Mahakumbh stampede : महाकुंभ मेला, जो इस समय अपने चरम पर है, न केवल आस्था का प्रतीक बना है, बल्कि अब इसने एक दर्दनाक हादसे का रूप भी ले लिया है। यहां भगदड़ की तीन अलग-अलग घटनाओं ने श्रद्धालुओं के दिलों में डर और शोक का माहौल बना दिया है। संगम तट के अलावा, सेक्टर 10 में ओल्ड जीटी रोड पर और सेक्टर 21 में उल्टा किला झूंसी के पास भी भगदड़ हुई, जिसमें कई श्रद्धालु बुरी तरह घायल हुए और सात महिलाओं की दुखद मृत्यु हो गई।
Second stampede in mahakumbh : महाकुंभ में तीन स्थानों पर भगदड़, दर्दनाक हादसे की खबरें
Second stampede in mahakumbh : महाकुंभ में मची भगदड़ केवल संगम तट तक सीमित नहीं रही, बल्कि सेक्टर 10 और सेक्टर 21 में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु फंसे और दबे। घटना का विवरण अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है, जिससे साफ है कि यह एक बड़ी त्रासदी थी। सेक्टर 21 में उल्टा किला झूंसी के पास हुई भगदड़ में भी कई श्रद्धालु दब गए, जिनमें से एक बालिका समेत सात महिलाएं जान से हाथ धो बैठीं। उनके शवों को अज्ञात में पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया है, लेकिन उनकी पहचान अब तक नहीं हो सकी है।
Mahakumbh stampede death toll : रमा देवी की तलाश जारी, परिवार में मचा कोहराम
Mahakumbh stampede death toll : महाकुंभ के दौरान जिन परिवारों को सबसे बड़ा आघात पहुंचा, उनमें से एक परिवार बिहार के दरभंगा जिले का है। रमा देवी, जो कि महेंद्र झा की पत्नी थीं, सेक्टर 21 में हुई भगदड़ में लापता हो गईं। उनके बेटे बलराम और रंजीत लगातार उनकी तलाश में जुटे हुए हैं, लेकिन अब तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया है। यह घटना एक बड़े मानवीय संकट का रूप ले चुकी है, जहां लापता लोगों के परिवारों को अब भी अपनी प्यारी का इंतजार है।
घटनाओं के बाद प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
जब महाकुंभ में मची भगदड़ की घटनाओं के बाद लोग सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें और वीडियो शेयर कर रहे थे, तो प्रशासन और पुलिस की चुप्पी पर सवाल उठने लगे थे। सेक्टर 21 में हुई भगदड़ के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर अभी तक कोई ठोस बयान नहीं दिया है। यह दृश्य और इसके बाद की स्थिति प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही।
Mahakumbh stampede reason : भगदड़ के दौरान श्रद्धालुओं ने बचाई जान
Mahakumbh stampede reason : यद्यपि भगदड़ के दौरान कई लोग घायल हुए, लेकिन कुछ श्रद्धालु अपनी जान बचाने में सफल रहे। एक घटनाक्रम में, हर्षित नामक एक युवक ने बताया कि जैसे ही भगदड़ मची, श्रद्धालु एक नमकीन की दुकान में घुस गए। वहां दुकानदार भाग खड़ा हुआ, और लोग दुकान के भीतर अपनी जान बचाने के लिए शरण लेने लगे। इसके बाद, मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल लोगों को अस्पतालों में पहुंचाया, लेकिन कई घायलों को समय पर उपचार नहीं मिल सका, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मौत हो गई।
ओल्ड जीटी रोड पर भी भगदड़ में सात महिलाओं की मौत
ओल्ड जीटी रोड के पास भी एक और दुर्घटना घटी, जब महामंडलेश्वर की कार के लिए रास्ता बनाने के दौरान एक भगदड़ मच गई। इस घटना में सात महिलाओं की जान चली गई, जिनमें एक छोटी बच्ची भी शामिल थी। क्षेत्राधिकारी ने शवों को अज्ञात के रूप में पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया, और परिवारों की पहचान की प्रक्रिया अभी भी जारी है।
Mahakumbh third stampede : 30 से ज्यादा श्रद्धालुओं की जान गई, सैकड़ों घायल
Mahakumbh third stampede : महाकुंभ में जो भगदड़ मची, उसमें 30 से अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह हादसा मंगलवार की रात अमृत स्नान से पहले हुआ, जब भारी संख्या में लोग संगम तट पर स्नान के लिए जुटे थे। संगम तट के पास मची भगदड़ में अधिकतर लोग दबकर गिर गए और कई घायल हो गए। इसके बाद, जब पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, तो सेक्टर 21 और ओल्ड जीटी रोड पर भी भगदड़ की घटनाएं घटित हो गईं।
Mahakumbh News today : महाकुंभ के आयोजकों और प्रशासन से सवाल
Mahakumbh News today : महाकुंभ के आयोजन की जिम्मेदारी राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की है, और इन घटनाओं ने उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को संभालने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं किए गए थे। न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा का ख्याल रखा गया, बल्कि हादसों के बाद प्रतिक्रिया देने में भी प्रशासन पूरी तरह से नाकामयाब रहा।
प्रभावित परिवारों की मदद की आवश्यकता
इन दर्दनाक हादसों के बाद अब सरकार और प्रशासन को प्रभावित परिवारों के लिए तुरंत राहत प्रदान करने की आवश्यकता है। इन परिवारों के लिए न्याय की मांग की जा रही है, और साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। महाकुंभ मेला श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, लेकिन इस बार इसने अपनी दर्दनाक घटनाओं से श्रद्धालुओं की खुशियों को मातम में बदल दिया है। प्रशासन की नाकामी और सुरक्षा के अभाव ने यह सुनिश्चित किया कि महाकुंभ का यह आयोजन एक काला अध्याय बनकर रह गया। अब समय है कि हम सभी मिलकर ऐसी घटनाओं से सबक लें और आगे से इस प्रकार के आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दें, ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह के दर्द का सामना न करना पड़े।