राष्ट्र संत चंद्रप्रभ, ललित प्रभ 15 दिसंबर से 3 दिन राजसमंद में, इनकी बातें सुन ली, तो मिट जाएंगे गृह क्लेश

ByParmeshwar Singh Chundawat

Dec 14, 2023 #aniruddhacharya ji maharaj, #aniruddhacharya ji maharaj live, #gurudev tarun sagar ji maharaj, #inspirational, #inspirational pravachan, #jain saint, #jain saint lalitprabhji, #jain saint tarun sagar ji, #jaivardhan news, #jayavardhan news, #jayvardhan news, #lalitprabh, #lalitprabhji, #lalitprabhmaharaj, #lalitprabhpravachan, #live rajsamand, #mewar news, #national, #nationality, #Rajasthan news, #rajasthan news live, #rajasthan police, #rajsamand news, #rashtriya sant mahant yogi shri akhileshwar das ji maharaj, #saint, #shri lalit prabhji, #tarun sagar ji maharaj ke kadv, #tarunsagarji maharaj, #udaipur news, #vijay vallabh surishwarji maharaja, #गायत्री मंत्र पर प्रवचन, #गायत्री मंत्र पर सत्संग, #चंद्रप्रभ, #नवकार मंत्र पर प्रवचन, #पूज्य श्री ललितप्रभ जी, #राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी, #राष्ट्रसंत पूज्य श्री ललितप्रभ जी प्रवचन, #राष्ट्रसंत प्रवचन, #राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी गुरुदेव, #राष्ट्रसंतश्रीचंद्रप्रभजी, #राष्ट्रसंतश्रीललितप्रभजी, #ललितप्रभ, #ललितप्रभ के लेटेस्ट प्रवचन, #ललितप्रभ जी के लेटेस्ट प्रवचन, #ललितप्रभ जी महाराज, #ललितप्रभ सागर, #श्री ललितप्रभ, #श्री ललितप्रभ जी, #श्री ललितप्रभ जी के लेटेस्ट प्रवचन

राजसमंद शहर के प्रज्ञा विहार में आमजन के जीवन जीने की कला पर आधारित तीन दिवसीय सत्संग एवं प्रवचनमाला शुक्रवार से शुरू होगी। संबोधि सेवा परिषद के सुनील पगारिया, कमलेश कच्छारा और भूपेंद्र चौरडिया ने बताया कि शुक्रवार सुबह 9 बजे स्टेशन रोड स्थित प्रज्ञा विहार राजसमंद में राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ महाराज व चंद्र प्रभ महाराज संबोधित करेंगे। जीवन जीने की कला कहानियों के माध्यम से सीखाएंगे। दोनों ही संत प्रखर वक्ता है।

मीडिया प्रभारी जितेन्द्र लड्ढा ने बताया कि राजसमंद शहर के प्रज्ञा विहार में 15 से 17 दिसंबर तक तीन दिवसीय प्राचनमाला शुरू हो रही है। इसके तहत राष्ट्र संत ललित प्रभ व चन्द्र प्रभ महाराज राजसमंद पहुंच गए, जिनका शहर के प्रबुद्धजनों ने अगवानी की। इस दौरान संत ललित प्रभ ने कहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी दौलत मन की शांति है। सब कुछ छोड़कर इसको पा लिया तो सौदा सस्ता ही रहेगा। भगवान महावीर और बुद्ध जैसे लोगों ने भरी युवा अवस्था में राज कुल का त्याग करके अगर संन्यास लिया तो इसी मन की शांति को पाने के लिए। जीवन में सबके उतार चढ़ाव आता है। भाग्य की उठापटक तो सबके जीवन में होती है, लेकिन इन सबके बीच भी जो व्यक्ति संतुलन बनाकर शांत मन का मालिक बना रहता है वह जीवन की बाजी जीत लेता है। चिंता उतनी ही कीजिए जितने में काम हो जाए इतनी भी मत कीजिए कि हमारा काम ही तमाम हो जाए। संतप्रवर गुरुवार को नाथद्वारा रोड के पास श्रीजी ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल स्थित अरिहंत नगर में आयोजित सत्संग प्रवचन के दौरान आओ सीखें, कैसे पाएँ मन की शांति विषय विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मन की शांति के सामने तो छप्पन भोग भी फीके होते हैं। दुनिया का सबसे अमीर आदमी वही है जिसका मन आनंद से भरा हुआ है। तभी तो कहते हैं मन चंगा तो कठौती में गंगा। तनाव, चिंता और अवसाद से भरे अशांत मन की वही हालत हो जाती है, जो पानी सूखने पर किसी सरोवर की हो जाती है।

