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Maharana Prtap Jayanti : विश्व विरासत कुंभलगढ़ दुर्ग देश-दुनिया में महाराणा प्रताप के जन्मस्थल के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस किले में महाराणा प्रताप की कोई मूर्ति या अन्य पहचान आज तक नहीं मिल पाई है। इससे आमजन सहित पर्यटक भी निराश होते हैं। महाराणा प्रताप का जन्म से लेकर निर्वाण तक का संघर्ष का साक्षी राजसमंद जिला रहा।

Kumbhalgarh Fort : प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ, बचपन आसपास के क्षेत्र में गुजरा व संघर्ष की अमर गाथा हल्दीघाटी के समरांगण में लिखी गई। मैराथन ऑफ मेवाड़ दिवेर में बहलोल खान को तलवार के एक वार से अश्व सहित काट देने जैसी घटना प्रताप के शौर्य का साक्षी राजसमंद जिला बना, मगर सम्पूर्ण विश्व और भारत के विभिन्न हिस्सों में मिलने वाले सम्मान के समक्ष उनके जन्मस्थान पर दिखने वाली उपेक्षा से आमजन सहित पर्यटकों का मन दुखी होता है। विश्व जिसे महानायक के रूप में देखता है, उनके जन्म कक्ष पर ताला लगा रहता है। आजादी बाद के सभी नेता और सरकारें महाराणा प्रताप को स्वाभिमान और स्वतंत्रता का सबसे बड़ा प्रतीक पुरुष मानती तो है, लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव मनाने के बाद भी वे महाराणा प्रताप को कुंभलगढ़ में कोई स्थान नहीं दिला सके। 9 जून को उनकी 484वीं जयंती है। आजादी के बाद से अब तक किसी भी नेता, अफसर या शासन-प्रशासन ने महाराणा प्रताप के लिए कुछ बड़ा या अलग कर दिखाने का जज्बा नहीं दिखाया।

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History of Maharana Pratap : जिला मुख्यालय पर प्रताप की प्रतिमा तक नहीं

History of Maharana Pratap : प्रताप के नाम पर जिले में कुछ भी नहीं महाराणा प्रताप की प्रतिमाएं देशभर सहित विदेशों में लगी हैं, लेकिन राजसमंद जिला मुख्यालय पर प्रताप के नाम से कुछ भी नहीं है। शहर में चेतक आरुढ़ प्रताप की एक भी प्रतिमा नहीं है, सामाजिक संगठनों की मांग पर कलेक्ट्रेट पर महाराणा प्रताप के नाम से गार्डन बनाया और कलेक्टर निवास के सामने प्रतिमा भी लगाई, लेकिन आज तक उद्घाटन के इंतजार में कपड़े से ढक रखा है। उसके पास पार्क भी बनाया, लेकिन उद्घाटन नहीं हुआ। देशभर के कई शहरों में उनके नाम से नगर और इंस्टीट्यूट बने हुए हैं, लेकिन जिला मुख्यालय सहित आसपास उपखंड मुख्यालयों पर किसी कॉलेज इंस्टीट्यूट उनके नाम पर नहीं है। जिले में राजकीय मेडिकल कॉलेज की घोषणा हो रखी है। लोग इसका नामकरण महाराणा प्रताप के नाम पर करने की मांग कर हैं। नई ब्रॉडगेज लाइन डाली जा रही है। एक रेलवे स्टेशन का नाम प्रताप के नाम से करने की मांग की जा रही हैं।

Maharana Pratap Fight : स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और स्टैच्यू ऑफ बिलिफ के नाम से लगे प्रताप की प्रतिमा

Maharana Pratap Fight : अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांत उपाध्यक्ष सतीश आचार्य ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर महाराणा प्रताप के जन्मस्थल पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और स्टैच्यू ऑफ बिलिफ के नाम से भव्य प्रतिमा लगाने की मांग की है। उनके जन्म स्थान कुंभलगढ़ किले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और स्टैच्यू ऑफ बिलिफ के नाम से प्रतिमा के लिए सबसे उपयुक्त स्थल है। सरकार यहां प्रोजेक्ट बनाकर महाराणा प्रताप की किले को चूमती प्रतिमा के साथ महाराणा कुंभा को भी एक ही जगह जीवंत करे। प्रताप के जन्मस्थल को राष्ट्रीय तीर्थ घोषित करते हुए कार्य योजना बनाकर विश्वस्तरीय सम्मान प्राप्त हो ऐसा तीर्थ बनाने की मांग की है। Haldighati