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Mahashivratri on three remedies : महाशिवरात्रि पर करें यह अचूक उपाय, खत्म होंगे पति पत्नी में क्लेश

mahashivratri-2025

Mahashivratri on three remedies : सनातन धर्म में फाल्गुन माह का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस महीने की शुरुआत के साथ ही भगवान शिव की आराधना करने का विशेष विधान होता है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से भाग्य उदय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

conflict husband and wife will end : महाशिवरात्रि, जो फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, इस वर्ष 26 फरवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के पावन अवसर का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत करने से न केवल कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है, बल्कि वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां भी दूर होती हैं। महादेव की कृपा से कारोबार में भी उन्नति होती है।

mahashivratri 2025 : महाशिवरात्रि का पर्व हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता लेकर आता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से न केवल दांपत्य जीवन की समस्याएं समाप्त होती हैं, बल्कि परिवार में भी सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यदि इस दिन बताए गए उपायों को श्रद्धा और भक्ति भाव से किया जाए, तो निश्चित रूप से शिव कृपा से सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। इसलिए, इस महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करें, दान-पुण्य करें और अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए इन अचूक उपायों को अपनाएं। हर हर महादेव!

happy mahashivratri : महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

राजसमंद जिले में कसार के पंडित जितेंद्र शर्मा के अनुसार, इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 फरवरी को प्रातः 11:08 बजे होगा, और इसका समापन 27 फरवरी को प्रातः 08:54 बजे होगा। इस पावन अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में शुभता और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम के लिए करें अचूक उपाय

  1. लाल वस्त्र धारण कर करें भगवान शिव की पूजा
    धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन लाल वस्त्र पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता बनी रहती है। इस दिन माता पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करने से विवाह जीवन में सुख-शांति आती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
  2. शिव परिवार की आराधना करें और रामचरितमानस का पाठ करें
    महाशिवरात्रि के दिन शिव परिवार की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन रामचरितमानस में वर्णित शिव-पार्वती विवाह प्रसंग की कथा सुनने से विवाह संबंधी सभी समस्याएं समाप्त होती हैं। यह उपाय दांपत्य जीवन में चल रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
  3. दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें
    इस पावन दिन पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास बना रहता है। शिवपुराण में भी दान-पुण्य के महत्व को विशेष रूप से वर्णित किया गया है। जो लोग इस दिन निर्धनों की सहायता करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

Mahashivaratri Puja : महाशिवरात्रि की पूजा विधि

Mahashivaratri Puja : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए विशेष विधि-विधान का पालन किया जाता है। इस दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से अभिषेक करें। पूजा में धूप-दीप जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। साथ ही, रात्रि जागरण कर शिव महिमा का पाठ करें। ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

महाशिवरात्रि आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का पर्व है। इस दिन भगवान शिव की आराधना से मन की शांति, नकारात्मक विचारों से मुक्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन से आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। इस महाशिवरात्रि पर, भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण करें।

महाशिवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 फरवरी 2025 को प्रातः 11:08 बजे होगा, जो 27 फरवरी 2025 को प्रातः 8:54 बजे समाप्त होगी। इस अवधि में, महाशिवरात्रि व्रत और पूजा 26 फरवरी को संपन्न की जाएगी। निशीथ काल, जो मध्यरात्रि का समय होता है, महाशिवरात्रि पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष, निशीथ काल पूजा का समय 27 फरवरी को रात्रि 12:09 बजे से 12:59 बजे तक रहेगा। यह अवधि भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

इस वर्ष महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग बन रहा है, जो भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि और बुधवार का दिन एक साथ आने से यह पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे संयोग में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

घर में महाशिवरात्रि पूजा की विधि

घर पर महाशिवरात्रि की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मस्तक पर भस्म का तिलक लगाएं और गले में रुद्राक्ष माला पहनें। पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें।
  2. शिवलिंग स्थापना: यदि घर में पहले से शिवलिंग नहीं है, तो मिट्टी या धातु का छोटा शिवलिंग स्थापित करें।
  3. अभिषेक: शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
  4. पूजा सामग्री अर्पण: बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चंदन, अक्षत (चावल), फल, धूप और दीप अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक करते समय ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप भी किया जा सकता है।
  6. आरती: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