नकारात्मकता को रखें स्वयं से दूर

राष्ट्र-संत ने कहा कि हमें अप्रिय प्रसंगों को बार-बार याद नहीं करना चाहिए। जीवन में कभी भी किसी के साथ कुछ भी हो सकता है। हम अगर पुरानी नकारात्मक यादों में खोए रहेंगे तो दुख से कभी बाहर नहीं निकल पाएँगे। अतीत सपना है, भविष्य कल्पना है, सिर्फ वर्तमान ही अपना है। जो व्यक्ति वर्तमान का आनंद लेता है वह सौ दुखों से बच जाता है। हमें जीवन के प्रति सकारात्मक रहना चाहिए। बड़ा होना अच्छी बात है पर अच्छा होना बड़ी बात है। दो बातों को जरूर भूल जाएँ – हमने किसी का भला किया हो या किसी ने हमारा बुरा किया हो। बुरी यादों को छोडऩा और मधुर वर्तमान में प्रवेश करना अपने भविष्य को सुधारने का बेहतरीन तरीका है।

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मन को हमेशा रखे शांत

संतप्रवर ने कहा कि हमें मन की शांति का मालिक बनने के लिए आग्रह, आवेश और आशंका से बचना चाहिए क्योंकि ये तीनों हमें सदा अशांत करते रहते हैं। हमने कहा और न माना गया तो दुख, गुस्से में आकर कोई नकारात्मक बात कह दी तो दुख और आशंका में पड़कर अगर हम वहम करने लग गए तो भी दुख, हो सके तो छोटी-मोटी बातों को लेकर मन की तकरारे खत्म कर दीजिए वैर-विरोध से बाहर निकल जाइए। जिस किसी से मन में ईष्र्या है उसके प्रति सकारात्मक हो जाइए। दो चीजें देखना बंद कर दीजिए अपना दुख और दूसरों का सुख। मन बड़ा विचित्र है न ये धन से तृप्त होता है, न ये राग-रंग से तृप्त होता है और न ही ये परिवार और पत्नी से तृप्त होता है। आत्मबोध के द्वारा ही व्यक्ति अपने मन को शांत कर सकता है।
इससे पूर्व राष्ट्रसंत श्री ललित प्रभ जी, राष्ट्र संत चन्द्रप्रभ श्री जी और डॉ मुनि श्री शांतिप्रिय सागर महाराज जी के अरिहंत नगर पहुंचने पर श्रद्धालुओं द्वारा भव्य स्वागत किया गया। समारोह का सफल संचालन सत्तू पालीवाल ने किया। कार्यक्रम में मीना संघवी, गौतम संघवी नाथद्वारा, रंजन करण पुरिया उदयपुर, ऋषि राज, हरक लाल जैन, लक्ष्मी लाल डाकलिया, ऋतुराज चौहान,
चंद्र प्रकाश सियाल, आशीष वागरेचा, कुलदीप सोनी, ललित बाफना, जितेन्द्र लड्ढा, आशा पालीवाल, पंकज मेहता, महावीर बोल्या, दीपक हिंगड़, डॉ वीरेंद्र महात्मा, हिम्मत कटारिया, दीपक कांकरिया, अनिल बोहरा, सुधीर व्यास, नवीन विश्वकर्मा, ओमप्रकाश मंत्री, प्रदीप लड्ढा, विजय बहादुर जैन, ललित मांडोत, सत्यनारायण पालीवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

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