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Rajsamand Lok Sabha Election : लोकसभा चुनाव को लेकर मेवाड़ में Rajsamand Loksabha सीट पर भाजपा ने एक ही परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं देने की नीति को तोड़कर Mahima Kumari Mewar को टिकट दिया है। उनके पति विश्वराज सिंह मेवाड़ को गत विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा से टिकट दिया, जो अभी विधायक है। अब उनकी पत्नी महिमा कुमारी को राजसमंद से भाजपा प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि महिमा कुमारी का वाराणसी लिंक काम कर गया। कांग्रेस से सुदर्शन सिंह रावत मैदान में है। एक चर्चा तो दोनों दलों के प्रत्याशियों को लेकर हो रही है, वह है परिवारवाद।

उदयपुर से अलग होकर नवसृजित राजसमंद लोकसभा सीट पर पहला चुनाव वर्ष 2009 में हुआ, जिसमें कांग्रेस के गोपालसिंह ईडवा सांसद चुने गए। दूसरा चुनाव वर्ष 2014 में हुआ, जिसमें भाजपा के हरिओमसिंह राठौड़ सांसद चुने गए, जबकि वर्ष 2019 के चुनाव में फिर से भाजपा की दीया कुमारी सांसद बनी। अब वर्ष 2024 में राजसमंद लोकसभा सीट का चौथा चुनाव है, जिसमें क्या परिणाम रहने वाले यह, देखने वाली बात है। फिलहाल तीन चुनाव में 1 बार कांग्रेस और 2 बार भाजपा की जीत हुई है। अब भाजपा से महिमा कुमारी मेवाड़ व कांग्रेस से सुदर्शन सिंह रावत के बीच चुनाव है, जिसमें जनता किसे चुनती है, इसका सबको इंतजार है।

महिमा कुमारी को लेकर परिवारवाद की चर्चा

राजनीति गलियारे में चर्चा है कि राजसमंद लोकसभा सीट पर भाजपा ने महिमा कुमारी को टिकट दिया है, जिनके पति विश्वराज सिंह मेवाड़ नाथद्वारा से विधायक है। ऐसे में उन्हें टिकट मिलने में भाजपा की नीति बाधा बन रही थी, जिसके तहत एक परिवार से 2 जनों को टिकट नहीं दिया जाना था। यह नीति 2023 के विधानसभा चुनावों से लागू की गई थी, लेकिन इस सीट के लिए यह नीति तोड़ दी गई, जिसके पीछे विशेष सामाजिक समीकरण बताए जाते हैं। साथ यह भी चर्चा है कि महिमा कुमारी का वाराणसी से पुराना नाता है, जहां से नरेंद्र मोदी चुनाव लड़े हैं। ऐसे में महिमा कुमारी की चर्चा वाराणसी के जरिए चर्चा हुई, तो नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दे दी। महिमा कुमारी के मामा अभी सांसद है, तो पीहर पक्ष भी सक्रिय राजनीति में हमेशा रहा है, जिनका पश्चिम बंगाल के राजपरिवार से नाता है। ऐसे में परिवारवाद की बात को लेकर आम लोगों में चर्चा है।

Mahima Kumari की बायोग्राफी, एक नजर में

  • महिमा कुमारी मेवाड़ का जन्म 22 जुलाई, 1972 को जगदीश्वरीप्रसाद सिंह के घर में हुआ।
  • स्कूली शिक्षा वाराणसी (उत्तरप्रदेश) से प्राप्त की। बाद में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर स्थित सिंधिया कन्या विद्यालय से पढ़ाई की। कॉलेज शिक्षा लेडी श्रीराम कॉलेज दिल्ली से पूरी की। इन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक डिग्री हासिल की। महिमा कुमारी मध्यप्रदेश के राजा भोज की वंशज हैं।
  • महिमा कुमारी के पति नाथद्वारा विधायक हैं। पुत्री जयती कुमारी (25) यूनाइटेड किंगडम से मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं। पुत्र देवजादित्य सिंह (22) चाटर्ड फाइनेंशियन एनालिस्ट (सीएफए) हैं।
  • महिमा कुमारी मुम्बई के कैथेड्रल और जॉन कैनन स्कूल में 11 साल तक नर्सरी और लोअर केजी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ा चुकी हैं। वह सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रही हैं। रेजिना पैसिस नामक अनाथालय में कोविड के कारण पढ़ाई रुकने से प्रभावित बच्चियों को भी उन्होंने पढ़ाया। कोविड महामारी के बाद उन्होंने ज्यादातर समय उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सम्भालते हुए बिताया।
  • महिमा कुमारी के ससुर महेन्द्र सिंह मेवाड़ चित्तौडग़ढ़ के पूर्व सांसद हैं। भाजपा प्रत्याशी के मामा सुखेन्द्र सिंह मध्यप्रदेश के सतना से सांसद रहे हैं। उनके चचेरे भाई नागेन्द्र सिंह मध्यप्रदेश के नागोद से विधायक हैं। उनकी चाची माला राज्यलक्ष्मी टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड) से भाजपा सांसद हैें।

सुदर्शनसिंह रावत के नाम पर नेतृत्व का ठप्पा

मेवाड़ व मारवाड़ तक चार जिलों की आठ विधानसभा को समाहित करने वाली राजसमंद लोकसभा सीट पर चर्चित चेहरे की तलाश में कांग्रेस ने सुदर्शन सिंह रावत को मौका दिया। चर्चा है कि सुदर्शन के अलावा ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं था, जो मेवाड़ व मारवाड़ दोनों तरफ पहचान रखें। चूंकि सुदर्शन मूलत: भीम से है, मगर ब्यावर में रहते हैं। ऐसे में मेवाड़ व मारवाड़ के बीच उनकी पहचान तुलनात्मक है। क्योंकि मारवाड़ के किसी व्यक्ति को टिकट मिले, तो राजसमंद मुख्यालय तक उन्हें कोई जानता ही नहीं, तो राजसमंद व नाथद्वारा क्षेत्र के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाए, तो ब्यावर, मेड़ता डेगाना में उनकी कोई पहचान नहीं है। इसलिए कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सुदर्शन सिंह रावत को मौका दिया गया है। हालांकि सुदर्शन के टिकट को लेकर भी परिवारवाद की बात हो रही है।

Sudarshan Singh Rawat की बायोग्राफी, एक नजर में

  • सुदर्शन सिंह रावत का जन्म 13 मार्च 1973 में भीम के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री मेजर लक्ष्मणसिंह रावत के घर हुआ, जो मूलत: भीम के नंदावट के निवासी है और अभी ब्यावर में बस गए हैं।
  • पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद सुदर्शन सिंह ने विदेश में एक्सपोर्ट से जुड़ा व्यवसाय करने लग गए। चुनाव के दौरान स्थानीय स्तर पर एक्टिव जरूर रहे, बाकी विदेश में कारोबार को संभाला।
  • फिर वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने। विधायक रहते हुए बेहतर कार्य किया, जिससे पार्टी, सरकार के साथ क्षेत्र में अपनी पहचान कायम की।
  • उनके पिता लक्ष्मणसिंह रावत फौजी है, जो सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट के साथ फौज में थे और दोनों ही एक साथ राजनीति में आए थे। पिता गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
  • सुदर्शनसिंह रावत के दादा मेजर फतेहसिंह भी फौजी होकर राजनीतिज्ञ थे, जो विधायक भी रह चुके हें। इस तरह सुदर्शन सिंह को राजनीति विरासत में मिली।