नजर में धर्मेंद्र तो दीपा की नीयत जान गया।
धर्मेंद्र आया दीपा की जिंदगी में दुकान से जाते जाते उसने दीपा का मोबाइल नंबर ले लिया और उसे भी अपना नंबर दे दिया था। दीपा के हुस्न में खोए धर्मेंद्र को इस वक्त यह समझाने वाला कोई नहीं था कि वह कितनी बड़ी आफत को न्यौता दे रहा है। यही बात दीपा पर भी लागू हो रही थी, जो धर्मेंद्र के आकर्षक चेहरे व गठीले कसरती बदन पर मर मिटी थी। जल्द ही दोनों के बीच मोबाइल पर लंबी लंबी बातें होने लगीं। ये बातें निहायत ही रोमांटिक होती थीं। जिसमें यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि कौन किसको बहका व उकसा रहा है। दोनों शादीशुदा व खेले खाए थे, इसलिए जल्द ही एक दूसरे से इतने खुल गए कि मिलने के लिए बेचैन रहने लगे। सैक्सी बातें करते करते दोनों का सब्र जवाब देने लगा था, लेकिन पहल कौन करें, इस पर दोनों ही संकोच कर रहे थे। धर्मेंद्र ने पहल नहीं की तो एक दिन दीपा ने ही उसे फोन पर आमंत्रण भरा ताना मारा कि फोन पर ही सब कुछ करते रहोगे या फिर कभी मिलोगे भी। इस पर धर्मेंद्र ने मौका न गंवाते हुए कह दिया कि आ जाओ, आज ही मिलते हैं महाकाल मंदिर के पास। इस मासूमियत पर दीपा जोर से हंस कर बोली कि मंदिर में क्या मुझसे भजन करवाना है। एक काम करो, तुम मेरे घर आ जाओ। दीपा ने सिर्फ कहा ही नहीं बल्कि उसे अपने घर का पता भी बता दिया। अब कहने सुनने व सोचने को कुछ नहीं बचा था। धर्मेंद्र तो बिना वक्त गंवाए दीपा के घर पहुंच गया, जहां वह सजसंवर कर उसका इंतजार कर रही थी। दरवाजा खुलते ही उसने दीपा को देखा तो अपने होश खो बैठा। एक निहायत खूबसूरत महिला उस पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार थी। वह भी बिना किसी मांग या खुदगर्जी के। यह खयाल ही धर्मेंद्र को और मर्द बनाए दे रहा था। दरवाजा बंद होते ही दोनों एक दूसरे से कुछ इस तरह लिपटे कि लंबे वक्त तक अलग नहीं हुए और जब अलग हुए तो एक अलग दुनिया में थे, जहां भलाबुरा, नैतिक अनैतिक, जायज नाजायज कुछ नहीं होता। होती है तो बस एक जरूरत जो रह रह कर सिर उठाती है। इस तरह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में समा गए और एक दूसरे में खो गए। चोरी छिपे संबंधों का लुत्फ लेने में दोनों ही खो गए थे। फिर दोनों ने अपने मन मुताबिक अपने जिस्म की प्यास बुझाई। साथ ही अब तो दोनों जब चाहे, तब हम बिस्तर होने लगे। दीपा भी जब भी मन होता, तब वह बुला लेती और घर पर हम बिस्तर हो जाते। कुछ माह बाद धर्मेंद्र ने दीपा की निजी जिंदगी में दिलचस्पी ली।

Real Crime Story : फिर धर्मेन्द्र को यह हैरानी थी कि पति होते हुए शादीशुदा महिला कैसे उसकी आंखों में धूल सकती है। अवैध संबंध बनने के बाद धर्मेन्द्र ने काफी पैसा दीपा पर लुटाया था। इस कारण धर्मेन्द्र के बार बार पूछने पर दीपा ने आधी अधूरी निजी जीवन की बात बता दी। पति का नाम दिलीप शर्मा बताया, जो नजदीक के गांव में खेती करते हैं व कांग्रेस कार्यकर्ता है। दीपा की इस बात को लेकर धर्मेन्द्र को पूरा विश्वास भी नहीं हुआ, मगर उसके जेहन में एक विचार आया कि सच कुछ और है और वह