Mahakumbh Incident https://jaivardhannews.com/maha-kumbh-mela-stampede-today-news-prayagraj/

maha kumbh mela stampede : मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर संगम तट पर आस्था का विशाल सैलाब उमड़ पड़ा। 28 जनवरी की रात 10 बजे से ही श्रद्धालु संगम पर पहुंचने लगे थे। लोगों को सुबह तक स्नान करना था, इसलिए वे संगम नोज पर बैरिकेडिंग के किनारे पॉलिथीन बिछाकर सो गए। लेकिन जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, करीब 500 मीटर क्षेत्र पूरी तरह ठसाठस भर गया।

Mahakumbh Incident : भीड़ के दबाव से बैरिकेडिंग टूटी, मची अफरा-तफरी

Mahakumbh Incident : रात के अंधेरे में हजारों की संख्या में आए श्रद्धालु संगम तट पर स्थान घेरने लगे। जगह खत्म होने के कारण आगे बढ़ना संभव नहीं था, लेकिन पीछे से भीड़ का दबाव लगातार बना रहा। अचानक बैरिकेडिंग टूट गई, जिससे वहां सोए हुए लोग कुचलने लगे। भगदड़ का आलम यह था कि कुछ ही मिनटों में चीख-पुकार मच गई।

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Mahakumbh mela news today : ’15 मिनट तक भीड़ में दबे रहे, लगा सब खत्म हो गया’: चश्मदीद का बयान

Mahakumbh mela news today : घटना के वक्त मौजूद रमेश बताते हैं, “हम रात 12:30 बजे संगम घाट पहुंचे थे और आराम कर रहे थे। पुलिस वाले लाउडस्पीकर से स्नान करने के लिए कह रहे थे। तभी अचानक भीड़ उग्र हो गई। हमें कुछ समझ ही नहीं आया, हम 15 मिनट तक भीड़ में दबे रहे। मैंने मां और पत्नी का हाथ पकड़ रखा था, लेकिन भगदड़ में वे छूट गए। उस स्थिति में मैंने घर फोन कर बताया कि सब खत्म हो गया।” प्रयागराज महाकुंभ मेला भगदड़

रमेश की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें हॉस्पिटल में मां और पत्नी मिल गईं, लेकिन कई परिवारों का पुनर्मिलन नहीं हो पाया। प्रशासन के अनुसार इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई, जबकि रिपोर्टर्स का दावा है कि मरने वालों की संख्या 35-40 के बीच है।

महाकुंभ में क्यों मची भगदड़?

भास्कर टीम ने घटनास्थल पर जाकर लोगों से बातचीत की और भगदड़ के कारणों को समझने की कोशिश की। ये चार बड़ी वजह सामने आईं:

1. हर ओर से बढ़ती गई भीड़, जगह की कमी

मौनी अमावस्या पर संगम स्नान की महत्ता को देखते हुए लाखों श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ में क्यों मची भगदड़? पहुंचे। प्रयागराज के सभी होटल, धर्मशालाएं, और रैन बसेरे श्रद्धालुओं से भरे थे, जिसके चलते हजारों लोगों को सड़कों पर ही रात गुजारनी पड़ी।

कई श्रद्धालु संगम नोज पर पहुंचकर वहीं बैठ गए। लेकिन आधा संगम क्षेत्र अखाड़ों के लिए आरक्षित था, जिससे आम लोगों के लिए स्थान सीमित था। पीछे से लगातार भीड़ आती रही, जिससे आधा किलोमीटर का क्षेत्र पूरी तरह जाम हो गया।

2. प्रशासन और पुलिस की लचर क्राउड मैनेजमेंट व्यवस्था

मेला प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए 328 AI कैमरे लगाने का दावा किया था, जो कंट्रोल रूम को भीड़ का अपडेट देते। लेकिन जब संगम पर भीड़ हद से ज्यादा बढ़ गई, तब भी इसे डायवर्ट नहीं किया गया।

सभी पांटून पुलों को बंद कर दिया गया, जिससे दूसरी ओर जाने वाले लोग वहीं फंसे रह गए। प्रशासन 1000 पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सका।

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3. पुलिस के दखल से बिगड़ी स्थिति

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिसवाले लाउडस्पीकर पर लोगों से स्नान के लिए आगे बढ़ने को कह रहे थे। जब भीड़ ज्यादा बढ़ गई, तो पुलिस ने लोगों को जबरन उठाना शुरू कर दिया। इससे घबराहट फैल गई और भगदड़ मच गई।

4. नागा साधुओं के आने की अफवाह

घटनास्थल पर मौजूद श्रद्धालुओं ने बताया कि अचानक अफवाह फैल गई कि नागा साधु स्नान के लिए आ रहे हैं, इसलिए वहां बैठे लोग हट जाएं। इससे श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया और भगदड़ की स्थिति बन गई।

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घायलों को अस्पताल पहुंचाने में हुई देरी

संगम से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल सबसे बड़ा अस्पताल है, जहां 225 बेड उपलब्ध हैं। घटना के बाद घायलों को यहां लाया गया।

प्रत्यक्षदर्शी रमेश कहते हैं, “घटना के बाद चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। हमने पुलिस से एंबुलेंस बुलाने को कहा, लेकिन वे 30 मिनट तक नहीं आईं। जब आईं तो भीड़ में फंस गईं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।”

Mahakumbh news : सेक्टर-21 में भी मची भगदड़, स्थिति और बदतर

संगम से करीब एक किलोमीटर दूर सेक्टर-21 में भी भगदड़ मच गई। यह इलाका सेक्टर-20 से सटा हुआ है, जहां सभी प्रमुख अखाड़े स्थित हैं। यहां से भी हजारों श्रद्धालु संगम की ओर बढ़ रहे थे। रात 3 बजे के बाद स्थिति और खराब हो गई। पुलिस और CRPF के जवानों ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन लोगों को संगम जाने के लिए 7 किलोमीटर घूमकर जाने के लिए कहा गया, जिससे वे उग्र हो गए।

50 एंबुलेंस की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया

घटना के बाद करीब 50 एंबुलेंस संगम और सेक्टर-21 के बीच दौड़ती रहीं। प्रत्येक एंबुलेंस में दो से तीन घायलों को लाया गया। देखते ही देखते महिला वार्ड के सभी 100 बेड भर गए और डॉक्टरों ने कुर्सियों पर ही घायलों का इलाज शुरू कर दिया। घटना के बाद कई परिवार बिछड़ गए। प्रशासन ने देर रात मेडिकल कॉलेज और खोया-पाया केंद्रों की सूची जारी की, जहां लापता लोगों की जानकारी ली जा सकती थी।

Prayagraj News today : प्रशासन ने देर शाम स्वीकार की 30 मौतें

शाम तक प्रशासन स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तो जारी करता रहा, लेकिन भगदड़ में हुई मौतों की संख्या को छिपाता रहा। अंततः शाम 7 बजे मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 30 मौतों की पुष्टि की। हालांकि, स्थानीय रिपोर्टर्स और चश्मदीदों के अनुसार मरने वालों की संख्या 40 से अधिक हो सकती है। प्रयागराज महाकुंभ में आस्था का समंदर उमड़ता है, लेकिन इस बार प्रशासन की विफलता और अफवाहों ने इस आयोजन को मातम में बदल दिया। अगर प्रशासन ने समय रहते क्राउड मैनेजमेंट को गंभीरता से लिया होता और बेहतर तैयारी की होती, तो शायद इतने लोगों की जान न जाती।

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  • Parmeshwar Singh Chundawat

    परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Parmeshwar Singh Chundawat

परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com