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विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में बहुमत के साथ भाजपा की जीत होने के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रही खींचतान अब थमती दिख रही है। नई दिल्ली में केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा मुख्यमंत्री के नाम को तय कर दिया है और तीन पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए है, जो जयपुर में 10 दिसंबर को होने वाली विधायक दल की बैठक में घोषणा करेंगे। बैठक में सभी विधायकाें की सहमति पर विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री की औपचारिक घोषणा की जाएगी। भाजपा हाईकमान ने रक्षा मंत्री राजनाथसिंह, सरोज पांडे व विनोद तावडे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ये पर्यवेक्षक राजस्थान को लेकर विधायकों से रायशुमारी कर करेंगे और 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी। उसके बाद 15 दिसंबर से पहले नए मुख्यमंत्री की शपथ हो सकती है। क्योंकि उसके बाद 16 दिसंबर से मलमास की शुरुआत हो रही है। इसलिए उम्मीद है कि 15 दिसंबर तक नए मुख्यमंत्री शपथ ले लेंगे।

राजस्थान में भाजपा की बहुमत के साथ जीत होने के बाद भी मुख्यमंत्री को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व स्तर पर चर्चा चल रही थी। मुख्यमंत्री बनाने की रेस में वसुंधरा राजे के अलावा बाबा बालकनाथ, सीपी जोशी, ओम बिरला, अश्विनी वैष्णव, ओम माथुर, गजेंद्रसिंह शेखावत, गजेंद्रसिंह शेखावत, दीया कुमारी के नाम चर्चा में चल रहे हैं। इसी बीच में वसुंधरा राजे को भी दिल्ली बुलाया गया, जहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। नड्‌डा व वसुंधरा के बीच सवा घंटे तक बातचीत हुई। वहीं प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भी दिल्ली पहुंचे हैं, जहां केन्द्रीय नेतृत्व के साथ उनकी चर्चा होनी है।

इधर, विधायकों की बाड़ाबंदी को लकर आरोप- प्रत्यारोप

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वसुंधरा राजे उनके बेटे दुष्यंत सिंह के साथ दिल्ली में है, मगर राजस्थान में दुष्यंत सिंह के इशारे पर कथित तौर पर कुछ विधायकों की बाड़ाबंदी होने को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता हेमराज मीणा के बेटे किशनगंज विधायक ललित मीणा एक रिसॉर्ट में बाड़ाबंदी कर रखने का आरोप लगाया। बताया कि हेमराज मीणा ने उनके बेटे को फोन कर पूछा कि कहा है, तो बताया कि कुछ विधायक उन्हें जबरन एक रिसाॅर्ट में रोके रखा है और आने नहीं दिया जा रहा है। इस पर हेमराज मीणा खुद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी व प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह के साथ मौके पर पहुंचे, जहां से विधायक ललित मीणा को लेकर निकले। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष के साथ भाजपा नेता बाड़ाबंदी की बात को नकार रहे हैं। दूसरी तरफ हेमराज मीणा ने बाड़ाबंदी का आरोप लगाया है, जबकि विधायक कंवरलाल मीणा ने हेमराज के आरोप को झूठा बताया है। विधायक कंवरलाल बोले कि हम सब झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र के विधायक हैं। जीतने के बाद विधायक ललित मीणा सहित आरएसएस व भाजपा कार्यालय बारां गए थे। सुबह 6 बजे अपने-अपने घरों से हम सब गाड़ियों से जयपुर आए थे। आपसी सहमति से एक साथ होटल में रुके थे। बाड़ेबंदी जैसी बात कहना शरारतपूर्ण है। गलत है। इसी तरह प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने मीडिया से कहा कि ललित मीणा के पिता से मंगलवार शाम मेरी मुलाकात हुई थी। मैं पिछले 24 घंटे में 32 से अधिक विधायकों से मिला था। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा- मुझे ध्यान नहीं है और यह कोई खास बात नहीं है। यह जरूर कहूंगा कि कार्यकर्ताओं और विधायकों के लिए पार्टी कार्यालय मंदिर की तरह है और यहां आस्था रखी जानी चाहिए।

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वसुंधरा राजे के 70 से अधिक विधायकों से मिलने का दावा

भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के साथ ही 4 दिसंबर से सीएम पद को लेकर हलचल तेज हो गई थी। 40 से ज्यादा विधायक सोमवार और मंगलवार को वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचे। दावा था कि 70 से ज्यादा मिलने आए, जबिक सीपी जोशी से करीब तीस विधायक मिले और मिलने का दौर गुरुवार व शुक्रवार तक भी जारी है।

विधायक बनने के बाद सांसद पद से दिया इस्तीफा

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विधानसभा चुनाव के तहत विधायक चुनने के बाद दीया कुमारी, किरोड़ीलाल मीणा, महंत बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद सभी विधायकों ने प्रधानमंत्री के साथ सामूहिक फोटो भी खिंचवाई।

पहली बार भाजपा में सीएम को लेकर इतना असमंजस

राजस्थान भाजपा में यह पहली बार ऐसी स्थिति बनी है कि जब मुख्यमंत्री के चयन को लेकर असमंजस के हालात उत्पन्न हो गए हैं। अब तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बाद भाजपा द्वारा चुनाव लड़ा जाता रहा है, मगर इस बार चुनाव नरेंद्र मोदी व कमल के फूल के नाम पर ही लड़ृा गया। मतगणना के बाद अब सीएम चेहरे को लेकर चर्चा की जा रही है। पहले भैरोंसिंह शेखावत भाजपा के मुख्यमंत्री का चेहरा हुआ करता था, जबकि वर्ष 2003, 2008, 2013 व 2018 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित थी, जबकि वर्ष 2023 के चुनाव में सीएम चेहरा घोषित नहीं किया गया था। 2003 व 2013 में वसुंधरा का पहले से सीएम बनना तय था, इसलिए नतीजे आते ही शपथ ग्रहण समारोह भी तत्काल तय हो गया। विधायक दल की बैठक में नाम की घोषणा केवल औपचारिकता ही रही थी। खास बात यह है कि दोनों ही वसुंधरा राजे ने 13 दिसंबर को सीएम पद की शपथ ली थी। इस बार अब 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक है और उम्मीद है कि 15 दिसंबर से पहले मुख्यमंत्री शपथ लेंगे।