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कहते हैं मां के दूध का कर्ज कोई नहीं चुका सकता। अपने बच्चे तो मां की सेवा करके भी शायद मां के कर्ज को कुछ हल्का करते होंगे, मगर राजसमंद में ऐसी मां भी है, जो अपने बच्चों के लिए नहीं, बल्कि अनजान बच्चों को दूध पिला रही है। जी हां, इसी का परिणाम है कि वर्षभर में राजसमंद जिले में 340 बच्चों को नया जीवन मिल पाया है।

जी, हम बात कर रहे हैं आरके जिला चिकित्सालय में संचालित मदर मिल्क बैंक की। बाल चिकित्सालय में भर्ती होने वाले नवजात शिशुओं के दूध के लिए मदर मिल्क है, जहां कई माताएं अस्पताल आकर अनजान बच्चों के लिए अपना दूध देती है। यह दूध मदर मिल्क बैंक में संग्रहित रहता है और चिकित्सालय में भर्ती होने वाले शिशुओं के लिए मिल्क की आपूर्ति यहां की जाती है। आपको बता दें कि पिछले 15 माह में ऐसी माताओं ने रोजाना औसतन 300 से 500 एमएल दूध दान कर 340 बच्चों की जान बचाई।

कोरोनाकाल में भी नहीं रूकी यें माताएं
आंचल मदर मिल्क बैंक मैनेजर इंदिरा ने मीडिया को बताया कि शिशु चिकित्सालय में भर्ती बच्चों के लिए कोरोनाकाल में भी कई माताओं ने स्तनपान कराया। कोरोनाकाल के 15 महीने में 313 माताओं ने 50 लीटर दूध दान किया है। कोरोना काल में प्रतिदिन माताओं ने औसतन 100 से 150 एमएल दूध दान किया।

अब तक 314 लीटर दूध दान
जिला चिकित्सालय के मदर मिल्क बैंक में 12 मार्च 2018 से 25 जून 2021 तक 1138 माताओं ने 314 लीटर दूध दान किया है। बिना मां के नवजात सहित शिशुगृह के 49 बच्चों को 6163 यूनिट दूध दिया।

एक नजर में मदर मिल्क की स्थिति

1269 नवजात बच्चों को 9504 यूनिट (प्रति यूनिट 30 एमएल) दूध देकर लाभांवित किया। शहर के निजी अस्पताल में 16 नवजात बच्चों को लाभांवित किया।
6436 माताओं को 20185 बार मिल्क बैंक में सर्विस सिटिंग देकर स्तनपान में सक्षम बनाया।
18355 माताओं को स्तनपान के लिए काउंसलिंग करके प्रेरित किया।

कोरोना काल की यह है स्थिति
213 माताओं ने 566 बार में 50320 एमएल दूध दान किया
340 बच्चों को 1283 यूनिट देकर लाभान्वित किया।
पांच ऐसे नवजात बच्चे जिनकी मां का निधन हो गया या मां दूध पिलाने में सक्षम नहीं थी।
1434 माताओं को स्तनपान में सक्षम बनाया।
कोरोना काल में 6079 माताओं काउंसलिंग करके स्तनपान के लिए प्रेरित किया
वर्तमान में मदर मिल्क बैंक में 790 यूनिट दूध का स्टॉक