Election Cartoon https://jaivardhannews.com/politician-sarcasm-office-and-death-meeting/

Politician sarcasm : चुनावी कार्यालय और मृत्यु होने के बाद बैठक में हमें कई समानताएं देखने को मिल जाती है। सबसे पहले तो एक बड़े से कमरे की व्यवस्था की जाती है, फिर उसमें गद्दे लगाए जाते हैं। फिर उस पर एक वाइट चद्दर बिछाई जाती है, जिससे वहां का माहौल शांतिप्रिय लगे, कुछ लोगों के लिए कुर्सियां भी लगाई जाती है, कुछ खास व्यक्ति वहां सदैव बैठे रहते हैं, ताकि मिलने वाले जब भी आए तो उन्हें कंपनी दे सके, उस व्यक्ति के बारे में अच्छी-अच्छी बातों का गुणगान कर सकें। मृत्यु वाले घर में जिस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, उसका फोटो लगाया जाता है, और चुनाव कार्यालय में भी बहुत कुछ ऐसा ही नजर आता है, कुछ पार्टी के नामचिन चेहरों के पोस्टर लगाए जाते हैं। मृत्यु वाले घर में मेहमानों की लिस्ट, चुनाव कार्यालय में मतदाताओं की लिस्ट, मृत्यु वाले घर में शोक पत्रिका (चीरी) और चुनावी कार्यालय में टेंप्लेट पडे़ हुए नजर आते हैं। समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के मार्फत दोनों ही कंडीशन में उन व्यक्तियों के बारे में अवगत कराया जाता है।

Election satire : थोड़ी थोड़ी देर में चाय के लिए भी आवाज दी जाती है, कुछ लोग मना करते हैं, लेकिन उनकी मनवार दोनों ही जगह बड़ी आत्मीयता से की जाती है, आने वाला व्यक्ति एक जगह सांत्वना देता है और दूसरी जगह भी सांत्वना ही देता है। दूसरी जगह सांत्वना कुछ अलग होती है कि तुम ही जीतोगे, तुम्हारी जीत निश्चित है, चिंता ना करो, हम तुम्हारे साथ हैं । करीब करीब दोनों ही जगह 10 दिन की बैठक रहती है, कई लोग आते हैं और बैठकर चले जाते हैं, बाहर निकलकर उनकी बातें भी बड़ी रोचक होती है…। दोनों ही जगह उस व्यक्ति के अगले पिछले हिसाब की बड़ी विचित्र बातें लोगों को करते हुए अक्सर देखा जाता है, ऐसे में दोनों ही परिदृश्य में खर्चा लाखों रुपए में होता है, इसमें कई जगह भोजन की व्यवस्था भी रहती है और कई प्रकार के व्यसनों का भी उचित प्रबंध होता है। 12 दिन बाद यह सब कुछ दोनों ही जगह खत्म हो जाता है और 13वें दिन जो मरा है, उसके बड़े बेटे को अच्छा मुहूर्त देखकर पगड़ी रस्म का आयोजन ढोल के साथ करके उसे पगड़ी पहना दी जाती है। अब वह उस घर का सर्वे सर्वा हो जाता है, अब उसे सभी निर्णय लेने का अधिकार मिल जाता है और चुनाव में भी अंत में यही होता है, एक व्यक्ति को चुन लिया जाता है और उसकी बड़ी गर्मजोशी से ताजपोशी कर दी जाती है और नगर के सभी कार्यों को करने के लिए उसे अधिकार दे दिए जाते है, उसे उस चुनाव और पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित करके वो पद सौंप दिया जाता है और वह अब नगर के सभी अच्छे व बुरे निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हो जाता है। इस तरह से यह दोनों ही कार्य संपादित हो जाते हैं और जो लोग इन सभी कार्यो से जुड़े होते हैं, वह अपने अपने घर चले जाते हैं। Poltical News

Rahul Dikshit https://jaivardhannews.com/politician-sarcasm-office-and-death-meeting/

राहुल दीक्षित RD
काव्य गोष्ठी मंच, कांकरोली
मो. 9001011755

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  • Parmeshwar Singh Chundawat

    परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Parmeshwar Singh Chundawat

परमेश्वरसिंह चुडावत युवा व उत्साही पत्रकार है। 2 साल में न सिर्फ पत्रकारिता को समझा, बल्कि आहत, पीड़ित की आवाज भी बने। पढ़ने- लिखने के शौकीन परमेश्वर वेब पोर्टल पर SEO Based खबरें बनाने की तकनीकी समझ भी रखते हैं। घटना, दुर्घटना, राजनीतिक हो या कोई नवाचार, हर मुद्दे पर बेहतर डिजिटल कंटेंट यानि रोचक खबर बनाने में माहिर है। jaivardhanpatrika@gmail.com