नाथद्वारा विधायक एवं राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के एक निर्णय का उनके ही विधानसभा क्षेत्र में विरोध शुरू हो गया है। खमनोर पंचायत के ग्रामीणों ने डॉ. सीपी जोशी को फैसला नहीं बदलने पर आर पार के आंदोलन की चेतावनी दे दी है। ग्रामीणों का कहना है कि खमनोर तहसील व पंचायत समिति मुख्यालय है और बड़े अस्पताल, कॉलेज व अन्य सुविधाएं भी ब्लॉक स्तर पर ही होने चाहिए, उसे एक ग्राम पंचायत पर खोलना अनुचित है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि जल्द ही प्रशासन ने निर्णय नहीं बदला, तो जयपुर तक लड़ाई लड़ेगे। राजसमंद जिला कलेक्ट्रेट के बाहर विरोध का बिगुल फूंकने वाले यह ग्रामीण महाराणा प्रताप के अप्रतिम शौर्य के प्रतीक खमनोर के निवासी हैं, जो विधानसभा अध्यक्ष और विधायक डॉ. सीपी जोशी के एक निर्णय के विरोध में आंदोलन की राह पर अग्रसर हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. सीपी जोशी ने 18 अगस्त को करीब 21 करोड़ की लागत से खमनोर के मोलेला में मॉडल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और मलीदा में कॉलेज के लिए भूमि पूजन किया था, लेकिन खमनोर तहसील मुख्यालय की सुविधाएं ग्राम पंचायत स्तर पर ले जाने का विरोध करते हुए आंदोलन की राह पर उतरे हैं। ग्रामीण, राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अनुरोध कर रहे हैं। ऐसा नहीं होने पर ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इसके तहत ग्रामीणों ने जिला कलक्टर अरविंद कुमार पोसवाल की अनुपस्थिति में प्रतिनिधि को ज्ञापन दिया गया।
इस दौरान जय मेवाड़ नवयुवक मंडल खमनोर संस्थापक अध्यक्ष हेमन्तसिंह मोजावत, हल्दीघाटी जय हल्दीघाटी नवयुवक मंडल अध्यक्ष चेतन पंवार, समाजसेवी विनोद पालीवाल, शंकर श्रीमाली, पंचायत समिति सदस्य तनसुख सोनी, राजेन्द्र माली, शान्तिलाल सेन, गोपालपुरी गोस्वामी, एडवोकेट ओमप्रकाश खटीक, निक्की पालीवाल, भरत सोनी, एवन कोठारी, विनोद खटीक, भंवर लाल प्रजापत आदि मौजूद थे।
खमनोर के ग्रामीणों ने जिला कलक्टर समेत अन्य अधिकारियों से एक बार फिर से फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगाई है। साथ ही ग्रामीणों ने विधायक और स्पीकर डॉ. सीपी जोशी को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने यह अपना निर्णय नहीं बदला तो वह जयपुर तक इस फैसले के खिलाफ आर पार की लड़ाई लड़ेगे।
अभी खमनोर के ग्रामीण अपने स्तर पर ही आंदोलन और न्यायिक लड़ाई की बात कह रहे हैं। साथ ही चेतावनी देने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं कि अगर सरकार और जनप्रतिनिधि ने अपना फैसला नहीं बदला तो वे इसे राजनीतिक रंग देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। अब देखना यह होगा कि अपने ही घर में विरोध की इस आग को स्पीकर डॉ. सीपी जोशी कैसे पार पाते हैं।