पता करके रहेगा। फिर धीरे धीरे जब धर्मेन्द्र ने खोजबीन शुरू की, तो दिलीप शर्मा जिसे दीपा ने अपना पति बताया था, वह तो असल पति नहीं था। वह तो दिलीप शर्मा की लिव इन रिलेशनशिप में थी। यह सच्चाई सामने आते ही धर्मेंद्र को झटका लगा। फिर धर्मेन्द्र गहराई से दीपा के बारे में पता लगाने लगा। तभी दीपा की बीते जीवन के बारे में जानने का प्रयास किया तो एक बदकिस्मती औरत का चेहरा सामने आया, लेकिन इसके लिए भी कहीं न कहीं वह खुद ही जिम्मेदार थी।
उज्जैन के मशहूर काल भैरव मंदिर से हर कोई वाकिफ है। क्योंकि वहां शराब का प्रसाद चढ़ता है। काल भैरव जाने वाला एक रास्ता जेल रोड कहलाता है, जहां जेल बनी हुई है। जेल अफसर भी यहां बनी काॅलोनी में रहते हैं। दीपा इसी जेल रोड की ज्ञान टेकरी के एक मामूली से परिवार में पैदा हुई। कुदरत ने दीपा पर मेहरबान होते हुए उसे गजब की खूबसूरती बख्शी थी। उसे एक ऐसा रंगरूप मिला था, जिसे पाने के लिए तमाम महिलाएं तरसती हैं। दीपा ने किशोरावस्था में कदम रखा ही था कि उसके दीवाने भंवरों की तरह मंडराने लगे थे। खूबसूरत होने के साथ दीपा अल्हड़ भी थी। तभी तो मां बाप चिंतित रहने लगे थे। दीपा के दो छोटे भाई भी घर में थे। लड़की मां बाप की इज्जत समझी जाती है। इससे पहले कि बेटी की वजह से मां बाप की इज्जत पर कोई आंच आए, उसकी शादी के लिए लड़का तलाशने लग गए। अभी दीपा की उम्र महज 14 साल थी। उस की शादी के लिए देवास जिले के गांव जलालखेड़ी में एक लड़का देख लिया, जिसका नाम राकेश वर्मा था। बात पक्की होने पर राकेश वर्मा से दीपा की शादी कर दी। वह दीपा से 5 साल बड़ा था। शादी के बाद राकेश की रातें गुलजार हो उठीं। वह दिन रात पत्नी के खिलते यौवन में डूबा रहता था। आमतौर पर भले ही शादी कम उम्र में हो जाए, फिर भी युवक जिम्मेदारी उठानी सीख जाते हैं, लेकिन राकेश के साथ उलटा हुआ।

Love Affair & Murder : वह दिन रात बिस्तर पर पड़ा दीपा के जिस्म से खेला करता था। प्रारंभ में तो राकेश के घर वालों ने यह सोच कर कुछ नहीं कहा कि अभी बच्चा है, जब घर गृहस्थी के मायने समझने लगेगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन 5-6 साल बाद भी हालात नहीं बदल पाए तो परिजन उसे टोकने लगे। फिर भी सुधरने के बजाय राकेश ज्यादा बिगड़ता गया। फिर वह शराब का आदी हो गया और घर के परिजन भी परेशान हो चुके थे। राकेश अपनी नाकामी व निकम्मेपन की खीझ दीपा पर उतारने लगा। दीपा के जिस संगमरमरी जिस्म को सहलाते चूमते वह कभी थकता नहीं था, उसके जिस्म पर पिटाई के निशान बनने लगे। राकेश उस पर चरित्रहीनता के आरोप भी लगाने लगा और रोजाना मारपीट करने लगा, तो घबराई दीपा करीब 10 साल यानि कि 24 साल की उम्र तक पति के पास रही और उसके बाद वह मायके लौट आई। जिससे दीपा के मां बाप के सिर पर बोझ बढ़ गया था, लेकिन थोड़ा सुकून उन्हें उस वक्त मिला, जब दीपा ने फ्रीगंज में साड़ी पर फाल लगाने व पीको करने की दुकान खोल ली। दुकान चल निकली तो दीपा खुद के खर्चे उठाने लगी, लेकिन जैसे ही लोगों को यह पता चला कि वह पति को छोड़ मायके में रह रही है तो उसके दीवाने दुकान