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Pocso Court Decision : राजसमंद जिले के देवगढ़ थाना क्षेत्र में 14 साल की मासूम बालिका से बलात्कार के आरोपी को पॉक्सो न्यायालय राजसमंद की न्यायाधीश पूर्णिमा गाैड़ ने दोषी करार देते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 20 हजार 500 रुपए से दंडित भी किया है। बालिका से दुष्कर्म के ढाई साल की समयावधि में पॉक्सो न्यायालय से आरोपी को सजा मिल गई।

Court Decision : पॉक्सो न्यायालय के विशिष्ट लोक अभियोजक राहुल सनाढ्य ने बताया कि दिनांक 11 अक्टूबर 2021 को 14 साल की बालिका के नाना ने देवगढ़ थाने में रिपोर्ट दी। बताया कि उसकी पुत्री उसकी पुत्री की शादी कोशीथल, भीलवाड़ा में करवाई थी, मगर पति द्वारा नहीं रखने से उसकी पुत्री और दोहिती भी उनके पास ही रहती है। 11 अक्टूबर 2021 को उसकी दोहिती सुबह 7 बजे घर से शौच करने खेत पर गई, जहां से आधे घंटे बाद रोते हुए आई। वह 7वीं कक्षा की छात्रा होकर नाना के घर पर मां के साथ रह रही थी। पूछने पर बताया कि खेत पर कुन्दवा निवासी विनोद पुत्र लादूलाल ने जबरन उसे नीचे गिराकर बलात्कार किया। इससे पहले बालिका चीखी व चिल्लाई भी, मगर आस पास किसी के न होने से उसका बचाव करने कोई नहीं आया। पीड़िता ने पत्थर भी फेंका, मगर आरोपी ने बचाव करते हुए उसे नीचे गिरा दिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इस पर देवगढ़ थाना पुलिस ने दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज करते हुए आरोपी विनोद को गिरफ्तार कर लिया। फिर जांच के बाद पॉक्सो न्यायालय राजसमंद में आरोप पत्र पेश किया।

Rajsamand Police : न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपी विनोद को दोषसिद्ध करार दे दिया। 14 वर्ष की नाबालिग किशोरी से बलात्कार को अदालत ने भी अत्यंत घृणित अपराध माना। साथ ही बालकों के साथ लैंगिक अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायाधीश पूर्णिमा गौड़ ने आरोपी विनोद को भादसं की धारा 341 के तहत 1 माह के कारावास व 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इसी तरह भादसं की धारा 376(3) के तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।

Girl Rape : 27 दस्तावेजी साक्ष्य बने सजा का आधार

Girl Rape : न्यायालय में राज्य सरकार व पीड़िता की ओर से पैरवी करते हुए विशिष्ट लोक अभियोजक राहुल सनाढ्य ने 18 गवाह तथा 27 दस्तावेजी साक्ष्य न्यायालय में पेश किए। न्यायालय में पीड़िता ने बयान को सुना। आरोपी की बात को सुना गया और दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय द्वारा गहन चिंतन व मनन करते हुए आरोपी विनोद को दोषी करार दिया।

Pocso Act : कानून तो सजा देता है, मानसिक इलाज नहीं

Pocso Act : क्या अपराध करने वालों को कानून का डर नहीं सताता? इसके जवाब में डॉ. अवाना कहते हैं कि कोई भी शख्स अपराधी एक दिन में नहीं बन जाता। सैडिस्टिक प्लेजर लेने वाले लोग इस तरह की छोटी-मोटी गतिविधियां करते रहे हैं और उनके इस कृत्य से परिवार, रिश्तेदार और पड़ोसी वाकिफ होते हैं, लेकिन वे यह बात बताते नहीं हैं। यही वजह है कि बाद में चलकर ये लोग किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं। पुलिस गिरफ्तार करती है और आरोपियों को सजा भी मिलती है, लेकिन जेल से छूटने के बाद वे फिर से क्राइम करते हैं। इसकी वजह है कि मानसिक रोगी कानून और इमोशंस के बारे में सोचने में सक्षम नहीं होते हैं, इसलिए जरूरी है कि ऐसे लोगों की मेंटल हेल्थ का भी इलाज किया जाए।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए हेल्पलाइन शुरू

मानसिक तनाव, गुस्सा और अवसाद बढ़ने की समस्या देखी गई। घरेलू हिंसा और सुसाइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने टोल-फ्री मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन किरण (1800-599-0019) शुरू की, जहां मानसिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों को 24×7 काउंसलिंग सेवा दी जाती है। अगर किसी भी व्यक्ति को मानसिक तौर पर परेशानी है तो वह इस हेल्पलाइन पर कॉल कर सकता है।