कुंभलगढ़ के कुंचोली बस स्टैंड पर बेकाबू पिकअप पलटने से गंभीर घायल महिला श्रमिक ने 9 दिन बाद उदयपुर अस्पताल में दम तोड़ दिया। हादसे के बाद ग्राम पंचायत द्वारा 18 अगस्त से 70 श्रमिकों के मस्टरोल को वापस ले लिया और श्रमिकों को काम पर जाने से ही रोक दिया। यही नहीं, ग्राम पंचायत के सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी ने पुलिस थाने में एफआईआर तक दर्ज करवाना उचित नहीं समझा। इस गंभीर अनियमितता के बीच बुधवार को एक ही महिला श्रमिक की मौत हो गई और आधा दर्जन श्रमिक पहले से घायल है। इस घटना के बाद अब गांव के लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
जानकारी के अनुसार 17 अगस्त पिकअप कुंचोली बस स्टैंड पर पलट गई। हादसे में नरेगा श्रमिक कुंचोली निवासी खमाणी पत्नी रूपलाल गमेती की उसी दिन मौत हो गई थी और 18 अगस्त को केलवाड़ा अस्पताल के मुर्दाघर से बिना पोस्टमार्टम करवाए शव का अंतिम संस्कार कर दिया। इसके अलावा 9 दिन से मौत से लड़ रही नरेगा श्रमिक वगतुड़ी पत्नी रूपलाल गमेती ने उदयपुर अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। ग्राम पंचायत ने नरेगा में कार्य करने का मस्टरोल ही वापस लेते हुए रफादफा करने की कोशिश की जा रही है, जिससे अब खमाणी भील की तरह वगतुड़ी गमेती के परिजनों को भी केन्द्र सरकार की तरफ से नरेगा के तहत कोई मुआवजा नहीं मिल पाएगा। क्योंकि ग्राम पंचायत द्वारा इस तरह की कोई रिपोर्ट ही तैयार नहीं की। हालांकि पंचायत समिति कुंलगढ़ के विकास अधिकारी भगवानसिंह कुम्पावत ने आश्वस्त किया है कि नरेगा श्रमिकों की मौत होने पर परिजनों को मुआवजा राशि दिलवाई जाएगी, जबकि ग्राम पंचायत कुंचोली के ग्राम विकास अधिकारी हरीश मीणा व सरपंच द्वारा रिकॉर्ड को ही रफादफा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गंगा तलाई पर चल रहा था कार्य
ग्राम पंचायत द्वारा कुंचोली में गंगा तलाई पर कार्य के लिए ममस्टरोल पूनम कुंवर पुत्री पे्रमसिंह व धुलकी बाई पुत्री सरूपलाल को मस्टरोल जारी किया गया। 15 से 17 अगस्त तक श्रमिकों ने कार्य किया। 17 अगस्त को हादसे के बाद ग्राम पंचायत द्वारा उक्त मस्टरोल को वापस ले लिया गया। मस्टरोल में 70 श्रमिक नियोजित थे, लेकिन पूरे मामले को रफा दफा के लिए मस्टरोल ही वासस ले लिया।