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रिश्ता- नाता नहीं, बल्कि अनजान या अनाथ शव का अंतिम संस्कार के लिए सदैव तैयार हैं ये टोली

Antim Saskar https://jaivardhannews.com/orphan-cremation-funeral-at-nathdwara/
परेश पंड्या
नाथद्वारा

एक तरफ कोरोना महामारी में अपनों को ही अपने की अंतेष्टी का मौका नहीं मिल पा रहा है, वहीं नाथद्वारा में एक युवा टोली ऐसी है, जो अपने नहीं, परायों का अंतिम संस्कार करती है। कोरोना संक्रमण के दौर में जहां हर कोई कतराता है, वहीं यह युवा टोली बेहिजक अनजान व अनाथ शव की हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कर मानवता की मिसाल पेश कर रही है।
नाथद्वारा थाने के हैड कांस्टेबल देवीलाल ने बताया कि लालबाग नाथद्वारा के पास तीन मई को एक अज्ञात व्यक्ति का शव पड़ा मिला। बाद में उसके शव को गोवर्धन राजकीय चिकित्सालय नाथद्वारा के मोर्चरी में रखवा दिया और उसकी पहचान के प्रयास किए गए, मगर शिनाख्त नहीं हो पाई। इस पर अंतिम संस्कार के लिए मां तुलसी सेवा संस्थान को सूचित किया। इस पर संस्थान अध्यक्ष रेखा माली अपने युवाओं की टोली के साथ अस्पताल पहुंच गई, जहां से शव को मोक्ष रथ में रखकर श्मशान घाट पहुंचे, जहां हिन्दू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। लॉकडाउन के दौरान अब तक छह अज्ञात लोगों के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इसके अलावा आम दिनों में भी कई अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार किया है।

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