मंदिर में महाशिवरात्रि पूजा की विधि

मंदिर में पूजा करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  1. स्नान और वस्त्र: स्वच्छ स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा सामग्री: शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चंदन, अक्षत, फल, धूप और दीप साथ ले जाएं।
  3. अभिषेक और अर्पण: शिवलिंग का अभिषेक करें और उपरोक्त सामग्री अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप और आरती: मंत्रों का जाप करें और मंदिर में आयोजित आरती में सम्मिलित हों।

महाशिवरात्रि व्रत के नियम

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। यदि स्वास्थ्य कारणों से पूर्ण उपवास संभव न हो, तो फलाहार या दूध का सेवन किया जा सकता है। रात्रि में जागरण करके भगवान शिव की कथा, भजन और कीर्तन करना शुभ माना जाता है। व्रत का पारण अगले दिन प्रातःकाल किया जाता है।

Mahashivratri history : महाशिवरात्रि का इतिहास

Mahashivratri history : महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं।

महाशिवरात्रि की तीन पौराणिक कथाएं

1. शिव और पार्वती का विवाह

सबसे प्रसिद्ध कथा यह है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए, इस दिन को शिव-पार्वती के दिव्य मिलन के रूप में मनाया जाता है।

2. समुद्र मंथन और हलाहल का पान

एक अन्य महत्वपूर्ण कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो उसमें से हलाहल (विष) भी निकला। यह विष इतना जहरीला था कि उसने समस्त सृष्टि को नष्ट करने की शक्ति रखी थी। तब देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की, और उन्होंने संसार की रक्षा के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। इस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। इस घटना की याद में महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

3. लिंगोद्भव कथा

लिंग पुराण में वर्णित एक अन्य कथा के अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। तभी उनके सामने एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ, जिसका आदि और अंत नहीं था। दोनों देवताओं ने उसकी गहराई और ऊँचाई जानने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे। तभी भगवान शिव इस अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और बताया कि वे ही सृष्टि के मूल हैं। इस घटना की स्मृति में महाशिवरात्रि को भगवान शिव की आराधना की जाती है।

धार्मिक महत्व एवं मान्यता भी

महाशिवरात्रि का पर्व भक्तों के लिए आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का अवसर होता है। इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग का जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग से अभिषेक करते हैं। ऐसा करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और पापों का नाश होता है।

महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भगवान शिव की शक्ति, करुणा और भक्ति का प्रतीक है। यह हमें तप, साधना और आत्मसंयम की सीख देता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को मोक्ष और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि यह पर्व पूरे भारत और दुनिया भर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

mahashivratri quotes in hindi : महाशिवरात्रि

भोले की भक्ति में लीन रहो,
जीवन में सदा आनंद ही आनंद हो।

शिव की महिमा अपरंपार,
करते हैं सबका उद्धार।

महादेव की कृपा बनी रहे,
हर संकट से रक्षा करे।

शिव शंकर का जो ध्यान लगाए,
सुख-समृद्धि वो पाए।

डमरू की गूंज, गूंजे हर ओर,
शिव कृपा से बने सब काम सरल और।

शिवरात्रि का यह पावन दिन,
दूर करे सारे कष्ट और दुःख-दिन।

भोले के चरणों में जो जगह पाता,
वो जीवन का सच्चा सुख पाता।

हर हर महादेव का नारा लगे,
जीवन में कोई भी दुःख ना जमे।

रुद्राक्ष की माला पहनो,
महादेव के भक्त बनो।

शिव की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलों को सुकून मिलता है।

जो शिव की भक्ति में रम जाता है,
उसका जीवन सफल हो जाता है।

शिव बिना जीवन अधूरा है,
उनका आशीर्वाद ही सच्चा नूरा है।

भोलेनाथ के चरणों में जो समर्पित हो जाता,
हर जन्म का दुख वो भूल जाता।

शिव का नाम जो जपता है,
वो हर संकट से बचता है।

भोले की भक्ति, भोले का प्यार,
सदा रखे सबका उद्धार।

शिव का स्मरण जो करता है,
जीवन में कभी नहीं डरता है।

भोलेनाथ की कृपा अपरंपार,
मिटे सबके जीवन के अंधकार।

महाकाल की भक्ति में जो लीन हो जाता,
उसका हर सपना साकार हो जाता।

शिवरात्रि का पर्व है न्यारा,
हर हर महादेव बोलो प्यारा।

शिव शक्ति का अद्भुत मेल,
जीवन बने सुखों का खेल।

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