
Murder Mistry in Nathdwara : राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा थाना क्षेत्र में स्थित मोगाना गांव में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि इंसानी रिश्तों और लालच की उस काली सच्चाई को भी उजागर कर दिया, जो संपत्ति के लिए अपनों को भी दुश्मन बना देती है। यह कहानी है एक वृद्ध की करोड़ों की जमीन, उसकी वसीयत और दो परिवारों के बीच हुए खूनी संघर्ष की, जिसमें एक शख्स को अपनी जान गंवानी पड़ी और दो भाईयों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचना पड़ा। इस घटना में पुलिस की त्वरित और सराहनीय कार्रवाई ने भी सुर्खियां बटोरीं, जिसने 24 घंटों के भीतर ही हत्यारों को गिरफ्तार कर न्याय की उम्मीद जगा दी।
वृद्ध की वसीयत और शुरू हुई जंग
Nathdwara police : कहानी की शुरुआत होती है मोगाना गांव के एक वृद्ध, लोगर गमेती से। लोगर मूल रूप से देपुर गांव का निवासी था, लेकिन मोगाना में गेंदाजी भील के पास गोद में आया था, क्योंकि गेंदाजी की कोई संतान नहीं थी। समय बीता, लोगर भी बूढ़ा हुआ और उसकी भी कोई संतान नहीं थी। अकेलेपन में उसने देपुर के खेमराज पुत्र रामा भील को अपना गोदपुत्र बनाया और वर्ष 2009 में अपनी करोड़ों की कीमती जमीन की वसीयत उसके नाम कर दी। खेमराज तब से लोगर के साथ ही रहने लगा और 2021 में लोगर की मृत्यु हो गई। खेमराज ने अपने पिता लोगर के अंतिम संस्कार सहित सारे क्रियाकर्म निभाए। लेकिन कहानी में तब नया मोड़ आया, जब लोगर की मृत्यु के बाद उसकी जमीन को लेकर एक और दावेदार सामने आया—मोहनलाल गमेती।
SP Manish Tripathi : मोहनलाल का दावा था कि लोगर ने 2020 में अपनी जमीन की वसीयत उसके नाम लिखी थी। यह खुलासा उस वक्त हुआ, जब खेमराज और मोहनलाल दोनों ही लोगर का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने ई-मित्र केंद्र पहुंचे। दोनों के बीच तीखी बहस हुई और मामला सिविल कोर्ट तक जा पहुंचा। दोनों पक्ष अपनी-अपनी वसीयत के आधार पर जमीन पर हक जताने लगे। कोर्ट में मामला विचाराधीन था, लेकिन इससे पहले कि न्याय का फैसला आता, यह विवाद खून की नदियों में बह गया।
8 अप्रैल की वह काली सुबह
Rajsamand Police : 8 अप्रैल 2025 की सुबह करीब 11 बजे मोगाना गांव के खेत पर स्थित एक धार्मिक स्थल पर खेमराज अपने बेटे को धोक दिलाने पहुंचा। उसके साथ उसका भाई सोहन गमेती भी था। धार्मिक अनुष्ठान के बाद खेमराज के परिवार की महिलाएं खेत से लकड़ियां इकट्ठा कर रही थीं। उसी दौरान मोहनलाल और उसके परिवार की महिलाओं के बीच कहासुनी शुरू हो गई। बात इतनी बढ़ी कि गाली-गलौज और धक्का-मुक्की में बदल गई। खबर मिलते ही खेमराज और सोहन लकड़ियां लेकर मौके पर पहुंचे। दूसरी तरफ मोहनलाल का बेटा कैलाश भी वहां आ गया और दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई।
यह झगड़ा जल्द ही खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए। खेमराज और सोहन ने लकड़ियों और लोहे के पाइप से मोहनलाल और उसके परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में मोहनलाल के सिर पर गंभीर चोट लगी और वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। हमलावर खेमराज और सोहन मौके से फरार हो गए, जबकि मोहनलाल के परिजन उसे तुरंत नाथद्वारा के गोवर्धन राजकीय जिला चिकित्सालय ले गए। वहां से उसे अनन्ता हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। एक वृद्ध की जमीन के लिए शुरू हुआ यह विवाद अब एक परिवार के लिए अंतहीन दुख लेकर आया था।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई: 24 घंटे में हत्यारे गिरफ्तार
SP Manish Tripathi : मोहनलाल की मौत की खबर फैलते ही मोगाना गांव में सनसनी मच गई। उसके बेटे कैलाश गमेती की शिकायत पर नाथद्वारा थाना पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया और तुरंत जांच शुरू की। थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह भाटी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने बिना वक्त गंवाए कार्रवाई शुरू की। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया और सबूत जुटाए। पुलिस ने देपुर गांव में दबिश दी और महज 24 घंटों के भीतर दोनों आरोपियों—खेमराज भील (40) और उसके भाई सोहन भील (24)—को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को मेडिकल जांच के बाद हत्या के मामले में गहन पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
नाथद्वारा थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि यह एक दुखद घटना है, जो संपत्ति के लालच में रिश्तों के खून में डूबने की मिसाल बन गई। उन्होंने कहा, “हमारी टीम ने तत्परता से कार्रवाई की और हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया। सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।”
पुलिस टीम का सराहनीय प्रयास
इस मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई संभव हुई नाथद्वारा थाना की एकजुट और समर्पित टीम की वजह से। थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह भाटी के साथ एएसआई लक्ष्मणसिंह, देवीलाल, गोविंदसिंह, अर्जुनसिंह, हेड कांस्टेबल कमलेंद्रसिंह, श्रवण कुमार, हरिसिंह, भंवरलाल, कांस्टेबल रतिराम, लीलाधर, चुनाराम, गोविंदसिंह, बहादुर सिंह, मोहनलाल, नारायण और गजेंद्र प्रसाद आचार्य ने दिन-रात एक कर इस मामले को सुलझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी मेहनत और लगन ने न केवल अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया, बल्कि समाज में पुलिस के प्रति भरोसा भी बढ़ाया।
एक दर्दनाक सबक
Crime News : यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है, बल्कि मानवता के लिए एक सबक है। करोड़ों की जमीन, जिसे लोगर गमेती ने अपने जीवन का आधार माना, उसके लिए दो परिवारों ने ऐसा खूनी खेल खेला कि एक की जान चली गई और दूसरा जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। लोगर की वसीयत, जो शायद उसके लिए अपने उत्तराधिकारी को देने का एक भावनात्मक निर्णय था, आज दो परिवारों के लिए अभिशाप बन गई। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या संपत्ति इतनी कीमती है कि उसके लिए इंसानियत को कुर्बान कर दिया जाए?
पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने भले ही अपराधियों को सजा के करीब पहुंचा दिया हो, लेकिन मोहनलाल के परिवार का दुख कम नहीं हो सकता। उसकी पत्नी, बच्चे और परिजनों के लिए यह नुकसान ऐसा है, जिसकी भरपाई कोई कोर्ट या कानून नहीं कर सकता। दूसरी ओर, खेमराज और सोहन के परिवार का भविष्य भी अब जेल की सलाखों के पीछे सिमट गया है। यह कहानी हर किसी के लिए एक चेतावनी है कि लालच और विवाद का अंत हमेशा दुखद ही होता है।