व घर के आस पास मंडराने लगे। शुरुआत में वह किसी के चक्कर में न पड़ना चाहती थी, लेकिन शारीरिक भूख के चलते वह बेबस हो गई। दीपा को एक ऐसे पुरुष की जरूरत थी, जो शारीरिक के साथ भावनात्मक व आर्थिक सहारा, सुरक्षा भी दे सके। एक दिन दीपा की मुलाकात दिलीप शर्मा से हुई, जो उसे उपयुक्त लगा। शादीशुदा दिलीप दीपा की खूबसूरती व अदाओं पर मर मिटा था। उसकी पत्नी गांव में रहती थी, इसलिए उज्जैन में किसी महिला से मिलने जुलने पर उसे कोई अड़ंगा या पाबंदी नहीं थी। दोनों की मेल मुलाकातें बड़े सधे ढंग से आगे बढ़ीं। दोनों ने एक दूसरे की जरूरतों को समझा व दोनों के बीच मौखिक अनुबंध यह हुआ कि दिलीप दीपा का पूरा खर्च उठाएगा, उसे अलग घर दिलाएगा व ज्यादा से ज्यादा वक्त भी देगा। एवज में दीपा उसके लिए हर तरह से समर्पित रहेगी।

Murder Mystery : दिलीप ने दीपा को किराए के मकान में शिफ्ट करा कर घर गृहस्थी का सारा सामान जुटा दिया और पार्ट टाइम पति की हैसियत से रहने भी लगा। दिलीप के पास पैसों की कमी नहीं थी, वह उन लोगों में से था, जो एक पत्नी गांव में और एक शहर में रखना अफोर्ड कर सकते हैं। इस तरह दीपा ने अप्रत्यक्ष तौर पर नई गृहस्थी की शुरुआत की, लेकिन वह किसी भी तरह के बंधनों से दूर थी। अगर पर्दे के पीछे देखा जाए तो दोनों के जिस्म की भूख में ही यह लिव इन रिलेशनशिप बना था। अब दीपा की पारिवारिक, सामाजिक जिंदगी व प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं थी। इस तरह लिव इन रिलेशनशिप में 8 साल बीतन गए। फिर धीरे धीरे दिलीप का दिल दीपा से भरने लगा तो उसने उसके पास आना जाना थोडा कम कर दिया, लेकिन वादे के मुताबिक दीपा का घर खर्च उठाता रहा। दीपा समझ रही थी कि प्रेमी का मन उससे भर चला है, लेकिन अभी पूरी तरह उचटा नहीं है, पर दिक्क्त यह थी कि 14 साल की उम्र से ही सैक्स की आदी होने के कारण वह अक्सर रोजाना सैक्स चाहती थी, जो दिलीप के लिए संभव नहीं था। इसी साल जनवरी में दिलीप ने उसे माधवनगर इलाके के वल्लभनगर में किराए के मकान में शिफ्ट कर दिया। मकान मालिक लक्ष्मणदास पमनानी को उसने यही बताया कि दीपा उसकी पत्नी है और वह खेती बाड़ी के सिलसिले में गांव जाता रहता है, लेकिन पड़ोसियों का माथा उस वक्त ठनका, जब कई अंजान युवक दीपा के पास दिलीप की गैरमौजूदगी में आने लगे।

आजकल बिना वजह कोई किसी के फटे में टांग नहीं अड़ाना चाहता, इसलिए लोगों ने दीपा से कहा कुछ नहीं, बस देखते रहते। दिलीप को इस बात की भनक थी, इसलिए उसने दीपा को समझाया कि वह फालतू लोगों का यहां आना जाना बंद करें, लेकिन दीपा नहीं मानी। दिलीप ने भी उससे कोई जबरदस्ती नहीं की। दिलीप को अब दीपा से ज्यादा अपनी इज्जत की चिंता होने लगी थी। फिर क्या था दीपा की यह सच्ची कहानी पता चलने के बाद धर्मेन्द्र को एक तरह से खुशी हुई। फिर क्या था हैरतअंगेज तरीके से धर्मेंद्र व दिलीप के बीच दोस्ती हो गई और दोनों दीपा के साथ बैठ दारू चिकन की दावत उड़ाने लगे। अब दीपा 2 आशिकों की हो गई थी, जो उसे लेकर बजाय आपस में झगड़ने के उसे साझा कर रहे थे, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही