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पति- पत्नी एक दूसरे को नहीं सुनते, इसीलिए गृहक्लेश के बाद उठा रहे आत्मघाती कदम, देखिए हैरान कर देने वाली बातें

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अनेक परिवारों में स्त्री-पुरुषों के मध्य वैसे मधुर संबंध नहीं देखें जाते जैसे कि होने चाहिए। अनेकों घरों में आये दिन संघर्ष, मनोमालिन्य और अविश्वास के चिन्ह परिलक्षित होते रहते हैं। कारण यह है कि पति-पत्नी में से एक या दोनों ही केवल अपनी-अपनी इच्छा, आवश्यकता और रुचि को प्रधानता देते हैं। दूसरे पक्ष की भावना और परिस्थितियों को न समझना ही प्रायः कलह का कारण होता है।

जब एक पक्ष दूसरे पक्ष की इच्छानुसार आचरण नहीं करता तो उसे यह बात अपना अपमान, उपेक्षा या तिरस्कार प्रतीत होता है, जिससे चिढ़कर दूसरे पक्ष पर कटु वाक्यों का प्रहार या दुर्भावनाओं का आरोपण करता है। उत्तर-प्रत्युत्तर, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, आक्षेप-प्रत्याक्षेप का सिलसिला चल पड़ता है तो उससे कलह बढ़ता ही जाता है। दोनों में से कोई अपनी गलती नहीं मानता, दूसरे को अधिक दोषी, प्रधान दोषी, प्रथम दोषी सिद्ध करने के लिए अपनी जिद को बढ़ाते रहते हैं। इस रीति से कभी भी झगड़े का अन्त नहीं हो सकता। अग्नि में ईंधन डालते जाने से तो और भी अधिक प्रज्वलित होती है।

जो पति-पत्नि अपने संबंधों को मधुर, रखना चाहते हैं उन्हें चाहिए कि दूसरे पक्ष की, योग्यता, मनोभूमि, भावना, इच्छा, संस्कार, परिस्थिति एवं आवश्यकता को समझने का प्रयत्न करें और उस स्थिति में मनुष्य के लिए जो उपयुक्त हो सके ऐसा उदार व्यवहार करने की चेष्टा करें तो झगड़े के अनेकों अवसर उत्पन्न होने से पहले ही दूर हो जाएगे। हमें भली प्रकार समझ रखना चाहिए कि सब मनुष्य एक समान नहीं हैं, सबकी रुचि एक समान नहीं है, सबकी बुद्धि, भावना और इच्छा एक जैसी नहीं होती। भिन्न वातावरण भिन्न परिस्थिति और भिन्न कारणों से लोगों की मनोभूमि में भिन्नता हो जाती है। यह भिन्नता पूर्णतया मिट कर दूसरे पक्ष के बिलकुल समान हो जावें यह हो नहीं सकता। कोई स्त्री-पुरुष आपस में कितने ही सच्चे क्यों न हों, उनके विचार और कार्यों में कुछ न कुछ भिन्नता रह ही जायेगी।

गजब की रोचक बातें, सबके लिए है जरूरी

पति और पत्नी का रिश्ता दुनिया के मजबूत रिश्तों में से एक है। यह पवित्र रिश्ता प्रेम, समर्पण और विश्वास पर टिका होता है। इन तीनों में से जब भी कोई तत्व कमजोर पड़ने लगता है, तो यह मजबूत रिश्ता कमजोर पड़ने लगता है विद्वानों का मानना है कि सुखद दांपत्य जीवन में ही जीवन की सफलता का रहस्य छिपा होता है। इसलिए इस रिश्ते को सदैव गंभीरता से लेना चाहिए और मजबूत बनाने का प्रयास करते रहने चाहिए। इन गुणों को अपनाने से दांपत्य जीवन मजबूत बनाया जा सकता है। किसी भी रिश्ते की पहली शर्त प्रेम ही होता है। जब तक प्रेम नहीं होगा तब तक किसी भी रिश्ते को मजबूत नहीं माना जा सकता है। दांपत्य जीवन में प्रेम की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। पति और पत्नी के बीच कभी भी प्रेम कम नहीं होना चाहिए। प्रेम व्यक्ति को महान और विनम्र बनाता है। ऐसे लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं. सफलता के साथ साथ ऐसे लोग सम्मान भी प्राप्त करते हैं।

विश्वास इस रिश्ते को मजबूत बनाता है. दांपत्य जीवन में विश्वास की बहुत अहम भूमिका होती है। विश्वास एक ऐसा गुण है, जो दूसरों को सदैव आकर्षित करता है. जो लोग दूसरों को धोखा देते हैं ऐसे लोग कभी सम्मान प्राप्त नहीं कर पाते हैं। विश्वास जब होता है तो दांपत्य जीवन तनाव और कलह से मुक्त हो जाता है।

हर रिश्ते का सम्मान करना चाहिए। दांपत्य जीवन में भी पति और पत्नी को एक दूसरे का सम्मान का भाव रखना चाहिए. एक दूसरे को भी सम्मान देना चाहिए। जब सम्मान में कमी आती है तो इस रिश्ते में दिक्कतें आरंभ हो जाती है और कलह का कारण भी बन जाती है. इसलिए एक दूसरे को भरपूर सम्मान देना चाहिए।

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