थी कि दोनों उसके शरीर व जवानी को भोग रहे हैं। दोनों में से कोई उसे प्यार नहीं करता। धर्मेंद्र व दिलीप को सहूलियत यह थी कि दीपा अब किसी एक पर भार नहीं थी। दो प्रेमियों की रखैल की तरह रह रही दीपा का भी इनसे मन भरने लगा तो उसने नए आशिकों को घर आने की छूट दे दी। इस पर दिलीप को नहीं, बल्कि धर्मेंद्र को ऐतराज होने लगा। धर्मेन्द्र ने 18 मई 2018 को ऐसा खौफनाक कदम उठाया कि पूरा उज्जैन दहल सा गया। 18 मई सुबह करीब 8 बजे दीपा के घर से धुआं निकलता देख अनहोनी की आशंका से घबराए जितेंद्र ने तुरंत पुलिस व दमकल को कॉल कर दिया। चंद मिनट बाद ही पुलिस व दमकलकर्मी वल्लभनगर पहुंच गए। फिर जैसे तैसे दमकल से आग पर काबू पाया और पुलिस के जवान अंदर गए, तो खौफनाक मंजर दिखाई दिया। रसोई में अर्धनग्न महिला की लाश औंधे मुंह पड़ी मिली। लाश के ऊपर मोटे गद्दों के साथ अधजली दरी भी पड़ी. लाश दीपा की थी। उसके दोनों हाथ की नसें कटी थीं और गर्दन पर धारदार हथियार के निशान भी थे। दीवार व दरवाजे पर खून के निशान थे और प्रथम दृष्टया मामला हत्या का ही लग रहा था। इस पर माधवनगर थाने के इंचार्ज गगन बादल ने तत्काल एसपी सचिन अतुलकर व एफएसएल अधिकारी डा. प्रीति गायकवाड़ को सूचना दी। एसपी ने घटना स्थल का मुआयना करने के बाद जांच को लेकर खास निर्देश दिए। घर अस्तव्यस्त व बैडरूम का दरवाजा टूटा था। सबसे अजीब व चौंकाने वाली बात थी कि दीपा की लाश के पैरों के बीच एलपीजी सिलेंडर की नली घुसी हुई थी। हत्या की ऐसी वारदात पुलिस वालों ने पहली बार देखी थी और लाश 90 फीसदी जली थी। फिर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए लाश अस्पताल भिजवा दी, जहां पर डॉ. एलके तिवारी, अजय दिवाकर व रेखा की टीम ने पोस्टमार्टम किया और जिंदा जलाना बताया। पुलिस ने आस पडोस में पूछताछ की, तो दीपा वर्मा को दिलीप की पत्नी बताया। माधवनगर थाना प्रभारी गगन बादल के नेतृत्व में टीम गठित की, जिसमें एसआई बीएस मंडलोई, संजय राजपूत, हैड कांस्टेबल सुरेंद्रसिंह, साइबर सेल इंसपेक्टर दीपिका शिंदे को शामिल किया।
पूछताछ में दिलीप का नाम सामने आया। मकान मालिक ने बयान में बताया कि जनवरी में मकान दिलीप को किराए पर दिया था। दीपिका शिंदे ने सबसे पहले दिलीप की गरदन पकड़ी तो उसने दीपा के संबंधों का सच उगलते हुए खुद के हत्यारे होने या हत्या में लिप्त होने से साफ इनकार कर दिया। दीपा के दोनों भाई बहन ने दिलीप पर ही मारपीट करने के आरोप लगाए, जबकि दिलीप ने बताया कि उसकी गैर मौजूदगी में कई युवक उससे मिलने आते थे, जिसमें धर्मेंद्र प्रमुख था। अनुसंधान करते हुए पुलिस धर्मेंद्र के घर पहुंची और उसे हिरासत में लेकर थाने पर पहुंचे, जहां पर पुलिस ने पूछा कि तूने दीपा की हत्या क्यों की है, तो धर्मेन्द्र काफी घबरा गया और तुरंत कबूल कर लिया कि दीपा नए नए युवकों से अवैध संबंध बना रही थी, जो उसे मंजूर नहीं था और इसीलिए उसने कत्ल किया। बताया कि धर्मेंद्र की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया था, इसलिए उसे जिस्म की तलब थी और उसने दीपा से कह दिया। पहले तो दीपा ने मना किया, मगर बार बार कहने पर राजी हो गई। फिर दोनों शाम को बाजार गए, जहां से धर्मेन्द्र व दीपा ने शराब व चिकन खरीदा। बाजार में दीपा के पास किसी का फोन आया, जिसे उसने कुछ हिचकते हुए रिसीव किया था। मोबाइल करते उसने कहा था कि आज नहीं, क्योंकि उसका पति आया हुआ है। दीपा पर शक तो धर्मेंद्र को पहले से था, इसलिए उसने उससे छिपकर दिलीप को कॉल किया तो पता चला कि वह तो गांव में है। इससे धर्मेन्द्र तिलमिला उठा और दीपा ने भी जरूरत से ज्यादा शराब व चिकन खरीदा, जो भी शक की वजह थी। शक में मूड खराब होने पर धर्मेंद्र घर चला गया। इसी शक के मारे उसके तन बदन में आग लग रही थी। दीपा उसे बदचलन लगने लगी। कुछ सोचते हुए वह दीपा की सच्चाई जानने के लिए आधी रात उसके घर पहुंच गया, तो वह दीपा तो धर्मेन्द्र के पैसे से लाए शराब व चिकन दो अन्य लड़के रवि एवं मनोहर उर्फ कुक्कू के साथ पार्टी कर चुकी। यह देखकर धर्मेन्द्र काफी आक्राेशित हो गया।

फिर क्या था धर्मेन्द्र व दीपा के बीच झगडा हो गया। इसी बात को लेकर धर्मेन्द्र ने आवेश में दीपा की हत्या कर डाली। घटना के वक्त दीपा के अन्य आशिक बाहर छिपे हुए थे, लेकिन हत्या से पहले भाग गए थे, जिन्हें पुलिस ने सरकारी गवाह बनाया। इस तरह अवैध संबंध चलते दीपा को बेमौत मरना पडा। दीपा हत्याकांड में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करने पर एसपी सचिन अतुलकर ने पुलिस टीम की पीठ थपथपाई। अब दीपा इस दुनिया में नहीं है और उसका एक प्रेमी धर्मेन्द्र जेल में है, जबकि दिलीप पहले की तरह ही जिन्दगी काट रहा है। इस खौफनाक घटना के बाद कई सवाल जिंदा रह गए कि आखिर दीपा की जिन्दगी के साथ हुआ, उसके लिए वह कितनी जिम्मेदार है। पहले बचपन में शादी, फिर पति के शराब का आदी होना, बसा बसाया घर टूटना। फिर लिव इन रिलेशनशिप के बाद दीपा के कई युवकों के साथ अवैध संबंध बनाना आखिर कहां तक उचित था। तनहाई के चलते गैर मर्द की बाहों में झूलती दीपा की बेमौत हुई, तो कहीं न कहीं इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार है। दीपा ने दिलीप के बाद धर्मेन्द्र को प्रेमी बनाया।

फिर दीपा ने यह सोचकर नए आशिक बनाए कि आखिर दिलीप व धर्मेन्द्र कब तक उसका खर्च उठाएंगे। इसीलिए दीपा ने नए युवकों से अवैध संबंध बनाए और फिर उसका अंजाम भी बहुत खतरनाक सामने आया, जिसे सुन व देखकर हर किसी की रूह कांप उठती है। फिलहाल दीपा हत्याकांड में धर्मेन्द्र को जेल हो चुकी है, जिसकी पत्नी व बच्चों के घर गुजारे पर बडा संकट मंडराने लगा है।

यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना या परेशान करना नहीं है, बल्कि अपराध को लेकर आमजन को शिक्षिक, सतर्क व सावधान करना करना है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति या महिला इस तरह की हरकत न करें, जिससे कोई अपराध घटित न हो। आपके नजरिए से यह कहानी आमजन को क्या संदेश देती है, कमेंट करके जरूर बताइएगा। साथ ही आपको किस तरह की कहानियां पसंद है, वह भी लिखिए। धन्यवाद

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